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( 1 ) धार्मिक ग्रन्थ ( Religious Writings ) –

literary sources meaning in hindi धार्मिक ग्रन्थों की श्रेणी में वे ग्रन्थ आते हैं जो किसी धर्म , विशेष से प्रभावित होते हैं । इन ग्रन्थों से तत्कालीन सामाजिक , धार्मिक व राजनीतिक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है । 

धर्म – ग्रन्थों में ब्राह्मण , बौद्ध व जैन धर्म से सम्बन्धित आग्रलिखित ग्रन्य प्रमुख हैं : literary sources meaning in hindi

  •  ब्राह्मण – बन्य
  • वेद
  • ‘आरण्यक ‘
  • उपनिषद् 
  • वेदांग
  • स्मृति
  • महाकाव्य
  • पुराण
  • बोद्ध धर्म ग्रन्थ
  • जैन – ग्रन्थ –

ब्राह्मण –  ग्रन्थ

प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले  सम्बन्धित अनेक ग्रंथ है , जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित है वेद – आयों के प्राचीनतम ग्रंथ वैद हैं । वेदों की कुल संख्या चार है , जिनमें प्राचीनतम ऋग्वेद है ।

 ऋग्वेद के अतिरिक्त तीन अन्य वेद सामवेद , यजुर्वेद व अथर्ववेद है । 

वेदों का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है । यद्यपि बेद मुख्यतया धार्मिक ग्रन्थ है परन्तु इनसे आर्यों के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है । ऋग्वेद यद्यपि सबसे पुराना वेद है , किन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व है क्योकि आर्यों के विषय में सर्वाधिक जानकारी इसी वेद से प्राप्त होती है । 

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साधन

ब्राह्मण – ब्रह्मा का अर्थ यज्ञ होता है , अतः यज्ञ के विषयों को प्रतिपादित करने वाले ग्रन्थों को ‘ ब्राह्मण ‘ कहा गया ।यज्ञ एवं कर्मकाण्डों के विधान को समझने के लिए इनकी रचना की गयी थी । 

वैदिक श्लोकों एवं संहिताओं की टोकाएं इनमें मिलती है । प्रमुख ‘ बाहाण ‘ ऐतरेय , शतपथ , पंचविश च गोपर्थ हैं ।

आरण्यक

आरण्यक ‘ शब्द की उत्पत्ति अरण्य ‘ से हुई है जिसका अर्थ वन होता है । आरण्यक ऐसे ग्रंथों को कहा जाता है जिनका अध्ययन वन में किया जा सके । 

उपनिषद्

 ‘उप ‘ का अर्थ निकट व ‘ निषद् ‘ का अर्थ बैठना होता है । अतः गुरु के समीप बैठकर प्रात किये गये ज्ञान के आधार पर लिखे गये ग्रन्थों को उपनिषद् कहते थे । 

उपनिषदों में प्रमुख बृहदारण्यक व छान्दोग्य उपनिषद् है । उपनिषदों से भारतीय दर्शन व विम्बसार के पूर्व के इतिहास का विवरण प्राप्त होता है । उपनिषद् किसी एक काल में अथवा किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा रचित नहीं हैं । इनकी रचना में दीर्घकाल तक विभिन्न लोगों का योगदान रहा है ।

वेदांग – 

वेदांग से तत्कालीन समाज एवं धर्म पर विस्तृत प्रकाश पड़ता है । वैदिक अध्ययन के लिए विशिष्ट विद्याओं की शाखाओं को वेदांग कहा जाता है । वेदांग संख्या में छह है — शिक्षा , कल्प , व्याकरण , निरुक्त , छन्द एवं ज्योतिषा इस प्रकार वेदांगों से वैदिक ज्ञान का अध्ययन सरल हो जाता है । कालान्तर में सूत्रों की रचना हुई । धर्म पर प्रकाश डालने वाले सूत्र को धर्म – सूत्र , गृह – संस्कारों पर प्रकाश डालने वाले सूत्र को गृहा – सूत्र कहा गया । 

 

स्मृति –

सूत्रों के पश्चात् स्मृतियों की रचना हुई । स्मृतियों में मनु व याज्ञवल्क्य स्मृतियां प्रमुख हैं । स्मृतियों से तत्कालीन समाज के विभिन्न कार्यकलापों पर प्रकाश पड़ता है ।

