भारत की वैक्सीन कूटनीति | Vaccine Policy Of India
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भारत अपने पड़ोसी और प्रमुख साझेदार देशों को कोरोना वायरस ( COVID – 19 ) वैक्सीन प्रदान कर रहा है ।
वैक्सीन कूटनीति .
वैक्सीन कूटनीति वैश्विक स्वास्थ्य कूटनीति का हिस्सा है , जिसमें एक राष्ट्र अन्य देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिये टीको के आर्थिक विकास या वितरण का उपयोग करता है ।
सहयोगात्मक प्रयास : इसमें जीवनरक्षक टोकों और संबंधित तकनीको का संयुक्त विकास किया जाना भी शामिल है , जहाँ विभिन्न देशों के वैज्ञानिक , राजनयिक संबंधों को ज्यादा महत्त्व दिये बिना सहयोग के लिये एक साथ आते हैं । –
भारत के लिये लाभप्रदः
भारत द्वारा उठाया जा रहा यह कदम पड़ोसी देशों और संपूर्ण विश्व के साथ विदेश नीति तथा राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देने का एक अभिनव अवसर प्रदान कर सकता है । 0
ज्ञात हो कि इससे पूर्व भारत ने दुनिया के कई देशों को महामारी से निपटने के लिये बड़ी संख्या में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन , रेमेडिसविर और पैरासिटामोल जैसी दवाइयाँ तथा साथ ही डायानोस्टिक किट , बेंटिलेटर , मास्क , दस्ताने और अन्य मेडिकल उपकरण प्रदान किये थे.
भारत ने कई पड़ोसी देशों के लिये क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यशालाओं का भी आयोजन किया है ।
भारत की वैक्सीन कूटनीति का महत्त्व सामरिक महत्त्व –
दीर्घावधिक ख्याति अर्जित करनाः
महामारी के कारण आर्थिक मोर्च पर संकट का सामना कर रहे पड़ोसी देशों के लिये भारत द्वारा दी जा रही वैक्सीन की खेप कई मायनों में काफी महत्त्वपूर्ण है और इससे भारत अपने निकटवर्ती पड़ोसी देशों व हिंद महासागर के देशों के मध्य दीर्घकालिक ख्याति अर्जित कर सकेगा ।
यह भारत की ‘ नेबरहुड फस्ट ‘ नीति के अनुरूप है । .
चीन की तुलना में रणनीतिक बढ़तः
हाल ही में चीन ने नेपाल , अफगानिस्तान , श्रीलंका , बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ बहुपक्षीय वार्ता करते हुए उन्हें कोरोना वायरस वैक्सीन देने की पेशकश की थी ।
पाकिस्तान के अतिरिक्त अन्य सभी देशों में भारत से जल्द वैक्सीन पहुँचने के कारण चीन की वैक्सीन और मास्क कूटनीति का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है ।
पश्चिमी देशों की तुलना में लाभः
जहाँ एक ओर समृद्ध पश्चिमी विशेष रूप से यूरोप के देश और अमेरिका अपनी विशिष्ट समस्यामा का सामना कर रहे हैं , वहीं अपने पड़ोसियों और अन्य विकासशील तथा अल्पविकसित देशों की सहायता करने के लिये भारत की की सराहना की जा रही है ।
आर्थिक लाभ
वैश्विक आपूर्ति केंद्र के रूप में भारत :
भारत के निकट पड़ोसियों के अलावा दक्षिण कोरिया , कतर , बहरीन , सऊदी अरब , मोरक्को में दक्षिण अफ्रोका आदि देशों ने भी भारत से वैक्सीन खरीदने की व्यक्त की है , जो कि आने वाले समय में भारत को वैश्विक वैक्सीन आपूर्ति का एक प्रमुख केंद्र बना सकता है ।
भारत के फार्मा विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ोतरी :
यदि भारतीय दीक विकासशील देशों की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करें है , तो यह भारतीय फार्मा बाजार के लिये दीर्घकालिक अवसर उपलब एक के तकनीकों के के ।
अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मददगारः
यदि भारत कोरीन वैक्सीन के उत्पादन का केंद्र बन जाता है तो इससे आर्थिक विकास पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा ।
‘ वैक्सीन शीत युद्ध ‘ से बचाव
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ‘ व्यापार युद्ध ‘ में कोरोना वायरस वैक्सीन को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा रहा था , जिसके कारण वैक्सीन टीकाकरण कार्यक्रम में देरी हो रही थी । इस प्रकार भारत द्वारा टीकों की शुरुआती शिपमेंट को इस द्विध्रुवी विवाद से बचाव के रूप में देखा जा सकता है
नैतिक अधिकार प्राप्त करने में सहायक
भारत द्वारा वैक्सीन वितरण कार्यक्रम ऐसे समय में संचालित किया जा रहा है , जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) के महानिदेशक ने विकसित देश के दवा उत्पादकों के नैतिक भ्रष्टाचार की आलोचना की है ।
ऐसे में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अधिक – से – अधिक नैतिक अधिकार मिल सकते हैं ।
वैक्सीन राष्ट्रवाद को रोकने में कारगर “
वैक्सीन राष्ट्रवाद ‘ का आशय उस तंत्र से है जिसके माध्यम से कोई देश पूर्व – खरीद समझौतों ( Pre – purchase Agreements ) : प्रयोग करते हुए खुद के लिये वैक्सीन की खुराक को सुरक्षित करा है और अन्य देशों को वैक्सीन देने से पूर्व अपने घरेलू बाजारों में प्राथमिकता देता है ।
वैक्सीन राष्ट्रवाद का मुख्य दोष यह है कि इसके कारण प्राय : छोटे व कम ससाधन वाले देशों का नुकसान का सामना करना पड़ता है । जरूरतमन्द देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराकर भारत ने ‘ वैक्सीन राष्ट्रवाद तन्त्र को बाधित करने का प्रयास किया है ।
वैश्विक सहयोग को सक्षम बनाना
भारत द्वारा वैक्सीन की आपूर्ति WHO समर्थित कोवाक्स ( COVAX ) सुविधा तंत्र के माध्यम से किये जा रहे वैश्विक सहयोग को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है ।
आगे की राह –
भारत को COVID – 19 वैक्सीन की घरेलू जरूरत और अपनी कूटनीतिक प्रतिबद्धताओं में संतुलन स्थापित करना होगा । –
ज्ञात हो कि 16 जनवरी , 2021 को शुरू हुआ भारत का COVID – 19 टीकाकरण अभियान विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है । .
भारत के लिये बड़ी चुनौती यह होगी कि वह विश्व को वैक्सीन की आपूर्ति करने के साथ ही अपने उन नागरिकों के लिये भी वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करे , जो इसकी लागत को वहन करने में सक्षम नहीं हैं ।
तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें , और इसे शेयर भी जरुर करें।
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