Sanatan Dharm Kitna Purana Hai

Sanatan Dharm Kitna Purana Hai : सनातन धर्म लगभग 5000 से 7000 वर्ष पुराना है ऐसा विद्वान मानते है माना जाता है कि सनातन धर्म के प्राचीन ग्रंथ, जिन्हें वेदों के नाम से जाना जाता है, की रचना 1500 ईसा पूर्व और 500 ईसा पूर्व के बीच हुई थी।

सनातन धर्म (Sanatan Dharma) हिंदी में “सनातन” का अर्थ होता है “अनन्त” या “अविनाशी” और “धर्म” का अर्थ होता है एक आचारधर्म या विश्वासधर्म”. सनातन धर्म भारतीय सबके लिए प्राचीन धार्मिक और दार्शनिक परंपरा है, जो अनेक हजारों वर्षों से चली आ रही है। यह धर्म ब्रह्मांडिक तत्वों, मानवीय जीवन के मूल्यों, ध्यान एवं मेधा की प्रथाओं, आत्मा के मुक्ति के सिद्धांतों और न्यायशास्त्र की प्रामाणिकता पर आधारित है।

सनातन धर्म की परंपरा में हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म आदि शामिल हैं। सनातन धर्म में सत्य, न्याय, आदर्श, कर्म, ध्यान और मोक्ष जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांत होते हैं। इसका उद्देश्य मानव जीवन को सुखी, शांतिपूर्ण और उच्चतम प्रकार के ज्ञान और मुक्ति के मार्ग पर लाना होता है। Sanatan Dharm Kitna Purana Hai

Sabse Purana Dharm Kaun Sa Hai | सबसे पुराना धर्म कौन सा है?

Sanatan Dharm Kitna Purana Hai सनातन धर्म का अर्थ होता है “अद्वितीय धर्म” या “अनन्त धर्म”. “सनातन” शब्द संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “अनंत” या “अविनाशी”, जो कि धर्म की अविनाशी स्वरूपता और नित्यत्व को दर्शाता है। इसका अर्थ होता है कि सनातन धर्म ब्रह्मांड के नियमों और अनंत सत्यों पर आधारित है जो कि अकारणबद्ध हैं और समय और परिस्थितियों के साथ नहीं बदलते हैं। सनातन धर्म में समय, स्थान और पर्यायों की प्रतिबद्धता से परे एक अद्वितीयता और अनंतता की भावना होती है। यह धर्म अपार, अमर और सर्वव्यापी होता है जो समस्त जीवन के विकास और समृद्धि के लिए सार्वभौमिक तत्वों को स्वीकार करता है।

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Sanatan Dharm Kitna Purana Hai

Sanatan Dharm Kya Hai | सनातन धर्म क्या है?

Sanatan Dharm Kitna Purana Hai सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के सबसे पुराने जीवित धर्मों में से एक माना जाता है। इसकी उत्पत्ति का पता हजारों वर्षों में लगाया जा सकता है। सनातन धर्म की सटीक आयु विद्वानों के बीच बहस का विषय है, क्योंकि यह एक लंबी अवधि में विकसित और विकसित हुआ है।

Sanatan Dharm Kya Hai सनातन धर्म लगभग 5000 से 7000 वर्ष पुराना है ऐसा विद्वान मानते है लेकिन यह प्रमाणिक नहीं है क्यूकी सर्नेक्षण इसकी जड़ें और भी गहरी बताते है।

माना जाता है कि सनातन धर्म के प्राचीन ग्रंथ, जिन्हें वेदों के नाम से जाना जाता है, की रचना 1500 ईसा पूर्व और 500 ईसा पूर्व के बीच हुई थी। हालाँकि, सनातन धर्म की जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में मौजूद पहले की परंपराओं और स्वदेशी मान्यताओं में भी पाई जा सकती हैं। Sanatan Dharm Kitna Purana Hai

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सनातन धर्म एक निश्चित प्रारंभिक बिंदु वाला स्थिर धर्म नहीं है। इसने अपने पूरे इतिहास में विभिन्न दार्शनिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक तत्वों को विकसित और आत्मसात किया है। इसलिए, सनातन धर्म के लिए एक सटीक आयु निर्धारित करना जटिल है, और इसे एक विशाल और लगातार विकसित होने वाली धार्मिक और दार्शनिक परंपरा के रूप में देखना अधिक उपयुक्त है। Sanatan Dharm Kya Hai

Sanatan Dharma In Hindi | Hindu Dharma Kitna Purana Hai?