महाकाव्य –

वेदों के पश्चात् महाकाव्यों का विशिष्ट महत्व है व इनकी गणना ऐतिहासिक साहित्य के अन्तर्गत की जाती है । वे महाकाव्य हे रामायण एवं महाभारता रामायण के रचयिता महाकवि वाल्मीकि एवं महाभारत के मुनि व्यास थे । इन महाकाव्यों से तत्कालीन सामाजिक , राजनीतिक , धार्मिक व आर्थिक स्थिति पर यापक प्रकाश पड़ता है । राजनीतिक दृष्टिकोण से रामायण की अपेक्षा महाभारत का अधिक महत्व है । किन्तु फिर भी इनसे वर्णित राजनीतिक घटनाओं पर अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता है । डॉ . आर . एस . त्रिपाठी ने इस विषय में लिखा है , ” निस्सन्देह , इन प्रवन्ध महाकायों में भारत की तत्कालीन मार्मिक एवं सामाजिक स्थितियों का रुचिकर संग्रह हुआ है , परन्तु राजनीतिक घटनाओं के क्रमबद्ध इतिहास के रूप में ये नितान्त के रुप में ये असन्तोषजनक हैं ।

पुराण –

पुराणों की संख्या अठारह है , परन्तु इनमें से पांच का ही अधिक ऐतिहासिक महत्व है । ये हैं . मत्स्य , भागवत , विष्णु , वायु और ब्रह्माण्ड पुराण । पुराण का अर्थ प्राचीन होता है । पुराणों में प्राचीन भारत के इतिहास , धर्म , आख्यान , विज्ञान , राजनीतिक स्थिति , आदि का विस्तृत रूप से विवरण है । सम्भवतः इसी कारणवश डॉ . आर . एस . त्रिपाठी ने लिखा है ” पुराण अन्धकूप में आलोक – रश्मि का कार्य करते हैं । 

बोद्ध धर्म ग्रन्थ –

ब्राह्मण धर्म ग्रन्थों के समान ही बौद्ध ग्रन्थों से भी प्राचीन , भारतीय इतिहास पर व्यापक प्रकाश पड़ता है । बौद्ध धर्म ग्रन्थों में निम्नलिखित प्रमुख हैं । literary sources meaning in hindi

पिटक – पिटकों की संख्या तीन है ।

ये है -विनय पिटक , सूत्र पिटक व अभिधम्म पिटक

विनय पिटक में मठ में रहने वाले भिक्षुओं के लिए आवश्यक निर्देश हैं । सूत्र पिटक में महात्मा युद्ध के उपदेशों ( Teuchings ) फा सार दिया गया है । अभिधम्म पिटक के सात संग्रह है । इनमें महात्मा बुद्ध के उपदेशों की दार्शनिक रूप में व्याख्या की गयी है । तीनों पिटकों की भाषा ‘ पाली ‘ है ।

जातक –

बौद्ध ग्रन्थों में जातक का दूसरा प्रमुख स्थान है । जातक में महात्मा बुद्ध के पूर्व – जन्मों का विवरण है जो 549 कथाओं के रूप में है इन कथाओं से तत्कालीन सामाजिक , धार्मिक एवं आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए लिखा है , ” जातक कथाओं का महत्व अमूल्य है । मात्र कला एवं साहित्य के सन्दर्भ में नहीं उनका महत्प तत्कालीन भारतीय सभ्यता के इतिहास के दृष्टिकोण से भी है अन्य बौद्ध – ग्रन्थ – त्रिपिटक एवं जातकों के अतिरिक्त कुछ अन्य बौद्ध – ग्रन्थों से भी भारतीय इतिहास पर प्रकाश पड़ता है ।

मिलिन्दपन्हों नामक ग्रन्थ से मीनेण्डर के समय की सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति के विषय में जानकारी उपलब्ध होती है । 

दीपवंश ‘ व ‘ महावंश ‘ से मौर्यकाल के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है ।

जैन – ग्रन्थ –

बौद्ध – ग्रन्थों के समान जैन ग्रन्थ भी पूर्णतया धार्मिक होते हुए भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । जैन – ग्रन्थों में भद्रबाहुचरित , परिशिष्टपर्व , पुण्याश्रव कथाकोश , लोक विभाग , आदि प्रमुख है । 

जैन – साहित्य बारह अगों में विभक्त है । जैन साहित्य से तत्कालीन भारत के राजतन्त्रों एवं गणतन्त्रों पर व्यापक प्रकाश पड़ता है ।

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