ब्लू इकॉनमी नीति |BLUE ECONOMY POLICY

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ब्लू इकॉनमी नीति का मसौदा चर्चा में क्यों ? 

हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ( MoES ) ने विभिन्न हितधारकों से और इनपुट आमंत्रित करते हुए ब्लू इकॉनमी नीति का मसौदा जारी किया है । यह नीति मसौदा वर्ष 2030 तक भारत सरकार के नए भारत के विजन के अनुरूप है।

ब्लू इकॉनमी नीति का मसौदा . 

  1. इस नीतिगत दस्तावेज़ में ब्लू इकॉनमी को राष्ट्रीय विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में स्वीकार किया गया है । 
  2. यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था के समग्र विकास हेतु कई प्रमुख क्षेत्रों में नीतिगत हस्तक्षेप पर जोर देती है । इस नीति में निम्नलिखित सात विषयगत क्षेत्रों की पहचान की गई है : 
  • ब्लू इकॉनमी और ओसियन गवर्नेस के लिये राष्ट्रीय लेखा ढाँचा । 
  • तटीय समुद्री स्थानिक योजना और पर्यटन । 
  • समुद्री मत्स्यपालन , जलीय कृषि और मछली प्रसंस्करण । 
  • विनिर्माण , उभरते उद्योग , व्यापार , प्रौद्योगिकी , सेवाएँ और कौशल विकास । 
  • लॉजिस्टिक्स , इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिपिंग , जिसमें ट्रांस – शिपमेंट भी शामिल है ।
  • तटीय और गहरे समुद्र में खनन एवं अपतटीय ऊर्जा । 
  • सुरक्षा , सामरिक आयाम और अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव । 

उद्देश्य – AIM OF BLUE ECONOMY POLICY

  • इसका उद्देश्य भारत के सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) में ब्लू इकॉनमी के योगदान में बढ़ोतरी करना है । ब्लू इकॉनमी जिसमें समुद्री संसाधनों पर निर्भर आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं , भारतीय अर्थव्यवस्था में कुल 4.1 % योगदान देती है । 
  • तटीय क्षेत्रों में रह रहे समुदायों के जीवन स्तर में सुधार करना । . 
  • समुद्री जैव – विविधता का संरक्षण करना । – 
  • राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्रों और संसाधनों की सुरक्षा बनाए रखना । 

ब्लू इकॉनमी नीति की आवश्यकता NEED OF BLUE ECONOMY POLICY 

विशाल तटरेखा – 

  • लगभग 7.5 हजार किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा के साथ भारत की समुद्री अवस्थिति काफी विशिष्ट है । 
  • भारत में नौ तटीय राज्य हैं और देश की संपूर्ण भौगोलिक सीमा में 1382 द्वीप शामिल हैं । . 
  • देश में कुल 12 प्रमुख बंदरगाहों समेत लगभग 199 बंदरगाह हैं , जहाँ से प्रतिवर्ष लगभग 1400 मिलियन टन कार्गो गुज़रता है । 

निर्जीव संसाधनों का उपयोग 

लगभग 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र ( SEZ ) में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस जैसे महत्त्वपूर्ण संसाधनों के साथ – साथ जीवित और निर्जीव संसाधनों का एक विशाल भंडार मौजूद है । 

तटीय समुदायों का भरण – पोषण 

भारत की तटीय अर्थव्यवस्था देश भर के 4 मिलियन से अधिक मछुआरों और तटीय समुदायों की आजीविका का महत्त्वपूर्ण स्रोत है । 

भारत द्वारा शुरू की गई अन्य महत्त्वपूर्ण पहले 

सतत् विकास के लिये ब्लू इकॉनमी पर भारत – नॉर्वे टास्क फोर्स भारत और नॉर्वे के बीच ब्लू इकॉनमी को लेकर संयुक्त पहल विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2020 में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से इस टास्क फोर्स का गठन किया गया था । 

सागरमाला परियोजना सागरमाला परियोजना केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ की गई योजना है जो बंदरगाहों के आधुनिकीकरण से संबंधित है । 

इस परियोजना का उद्देश्य अंतर्देशीय जलमार्ग और तटीय नौवहन को विकसित करना है , जो समुद्री लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन करेगा । इसके परिणामस्वरूप रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे और साथ ही लॉजिस्टिक्स की लागत में भी कमी आएगी । . 