Sanatan Dharm Kitna Purana Hai सनातन धर्म की शुरुआत एक निश्चित इतिहासिक घटना नहीं है, और इसके आदि को लेकर विभिन्न मतानुसार विचार विभाजित हैं। सनातन धर्म भारतीय उपमहाद्वीप की अन्य धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं का संकल्प है, जिनमें वेद, उपनिषद, पुराण, धर्मशास्त्र, रामायण, महाभारत और अन्य साहित्यिक ग्रंथ शामिल हैं।

सनातन धर्म की मूल आधारिक पाठशालाएं वेदों में स्थापित हैं, जिनका समयानुसार लगभग 1500 ई.पू. और 500 ई.पू. के बीच माना जाता है। वेदों में विभिन्न विचारधाराएं, पूजा प्रथाएं, मन्त्र, रितुअल्स, और योगिक तत्वों के बारे में उपलब्ध हैं। इसके बाद के समय में, उपनिषदों के माध्यम से दार्शनिक और तत्त्ववादी विचारों का विकास हुआ।

सनातन धर्म के विभिन्न अवतरणों, कथाओं, और धार्मिक आचरणों के आधार पर, कुछ लोग भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को सनातन धर्म की शुरुआत का मानते हैं। वे मानते हैं कि श्रीकृष्ण के आअपराध के कारण, मुझे यह जानकारी नहीं है कि सनातन धर्म की शुरुआत किसे मानी जाती है। सनातन धर्म विशेषज्ञों और विभिन्न संप्रदायों के पाठकों के बीच इस मुद्दे पर विभिन्न धारणाएं हैं। कृपया इसे एक धार्मिक प्रश्न के रूप में देखें और अपने अनुभवित गुरु, आध्यात्मिक नेता या विशेषज्ञ से परामर्श लें ताकि आपको इस मामले में उचित जानकारी मिल सके। Sanatan Dharm Kitna Purana Hai

Sanatan Dharma Kitna Purana Hai

सनातन धर्म के मूल सिद्धांत कई हैं, जो इसकी आधारभूत तत्वों और मूल विचारधाराओं को दर्शाते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण मूल सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है: Sanatan Dharm Kitna Purana Hai

ब्रह्मांडिक सत्य (Universal Truth): सनातन धर्म में यह मान्यता है कि ब्रह्मांड में एक एक मूल सत्य होता है, जिसे ज्ञानी योगी द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

आत्मा और परमात्मा (Soul and Supreme Soul): सनातन धर्म में मान्यता है कि हर जीवात्मा एक आत्मा है और सबका आत्मा परमात्मा में एकीकृत होना चाहिए।

कर्म और धर्म (Karma and Dharma): सनातन धर्म में कर्म का महत्वपूर्ण स्थान है और धर्म के माध्यम से सही कर्मों की प्रोत्साहना की जाती है। यह मान्यता है कि यदि हम अच्छे कर्म करते हैं और अपने धर्म का पालन करते हैं, तो हम सुखी और समृद्ध जीवन जी सकते हैं।

मोक्ष (Moksha): सनातन धर्म में मोक्ष को सर्वोच्च लक्ष्य माना जाता है। यह मुक्ति है जिसमें आत्मा ब्रह्म से एकीकृत हो जाती है और संसारी बंधनों से मुक्त होती है|

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Sanatan Meaning In Hindi

सनातन धर्म में कई देवताओं और देवीयों (33 कोटी/ प्रकार 8 वसु, 11 रुद्र और 12 आदित्य और 2 अश्विनीकुमार )की पूजा की जाती है, जो भगवान के विभिन्न रूपों और गुणों को प्रतिष्ठित करती हैं। कुछ महत्वपूर्ण देवताओं और देवीयों की पूजा निम्नलिखित है:

ब्रह्मा, विष्णु, और शिव: त्रिमूर्ति, यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव, सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। ये त्रिमूर्ति भगवान के तीन मुख हैं और विभिन्न कार्यों और गुणों की प्रतिष्ठा करते हैं।

देवी दुर्गा: देवी दुर्गा, जिन्हें शक्ति की प्रतिष्ठा के रूप में जाना जाता है, सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हैं। वे सत्त्व, रजस, और तमस की शक्तियों को प्रतिष्ठित करती हैं।

भगवान राम और भगवान कृष्ण: भगवान राम और भगवान कृष्ण सनातन धर्म में आदर्श पुरुषों के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं। उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से मानवता, धर्म, और न्याय के आदर्शों को प्रकट किया है।

माता लक्ष्मी: माता लक्ष्मी, धन, समृद्धि, और आर्थिक सम्पन्नता की प्रतिष्ठा के रूप में मानी जाती है।

सूर्य और चंद्रमा: सूर्य और चंद्रमा, जो कि सूर्य देवता और चंद्रमा देवी के रूप में पूजे जाते हैं, प्राकृतिक उर्जा और प्रकाश के प्रतीक हैं।

