15 वें वित्त आयोग की सिफारिशें : Recomendations of 15th Finance commision 2021
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राजकोषीय प्रबंधन-
हाल ही में 15 वें वित्त आयोग की रिपोर्ट को संसद के समक्ष प्रस्तुत किया गया । इसमें केंद्र और राज्य दोनों के राजकोषीय घाटे और ऋण संबंधी आवश्यकताओं पर सिफारिशें की गई हैं ।
राजकोषीय घाटा –
केंद्र के लिये लक्ष्यः
15 वें वित्त आयोग द्वारा यह अनुशंसा की गई है कि केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2022 के सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 % से वर्ष 2025-26 में 4 % तक ले आएगी । –
राज्यों के लिये लक्ष्यः
राज्यों के लिये 15 वें वित्त आयोग ने वर्ष 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद ( GSDP ) का 4 % उसके अगले वर्ष में 3.5 % और बाद के अगले तीन वर्षों के लिये 3 % राजकोषीय घाटे की सिफारिश की । 15 ve vitt ayog ki sifarish hindi
राज्यों के लिये उधार सीमा –
ज्ञात हो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 293 के तहत राज्य सरकारें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित उधार सीमा के अधीन कार्य करती हैं ।
आयोग ने निवल उधार सीमा को वर्ष 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद ( GSDP ) के 4% , वर्ष 2022-23 में 3.5% तथा वर्ष 2023-24 से वर्ष 2025-26 तक 3% पर बनाए रखने की सिफारिश की है ।
इसके अलावा, यदि राज्य द्वारा ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित सुधारों के मानदंडों को पूरा कर लिया जाता को पूरा कर लिया जाता है तो उन्हें सकल राज्य घरेलू उत्पाद ( GSDP ) का अतिरिक्त 0.5 प्रतिशत ऋण लेने की अनुमति दी जाएगी ।
केंद्र प्रायोजित योजना को बेहतर निगरानी
वार्षिक विनियोग की सीमा संबंधी एक राशि तय की जानी चाहिये , जिससे नीचे केंद्र प्रायोजित योजना के लिये धन का आवंटन रोक दिया जाये।
निर्धारित सीमा से कम राशि की योजना को प्रशासनिक विभाग द्वारा .इसका जारी रखे जाने की आवश्यकता को न्यायसंगत सिद्ध किया जाना चाहिये । 15 ve vitt ayog ki sifarish hindi
मौजूदा योजनाओं के जीवन चक्र को वित्त आयोगों को कार्यावधि के समान ही डिजाइन किया गया है , जिससे सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं .तटीय के तृतीय पक्ष मूल्यांकन को एक निर्धारित समय – सीमा के भीतर पूरा – किया जा सकेगा । .
नया FRBM फ्रेमवर्क
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम ( FRBM Act ) , 2003 के पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर देते हुए 15 वे वित्त आयोग ने सिफारिश की है कि ऋण स्थिरता को परिभाषित करने और उसे प्राप्त करने के लक्ष्य से संबंधित समय – सीमा की जाँच एक उच्च स्तरीय अंतर – सरकारी समूह द्वारा की जा सकती है ।
यह उच्च संचालित समूह नए FRBM ढाँचे को तैयार कर सकता है और इसके कार्यान्वयन की देखरेख कर सकता है । .
राज्य सरकारें स्वतंत्र सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठों का गठन कर सकती हैं , जो उनके ऋणादान कार्यक्रम को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने में मदद करेंगे ।
तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें , और इसे शेयर भी जरुर करें।
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