Rehras Sahib PDF : आरंभ से प्रारंभ होने तक बहुत सारे धार्मिक ग्रंथों में, सिखों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब जी की एक महत्वपूर्ण बाणी “रहरास साहिब” है। यह बाणी अमृत की तरह है जो सिखों को प्रकाश, सुख और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। रहरास साहिब का पाठ करना सिखों के रोज़ाना जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है और इसे हिन्दी भाषा में प्रकट करना सभी व्यक्ति को इस आदर्शपूर्ण बाणी के गंभीर अर्थों और संदेशों से परिचित कराने का अवसर प्रदान करता है।

रहरास साहिब गुरु ग्रंथ साहिब जी में महला ४ में लिखी गई है और इसे सिख समुदाय की संगत के रूप में साथ पठने की सलाह दी गई है। इस बाणी का पाठ करने से पहले, सिख साधक को अपनी मनसा, अर्थात् मन को शुद्ध करके, वाहिगुरू की ओर समर्पित करना चाहिए। इसके बाद वाहिगुरू के चरणों के समक्ष बैठकर पाठ किया जाता है।

रहरास साहिब के पाठ का महत्वपूर्ण उद्देश्य सिखों को वाहिगुरू के नाम के ध्यान में लगाना है। इसके माध्यम से सिख साधक अपनी अंतरात्मा को पवित्र बनाता है और सुख और शांति का अनुभव करता है। इस पाठ के द्वारा सिख समुदाय के सदस्य गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और मार्गदर्शन का अनुसरण करते हुए, अपने जीवन को वाहिगुरू की इच्छा के अनुसार रचना करते हैं।

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Rehras Sahib Path In Hindi | Rehras Sahib In Hindi

रहरास साहिब॥

वाहिगुरू जी का खालसा॥ वाहिगुरू जी की फतेह॥

रहरास साहिब, महला ४॥

तिस गुर कौ होइ सेवक आखीऐ॥ सोई साहिब मिलै जे दिसै चंदु लाख वार॥

आदि पुरख आदि पुरखु आदिनामु जुगादिनामु॥

अतुल प्रभु मदनु जुगादिनामु॥ कोई नाही तेरा अपारु॥

सोई गुरू समझिओ हमारे प्रभु अपारु॥

आदि मुरारि तुज बिनु रोसु॥ परमेसरु सिमरि सिमरि तुझ गोसु॥

सरब निधान दुखि जीवन के रस॥ नानक दुखिया सभ संसार नगर नाथ॥

जिनि प्रसादि अगम अगवा॥ तिनी नामि माणिख अराधिआ॥

अवल अकालि मूरति अनाम॥ तेरा जबाबि न जाणै कोइ॥

सरब दा सुखावा॥

तुम ते मोहि जानीऐ सभ अराधि निहाल॥ चरण कमल निरंतरि जाही पूजां निधान॥

नानक दास उपाए चिंतामनि॥ आदि अंति एकै अवतार॥

तुम दातार॥

चारि पहर अरदासि॥ हमरी करो हाथि रखासि॥

पुरन होइ चिति काला॥ तांकि होइ सभी रहिआ समाले॥

आप हथि दै आपे सवारि॥ नानक हरि साजन सुखदाता॥

आसा महला ४॥

आपे ही मिलै समाइऐ॥ आप हि हम चिन्ता बिभुआ थाइऐ॥

दुखु बिनासै सब थाईऐ॥ पूरन होइ जो चिति आईऐ॥

सगल दुख मिटै सुखु पाईऐ॥ आप हि धरि अपुनी दाता॥

आदि अंति पुरखु पाइऐ॥

तुधु बिनु दुजा कोई नाई॥ जो सभी थाइऐ अपारु॥

आदि रूपु अनूपु सरूपु॥ तुम सम्रथु सभु बापु सभु सजगतु॥

तुम ठाकुरु सम्रथु साजन हमारा॥ नानक जन कै प्रभु सद भले सोही॥

जो प्रभु सेवे सोई परम गति पावे॥

रहरास साहिब, दसवा द्वार॥ बाणी गुरु ग्रंथ साहिब जी की॥

देखि परोपकार आगे उघारे॥

वाहिगुरू जी का खालसा॥ वाहिगुरू जी की फतेह॥

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रहरास साहिब के पाठ के दौरान, सिख समुदाय को वाहिगुरू के गुणों का स्मरण करने, गुरु द्वारा बताए गए अद्वैत तत्त्वों का विचार करने, और उनकी हुकम का पालन करने का मौका मिलता है। इसके साथ ही, यह बाणी भक्ति और गुरु के साथ निजी संबंध के विकास को भी प्रोत्साहित करती है। यह एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो सिखों को वाहिगुरू के साथ एकता और संबंध का अनुभव कराता है।

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Rehras Sahib Path In Hindi | Rehras Sahib Pdf

Rehras Sahib Pdf रहरास साहिब का पाठ करने से प्राप्त होने वाले लाभ विशाल हैं। यह सिखों को मन की शांति, आत्मिक रूप से संतुष्टि और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है। यह उन्हें सुख, सफलता और स्वर्गीय आनंद के मार्ग में आगे बढ़ने की सामर्थ्य प्रदान करता है। इसके अलावा, रहरास साहिब सिख समुदाय के लिए एक मार्गदर्शक उपदेश भी है, जो उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन के आदर्शों को साधारित करने के लिए प्रेरित करता है।

इस प्रकार, रहरास साहिब बाणी सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संगीतमय पाठ है जो आत्मा को प्रशांति, सुख और दिव्यता का अनुभव कराता है। इसका पाठ सिख समुदाय के लिए आध्यात्मिक उन्नति का साधन है और उन्हें वाहिगुरू के साथ एक गहरा संबंध बनाने में सहायता करता है। रहरास साहिब का पाठ करना सिख समुदाय को शक्तिशाली और सतत रूप से उन्नत बनाता है और उन्हें वाहिगुरू के आदेशों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।

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