Shiv Aarti शिव आरती हिंदी में वह प्रार्थना है जो मान्यता के अनुसार भगवान शिव को समर्पित की जाती है। यह आरती उनकी महिमा, गुणों और महत्व का वर्णन करती है। भगवान शिव जी की महिमा अनन्त है। वे हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति में से एक हैं और सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी हैं। शिव जी की महिमा कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित है: shiv aarti in hindi
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Shivji Ki Aarti | Om Jai Shiv Omkara Lyrics In Hindi
यह आरती भक्तों द्वारा प्रतिदिन पढ़ी जाती है और भगवान शिव की आराधना करते समय उन्हें समर्पित की जाती है। यहां शिव आरती के हिंदी में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
भगवान शिव की जय, भोलेनाथ भगवान की जय…
shivji ki aarti
SHIV KAUN HAI? | शिव कौन हैं?
महायोगी और अद्वैती: शिव जी को महायोगी और अद्वैती माना जाता है, जो विचारों और ब्रह्मा की अपार शक्ति के माध्यम से जगत् की सृष्टि, स्थिति और संहार का कार्य करते हैं।
अर्धनारीश्वर रूप: शिव जी को अर्धनारीश्वर, एक संकीर्ण रूप में दिखाया जाता है, जहां उनका दाहिना भाग पुरुष को और बायाँ भाग प्रकृति को प्रतिष्ठित करता है। इससे शिव जी का प्रतीक्षा और संतुलन की प्रतीक रूप में महत्व है।
अशुभनाशक: शिव जी को अशुभनाशक भी कहा जाता है, जिनकी कृपा से उनके भक्तों के सभी अशुभ और नकारात्मक गुण समाप्त हो जाते हैं और उन्हें धार्मिक उन्नति, मुक्ति और आनंद की प्राप्ति होती है।
नातराज रूप: शिव जी को नटराज (सभी कलाओं के ईश्वर) भी कहा जाता है।
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