बाघ-परियोजना | Tiger Projects in Hindi

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औरजानिये। Aurjaniye

ANIMAL PLANET द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार , बाघ विश्व का सबसे पसंदीदा जानवर है । 1969 ई . में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ( International Union for Conservation of Nature ) के 10वें अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि बाघों को संपूर्ण सुरक्षा दी जाए । वन्य जीव संरक्षण अधिनियम , वर्ष 1972 के तहत् भारत में पहली बाघ गणना करायी गयी थी । बाघ परियोजना की शुरूआत कर बाघों को संरक्षण प्रदान किया गया ।

भारत में मध्य प्रदेश को टाइगर राज्य के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहाँ सर्वाधिक संख्या में बाघ पाए जाते थे परन्त वर्तमान में सबसे अधिक बाघ कर्नाटक ( 406 ) में पाए जाते हैं । मध्यप्रदेश के वनविहार नेशनल पार्क में सफेद बाघ का संरक्षण किया जा रहा है । जिसका उद्देश्य आम लोगों में वन्य प्राणियों के लिए स्नेह और जागरूकता बढ़ाना है । इस राष्ट्रीयउद्यान में वन्य प्राणियों को गोद लेने की योजना भी है ।

वर्ष 2010 को भारत सरकार द्वारा बाघ वर्ष के रूप में मनाया गया था । वर्तमान में देश के 18 राज्यों में 50 बाघ आरक्षित क्षेत्र हैं , जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2 . 08 % भू – भाग पर विस्तृत हैं । क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा बाघ आरक्षित क्षेत्र नल्लामल्लाई श्रेणी में स्थित नागार्जुन सागर ( श्री शैलम , आन्ध्र प्रदेश है । जबकि पेंच ( महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश ) सबसे छोटा बाघ आरक्षित क्षेत्र है

नायदफा ( अरूणाचल प्रदेश ) विश्व की सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित बाघ आरक्षित क्षेत्र है जबकि कालकड मुण्डनथुरई ( तमिलनाडु ) भारत का दक्षिणतम बाघ आरक्षित क्षेत्र है । काजीरंगा विश्व में
 सर्वाधिक घनत्व वाला बाघ आरक्षित क्षेत्र है । 

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण

गीय लाच संभ कि 4 सितम्बर , 2006 में गठित राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का उद्देश्य बाघ रिजर्व प्रबंधन में सामान्य मानकों को सुनिश्चित करना , विशेष बाघ संरक्षण योजना तैयार करना तथा संसद में वार्षिक लेखा परीक्षा रिपोर्ट पेश करना है ।

वन्य जीवों के अवैध व्यापार को प्रभावी रूप से रोकने के लिए 6 जून , 2007 से एक बहुउद्देश्यीय बाघ एवं अन्य संकटापन्न प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो ( वन्य जीवन अपराध नियंत्रण ब्यूरो ) का गठन किया गया है ।

STATES OF TIGERS IN INDIA – 2014

स्टेटस ऑफ टाइगर्स इन इंडिया – 2014- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ( NTCA : National Tiger Conservation Authority ) का गठन किया गया जो

प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर बाघों की स्थिति एवं उनके प्राकृतिक आवास का राष्ट्रीय स्तर पर आकलन ( National Assesment ) का कार्य करता है । इस आकलन के लिए प्रयोग की जाने वाली कार्यप्रणाली को वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स द्वारा अनुमोदित किया था ।
इस पर  प्रथम राष्ट्रीय आकलन वर्ष 2006 में किया गया ।
 जिसके अनुसार भारत में मात्र 1411 बाघ ही शेष थे ।
इसके बाद वर्ष 2010 में हुई अखिल भारतीय बाघ गणना में बाघों की संख्या के 1411 से बढ़कर 1706 तक पहुँचने का अनुमान व्यक्त 20 जनवरी , 2015 को केंद्रीय पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा स्टेटस ऑफ टाइगर्स इन इंडिया – 2014 ( Status of Tigers in India – 2014 ) नामक रिपोर्ट जारी की गयी । इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में भारत में बाघों की संख्या 2226  है ।
 इस प्रकार पिछले अनुमानों की तुलना में वर्तमान में । बाघों की संख्या में 30 . 5 % की वृद्धि दर्ज की गई हैं । 
नवीनतम सुनिश्चित रिपोर्ट के अनुसार , कर्नाटक उत्तराखंड मध्य प्रदेश , तमिलनाड में तथा केरल में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है । राज्यों के संदर्भ में कर्नाटक में बाघों की संख्या सर्वाधिक ( 406 ) है
Kailash Sankhla
टाइगर मैन ऑफ इंडिया कैलाश साखला : टाइगर मैन ऑफ इंडिया , वर्ष 1992 में पद्मश्री से अलंकृत राजस्थान के कैलाश साखला भारत में बाधा किए गए अपने कार्यों से जाने गए और उन्हें टाइगर मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना गया । व 1973 में शुरू किए । प्रोजेक्ट टाइगर के नेतृत्व सांखला ने ही किया था ।
 
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