Secular Literature Sources of Ancient Indian History Hindi धर्म – निरपेक्ष साहित्य 

Secular Meaning In Hindi

धर्म – निरपेक्ष साहित्य ( Secular Meaning In Hindi ) –

Secular Meaning In Hindi धार्मिक ग्रन्थों के अतिरिक्त अनेक ऐसे ग्रन्थ उपलब्ध हैं जो किसी धर्म से सीधा सम्पर्क नहीं रखते अथवा किसी धर्म विशेष से प्रभावित नहीं है । धर्म – निरपेक्ष साहित्य को निम्न दो भागों में विभाजित किया जा सकता है :

कल्पना प्रधान , लोक – साहित्य एवं जीवन चरित्र –

Secular Meaning In Hindi विदेशियों के द्वारा भारत के विषय में लिखे गये वर्णन के अतिरिक्त सम्पूर्ण धर्म निरपेक्ष साहित्य इसी शीर्षक के अन्तर्गत आ जाता है ।
कुछ प्रमुख ग्रन्थ , जो ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं , निम्नलिखित हैं :

अर्थशास्त्र  Economics- 

Secular literature इस ग्रन्थ की रचना चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री चाणक्य ने ई.पू. चौथी शताब्दी में की थी । तत्कालीन शासन
व्यवस्था पर इस ग्रन्थ से व्यापक प्रकाश पड़ता है ।
  राजनीति , कूटनीति एवं शासन प्रबन्ध पर वह एक उत्कृष्ट कृति मानी जाती है । मौर्यकाल के विषय में जानकारी देने वाली यह सबसे प्रामाणिक कृति है

मुद्राराक्षस Mudrarakshas – 

इस नाटक की रचना विशाखदत्त ने की थी । इसमें नन्द राजा के पतन तथा चाणक्य द्वारा चन्द्रगुप्त को राजा बनाये जाने का उल्लेख है ।
 
 
 इस नाटक की रचना सातवीं शताब्दी में हुई थी । 
कालिदास की रचनाएं – कालिदास द्वारा रचित ग्रन्थों से तत्कालीन संस्कृति पर व्यापक प्रभाव पड़ता है । मालविकाग्निमित्र ‘ में पुष्यमित्र व यवनों के मध्य हुए युद्ध का भी उल्लेख है ।

हर्षचरित Harshcharit-

हर्ष चरित की रचना की रचना सातवीं सदी में वाणभट्ट ने की थी । इस ग्रन्थ से हर्षकालीन प्रत्येक प्रमुख घटना की जानकारी प्राप्त होती है । इस ग्रन्थ का विशेष ऐतिहासिक महत्व है ।
महाभाष्य MahaBhashya- 
पतंजलि के महाभाष्य से मौर्यकाल के विषय में जानकारी मिलती है ।

गार्गी संहिता Gargi sanhita-

इसमें भारत पर यवनों के आक्रमण का उल्लेख है ।
 
राजतरंगिणी Rajtarangini-
राजतरंगिणी – का रचनाकार कल्हण नामक विद्वान था । इस ग्रन्थ से कश्मीर के इतिहास के विषय में विशेष रूप से जानकारी प्राप्त होती है । इस ग्रन्थ की रचना बारहवीं शताब्दी में हुई थी । इस ग्रन्थ का

मनसाहसांक चरित MansahankCharit

परमार वंश की घटनाओं पर प्रकाश डालने वाले इस ग्रन्य की रचना परिमलगुप्त ने की

गोडवाहो Godvaho – 

इस ग्रन्थ का रचयिता बाक्पतिराज था इस ग्रन्थ में कनीज नरेश यशोवर्मा की विजयों का वर्णन है ।

विक्रमांकदेवचरित Vikramankdevcharit- 

इस ग्रन्थ से चालुक्य वंश के इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है ।
पृथ्वीराजरासो Prithviraj Raso- 
चन्दबरदाई द्वारा लिखित इस ग्रन्थ से चौहान वंशीय शासक पृथ्वीराज के विषय में महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है ।

