हाथी संरक्षण परियोजना

हाथियों के प्राकृतिक आवास – स्थलों में उनका दीर्घकालीन जीवन सुनिश्चित करने के लिए , पर्याप्त संख्या में हाथियों की आबादी रखने वाले राज्यों में 1992 ई . में गजतमे नामक हाथी संरक्षण परियोजना चलायी गयी । जिसका शुभारंभ झारखंड के सिंहभूम जिले से किया गया था ।

वर्तमान समय में यह परियोजना 16 राज्यों में चल रही है । हाथियों की संख्या बढ़ाने तथा मानव – हाथी संघर्ष को रोकने के प्रयासों पर बल दिया जा रहा है । बाघ परियोजना की अपेक्षा हाथी संरक्षण परियोजना में ।
उद्यानों के लिए बहुत बड़ा क्षेत्र सुरक्षित किया जाता है ताकि , हाथियों के स्वतंत्र विचरण में बाधा न हो । इस परियोजना के अंतर्गत 32 हाथी संरक्षण क्षेत्र घोषित किए गए हैं , जो 60 हजार वर्ग किमी . क्षेत्र पर विस्तृत हैं । केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 22 अक्टबर , 2010 को भारत में हाथियों के भविष्य को सुरक्षित रखने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए उसे 

राष्ट्रीय विरासत पशु ( National Heritage Animal ) घोषित किया है ।

हाथी सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहे है । इसीलिए अब इन्हें भी बाघों के समान महत्व दिए जाने की आवश्यकता है । राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण ( NECA ) | के गठन की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं ।
राजस्थान के जयपुर के आमेर ( कुंडा गाँव ) में केन्द्र व राज्य सरकार की सहायता से एशिया का तीसरा एलीफट विलेज बनाया जा रहा है , जिसमें हाथियों के लिए चिकित्सा केन्द्र महावतों के लिए रहने के लिए घर तथा राइडिंग ट्रैक आदि बनाये जायेंगे ।इस प्रकार के दो अन्य विलेज एशिया में श्रीलंका एवं थाइलैंड में हैं

देश में पहला हाथी पुनर्वास केंद्र हरियाणा में बनाया जा रहा है ।अखिल भारतीय हाथी गणना 12 अगस्त , 2017 को केंद्रीय पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रथम समन्वय आधारित अखिल भारतीय हाथी संख्या आकलन ( First – ever | synchronised All India Elephant Population Estimation ) के प्रारंभिक परिणाम जारी किए गए ।इस |रिपोर्ट के अनुसार , भारत में हाथियों की कुल संख्या 27 , 312 दर्ज की गई है

देश में हाथियों की सर्वाधिक संख्या कर्नाटक ( 6049 ) में दर्ज की गई है ।इसके पश्चात् असम ( 5718 ) |दूसरे तथा केरल ( 3054 ) तीसरे स्थान पर है ।

गज यात्रा 12 अगस्त , 2017 को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर देश में हाथियों के संरक्षण हेतु एक राष्ट्रव्यापी अभियान गज यात्रा को केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मत्रालय द्वारा प्रारम्भ किया गया ।यह अभियान हाथियों की बहुलता वाले देश के 12 राज्यों में संचालित किया जाएगा ।

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