म्यांमार में सैन्य तख्तापलट | Myanmar Millitary coup 2021
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म्यांमार में सैन्य तख्तापलट हाल ही में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद सेना ने सत्ता हासिल कर ली , ज्ञात हो कि वर्ष 1948 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से यह म्यांमार में तीसरा तख्तापलट है ।
प्रमुख बिंदु –
- म्यांमार में एक वर्ष की अवधि के लिये आपातकाल लागू कर दिया गया है और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता ‘ आंग सान सू की ‘ को हिरासत में लिया गया है ।
प्रायः ‘ तख्तापलट ‘ का अर्थ हिंसक और अवैध रूप से लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार की शक्तियों को हथियाने से होता है ।
- वर्ष 2021 की शुरुआत में जब नवनिर्वाचित संसद का पहला सत्र आयोजित किया जाना था तभी संसदीय चुनावों में भारी धोखाधड़ी का हवाला देते हुए सेना द्वारा एक वर्ष की अवधि के लिये आपातकाल लागू कर दिया गया ।
- नवंबर 2020 में हुए संसदीय चुनाव में ‘ आंग सान सू की ‘ के राजनीतिक दल नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ( NLD ) को अधिकांश सीटें हासिल हुई थीं ।
- वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किये गए संविधान के मुताबिक , म्यांमार को संसद में सेना के पास कुल सीटों का प्रतिशत हिस्सा होता है और का प्रमुख मंत्री पद भी सैन्य नियुक्तियों के लिये आरक्षित है ।
वैश्विक प्रतिक्रिया .
चीन :
चीन ने इस मामले पर स्पष्ट किया है कि म्यांमार में सभी पक्षा राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के लिये संविधान तथा कानूनी डाँचे के तहत अपने पाभेदों को जल्द ही समाप्त कर लेंगे ।
अमेरिकाः
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने देश के सैन्य प्रतिनिधियों द्वारा तख्तापलट किये जाने के बाद म्यांमार पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस मामले पर एकजुटता को मांग की है । –
आसियान देश :
आसियान की अध्यक्षता कर रहे बुनेई ने म्यांमार में सभी पक्षों के बीच संबाद और सामंजस्य का आहान किया है तथा उनसे पुनः सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह किया है । .
भारत की प्रतिक्रिया :
भारत भी म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया का समर्थन करता है । भारत ने म्यांमार के हालिया घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की है
म्यांमार में भारत के सामरिक हित
म्यांमार की सेना के साथ भारत के संबंध –
- म्यांमार के साथ भारत के सैन्य – राजनयिक संबंध भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है|
- वर्ष 2020 में सेनाध्यक्ष और विदेश सचिव के दौरे को पूर्व संध्या पर म्यांमार में 22 भारतीय विद्रोहियों को वापस भारत को सौपा था .
- साथ ही भारत की ओर से म्यांमार को सैन्य हार्डवेयर , जिसमें 105mm लाइट आर्टिलरी गन , नौसनिक गरमोट और हल्को टॉरपीडो आदि को विक्री बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया था
- दोनों देशों के बीच सहयोग का हालिया उदाहरण देखें तो म्यांमार द्वारा अपने टीकाकरण अभियान में भारत में भेजे गए कोरोना वायरस के टीके की 1.5 मिलियन खुराक का प्रयोग किया जा रहा है जबकि वहाँ चीन को 3,00,000 खुराक पर फिलहाल के लिये रोक लगा दी गई है।
म्यांमार में भारत के हित
अवसंरचना और कनेक्टिविटी :
भारत ने म्यांमार के साथ कई अवसंरचना और विकास संबंधी परियोजनाओं की शुरुआत की है , क्योंकि भारत म्यांमार को पूर्वी एशिया और आसियान देशों में प्रवेश द्वार के रूप में देखता है ।
- म्यांमार के रखाइन प्रांत में वर्ष 2021 तक महत्त्वपूर्ण सित्वे बंदरगाह का परिचालन शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है ।
- भारत द्वारा त्रिपक्षीय राजमार्ग ( भारत – म्यांमार – थाईलैंड ) और कलादान मल्टी मोडाल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में सहायता की जा रही है । .
- कलादान परियोजना कोलकाता को म्यांमार के सित्वे और फिर म्यांमार की कलादान नदी में भारत के उत्तर – पूर्व को जोड़ेगी ।
- दोनों देशों ने वर्ष 2018 में भूमि सीमा पार करने से संबंधित समझोत पर हस्ताक्षर किये थे जिसके माध्यम से भारत – म्यांमार सीमा पर प्रवेश निकास के दो अंतर्राष्ट्रीय बिंदुओं पर सीमा पार करने के लिये वैध दस्तावेजों वाले यात्रियों को यात्रा की अनुमति दी गई थी ।
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ :
भारत , म्यांमार में शरण ले रहे यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ( UNLF ) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड ( NDFB ) जैसे उत्तर – पूर्व क्षेत्र के कुछ उग्रवादी समूहों रूस को लेकर चितित है
भारत को उत्तर – पूर्व सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के आयोजित लिये म्यांमार के समर्थन तथा उसके साथ समन्वय को आवश्यकता है ।
रोहिंग्या मुद्दा :
भारत और बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में मौजूद संयुक्त रोहिग्या शरणार्थियों को सुरक्षित , स्थायी और शीघ्र वापसी सुनिश्चित – करने के लिये भारत में अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है ।
रखाइन राज्य विकास कार्यक्रम ‘ ( RSDP ) के तहत की गई प्रगति के आधार पर भारत ने हाल ही में कार्यक्रम के चरण- III के तहत परियोजनाओं को अंतिम रूप देने का प्रस्ताव किया है , . जिसमें कौशल प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना और कृषि तकनीक का उन्नयन शामिल है –
निवेशः
1.2 बिलियन डॉलर के निवेश संबंधी आंकड़ों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि म्यामांर दक्षिण एशिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत के लिये काफी अधिक महत्व रखता है । –
ऊर्जाः
दोनों देश ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में भी साझेदारी का विस्तार कर रहे हैं । हाल ही में भारत ने म्यांमार की स्व तेल और गैस परियोजना में 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश को मंजूरी दी है ।
आगे की राह –
भारत ने म्यांमार के हालिया घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की है किंतु म्यांमार की सेना से अपने संबंध खराब करना भारत के लिये एक व्यवहार्य विकल्प नहीं होगा , क्योकि म्यांमार के साथ भारत के कई भारत महत्वपूर्ण आर्थिक और सामरिक हित जुड़े हुए हैं ।
म्यांमार के मौजूदा गतिरोध को समाप्त करने में सहायता करने के लिये भारत को संवैधानिकता और संघवाद से संबंधित अपने अनुभवों को साझा करना चाहिय़े ताकी गतिरोध की इस समस्या से निपटा जा सके।
तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें , और इसे शेयर भी जरुर करें।
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