विदेशी यात्रियों के वृत्तान्त Description of Foreigner Traveller

समय समय पर अनेक विदेशी विद्वानों ने भारत की यात्रा की व अपने संस्मरण लिखे । यद्यपि विदेशी यात्रियों में से अनेक के संस्मरण उपलब्ध नहीं है . तथा किंवदन्तियों से प्रभावित होने के कारण कहीं – कहीं पूर्णतया प्रामाणिक नहीं हैं , किन्तु फिर भी , इन वृत्तान्तों से भारतीय इतिहास पर व्यापक प्रकाश पड़ता है । भारत सम्बन्धी अपने संस्मरण विभिन्न देशों से आवे विद्वानों ने लिखे हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है  Secular Meaning In Hindi

यूनानी वृत्तान्त – Greek Description about India

यूनानी लेखकों ( जो भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालते है ) में हेरोडोटस ( Herodotus ) प्राचीनतम लेखक है । हेरोडोटस ने पांचवीं शताब्दी ई.पू. में भारतीय सीमाप्रान्त बहमनी साम्राज्य के मध्य राजनीतिक सम्पर्क पर प्रकाश डाला ।
क्रिटेशियस ( Kritesius ) ने भी अपनी रचना में भारत के विषय में लिखा है ।
इनके अतिरिक्त सिकन्दर के साथ आये हुए अनेक लेखकों ने भारत के विषय में अपने विचार लिखे हैं । सिकन्दर के कुछ समय पश्चात्


मैगस्थनीज ( Megasthenes ) 

 चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी राजदूत के रूप में आया । मैगस्थनीज व्यक्तियों एवं घटनाओं का अवलोकन अत्यन्त पैनी दृष्टि से करता था ।
उसने अपनी पुस्तक ‘ इण्डिका ‘ INDICA में भारतीय संस्थाओं , भूगोल , कृषि , इत्यादि के विषय में लिखा , परन्तु दुर्भाग्यवश उसकी पुस्तक उपलब्ध नहीं है

इसी प्रकार टालेमी ( Ptolemy ) का ‘ भूगोल ‘ व प्लिनी ( Pliny ) की ‘ नेचुरल हिस्ट्री ‘ आदि पुस्तकें अत्यन्त महत्वपूर्ण है |

चीनी वृत्तान्त – यूनानी ग्रन्थों के समान ही चीनी यात्रियों के वृत्तान्त भी कम महत्वपूर्ण नहीं है । इसमें उन अनेक मध्य एशियाई जातियों के परिभ्रमण का उल्लेख है जिन्होंने भारत को प्रभावित किया ।

सुमाचीन ( S – SU – MA – CHIEN ) चीन का प्रथम इतिहासकार था , जिसके ग्रन्थ से भारत पर प्रकाश पड़ता है । सुमाचीन ई.पू. प्रथम शताब्दी में हुआ था ।
इसके अतिरिक्त फाह्यान , देनसांग व इत्सिंग भी चीनी इतिहास में अमर है तथा भारत के दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व रखते हैं । इनके वर्णनों के अतिरिक्त हुई ली ( Hwai – li ) द्वारा में विपुल जानकारी प्राप्त होती है । Secular Meaning In Hindi

तिब्बती वृत्तान्त – Tibbetan description

तिब्बती लामा तारानाथ द्वारा रचित कंग्युर ‘ व ‘ तंग्युर ‘ का भी विशिष्ट ऐतिहासिक महत्व है।

मुसलमान यात्रियों के वृत्तान – मुसलमान यात्रियों के वृत्तान्तों का भारतीय इतिहास की दृष्टि से विशिष्ट महत्व है । इन यात्रियों में अल्बरुनी विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि वह संस्कृत भी जानता था । 

उसने ‘ तहकीक – ए – हिन्द ‘ की रचना की जिससे तत्कालीन – भारत के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है । अल्बरूनी मुसलमान यात्री है जिनके वृत्तान्ता से पता चलता है कि किस प्रकार मुसलमानों ने भारत पर अधिकार किया ।
डॉ आर . एस . त्रिपाठी ने लिखा है ” यूनानी सेण्ट्रोकोटस ‘ व चन्द्रगुप्त मौर्य की एकरूपता प्रमाणित हो जाने के पश्चात् ही भारतीय तिथिक्रम ( Chronology ) का प्रादुर्भाव हुआ । 
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