यह परियोजना समुद्री संसाधनों , आधुनिक मत्स्यपालन तकनीकों और तटीय पर्यटन के सतत् उपयोग के माध्यम से तटीय समुदायों और लोगों के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है । . 

ओ – स्मार्ट ( O – SMART ) : ओ – स्मार्ट एक अम्ब्रेला योजना है जिसका उद्देश्य सतत् विकास के लिये महासागरों और समुद्री संसाधनों का विनियमित उपयोग करना है । – 

एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधनः यह तटीय और समुद्री संसाधनों के संरक्षण तथा तटीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसरों में सुधार पर केंद्रित है । –

राष्ट्रीय मत्स्य नीति : भारत में समुद्री और अन्य जलीय संसाधनों से मत्स्य संपदा के सतत् उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर ‘ ब्लू ग्रोथ इनिशिएटिव ( Blue Growth Initiative ) को बढ़ावा देने हेतु एक राष्ट्रीय मत्स्य नीति मौजूद है । 

वैश्विक प्रयास GLOBAL INITIATIVES

सतत् विकास लक्ष्य ( SDG ) -14 सतत् विकास के लिये महासागरों समुद्रों एवं समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत् उपयोग पर ध्यान केंद्रित करता है । 

ब्लू इकॉनमी की अवधारणा को बेल्जियम के अर्थशास्त्री ‘ गुंटर पौली ‘ ( Gunter Pauli ) द्वारा वर्ष 2010 में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘ द ब्लू इकॉनमी : 10 इयर्स , 100 इनोवेशन्स और 100 मिलियन जॉब्स ‘ में प्रस्तुत किया गया था ।

 यह अवधारणा आर्थिक विकास , बेहतर आजीविका एवं रोजगार के सृजन तथा महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिये महासागर संसाधनों के सतत् उपयोग को संदर्भित करती है । 

इसमें शामिल हैं : 

  • अक्षय ऊर्जाः सतत् समुद्री ऊर्जा देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है । 
  • मत्स्यपालन : सतत् मत्स्यपालन अधिक राजस्व अर्जित करने और मछली उत्पादन बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण हो सकता है , साथ ही यह समुद्रों में मछली भंडारण को बहाल करने में मदद कर सकता है । 
  • समुद्री परिवहन : 80 % से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वस्तुओं का व्यापार समुद्री मार्ग से किया जाता है ।
  • पर्यटन ; महासागरीय और तटीय पर्यटन रोजगार में बढ़ोतरी करने के साथ – साथ आर्थिक विकास को बल दे सकता है ।
  • जलवायु परिवर्तनः महासागर एक महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक ( ब्लू कार्बन ) की भूमिका निभाते हैं और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मददगार हो सकते हैं । 
  • अपशिष्ट प्रबंधनः भूमि पर बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से महासागरों के पारिस्थितिक तंत्र में सुधार किया जा सकता है । 
  • ब्लू इकॉनमी  महासागरीय अर्थव्यवस्था के विकास को सामाजिक समावेश और पर्यावरणीय स्थिरता के साथ एकीकृत करने पर जोर देती है । 

हाग आगे की राह और 

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भारत के विशाल समुद्री हितों के कारण ‘ ब्लू इकॉनमी ‘ को देश की आर्थिक वृद्धि में काफी महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है । – 

ब्लू इकॉनमी देश के सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) और आम जनजीवन के कल्याण के लिये महत्त्वपूर्ण हो सकती है , हालाँकि यह आवश्यक है कि सतत् विकास एवं सामाजिक – आर्थिक कल्याण को केंद्र में रखा जाए । – अत : ब्लू इकॉनमी नीति के मसौदे को देश के आर्थिक विकास और कल्याण हेतु एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत ढाँचा माना जा सकता है । 

तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें , और इसे शेयर भी जरुर करें।

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