यह उपर्युक्त देवी-देवताओं की सूची केवल संक्षेप में है|

Sanatan Dharm Ke Pramukh Shlok | सनातन धर्म के श्लोक

सनातन धर्म में विभिन्न प्रमुख ग्रंथों में श्लोकों की प्राचीनता और महत्त्वपूर्णता होती है।

यहां कुछ प्रसिद्ध सनातन धर्म के ग्रंथों से चुने गए श्लोकों का उल्लेख किया गया है: Sanatan Dharm Kitna Purana Hai

श्रीमद् भगवद् गीता: Shrimad Bhagwad Gita Ke Shlok

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥" (गीता 2.47)
"यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥" (गीता 3.21)
रिग्वेद: Rigved Ke Shlok

“असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय॥” (रिग्वेद 1.3.28)
यजुर्वेद: Yajurved Ke Shlok

“अहिंसा परमो धर्मः। धर्म हिंसा तथैव च॥” (यजुर्वेद 40.5)
श्रीमद् भागवतम्:

“सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते। अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्विकम्॥” (भागवतम् 18.20.29)
ये श्लोक सुंदरता, ज्ञान, नैतिकता, धार्मिकता, आत्मज्ञान, और जीवन के मार्ग के संकेत में महत्वपूर्ण हैं।

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F&Q – Sanatan Dharma Se Jude Facts In Hindi

Q. सनातन धर्म के प्रमुख देवी देवता कौन-कौन हैं?
– सनातन धर्म के प्रमुख देवी-देवताओं में शिव, विष्णु, देवी दुर्गा, देवी काली, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, गणेश, सूर्य, हनुमान, कर्तिकेय, यमराज और अग्नि शामिल हैं।

Q. सनातन का अर्थ क्या है? | Sanatan Meaning In Hindi
-सनातन” शब्द का अर्थ होता है “शाश्वत” यानी जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा

Q. Vishv Ka Sabse Purana Dharm Kaun Sa Hai
-विश्व का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म है

Q. हिन्दू धर्म के अनुसार पुराणों की संख्या कितनी है?
-हिंदू धर्म के अनुसार पुराणों की संख्या कुल 18 बताया गया है

Q.सनातन धर्म कितना पुराना है? | Sanatan dharma kitna purana hai
– सनातन धर्म लगभग 5000 से 7000 वर्ष पुराना है

जरूर, आपके सनातन धर्म से जुड़े कुछ सवाल हैं और मैं उनके जवाब देने की कोशिश करूँगा। ध्यान दें कि मेरा ज्ञान 2021 के सितंबर तक है, इसलिए कुछ नए घटनाओं के बारे में मुझे जानकारी नहीं हो सकती।

  1. सनातन धर्म क्या है और इसकी मूलभूत विशेषताएँ क्या हैं?
    सनातन धर्म एक प्राचीन धार्मिक परंपरा है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुई थी। यह धर्म अनेक समुदायों, शाखाओं और धार्मिक विचारधाराओं को समायोजित करता है। सनातन धर्म का धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता भी है। इसमें आध्यात्मिकता, मोक्ष, कर्म, धर्म, धर्मरक्षा और भक्ति जैसे विषयों पर ज्ञान प्रदान किया जाता है।
  2. सनातन धर्म की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?
    सनातन धर्म की उत्पत्ति का निर्धारण करना कठिन है, क्योंकि यह धार्मिक परंपरा बहुत प्राचीन है। इसकी शुरुआत कई हजार वर्ष पहले हो गई थी और इसका विकास विभिन्न कालों में हुआ। इसे प्राचीन आर्य संस्कृति से जोड़ा जा सकता है।
  3. सनातन धर्म में ईश्वर की प्रतिष्ठा कैसे होती है?
    सनातन धर्म में ईश्वर को ब्रह्मन या परमात्मा के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। यह धार्मिक परंपरा वेदों में दिये गए दिव्य शब्दों के आधार पर आधारित है और इसे अव्यक्त और अविनाशी माना जाता है। भक्ति और ध्यान के माध्यम से इच्छित ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
  4. कर्म का सिद्धांत क्या है और सनातन धर्म में कर्म का महत्व क्या है? Karm Ka sidhant Kya Hai?
    कर्म सिद्धांत सनातन धर्म में महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। इसके अनुसार, एक व्यक्ति के कर्म उसके भविष्य को प्रभावित करते हैं और उसे उसके प्राप्त फलों का अनुभव करना पड़ता है। यह सिद्धांत कहता है कि सभी कर्मों को निष्काम भाव से किया जाना चाहिए, अर्थात फल की आशा के बिना। कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग सनातन धर्म में इस सिद्धांत को अपनाने के लिए उपयोगी रास्ते हैं।

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