कीमत – स्तरों में परिवर्तन का आर्थिक विकास पर अनेक प्रकार से प्रभाव पड़ता है । कीमतें न केवल उत्पादन की मात्रा को प्रभावित करती हैं बल्कि आय को भी और आय में परिवर्तन के द्वारा उपभोग – स्तर भी प्रभावित होता है । कीमतें ही बचत तथा निवेश की मात्रा को निर्धारित करती हैं । प्रत्येक अर्थव्यवस्था- नियोजित अथवा अनियोजित , विकसित अथवा विकासशील में कीमतों का काफी विस्तृत प्रभाव होता है ।
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how to control inflation in economy – mudrasfiti kya hai- मुद्रास्फीति उत्पादकों एवं उद्यमियों के लिए एक उत्प्रेरक का कार्य करती है , क्योंकि कीमतों में वृद्धि होने पर उनके मौद्रिक लाभों में वृद्धि होती है । लेकिन व्यावहारिक धरातल पर वेतनभोगी कर्मियों , निश्चित आय प्राप्त करने वाले छोटे – छोटे निवेशकों तथा आम नागरिकों के लिए कीमतों में वृद्धि हमेशा ही कष्टकारक सिद्ध होती है क्योंकि इससे उनकी वास्तविक आय कम हो जाती है । वे उतनी ही मौद्रिक इकाई से पहले की अपेक्षा कम वस्तुएँ क्रय कर पाते हैं ।
मुद्रास्फीति को रोकने की नीति ( Policy to Prevent Inflation )
मुद्रास्फीति के दोषों को देखते हुए इसकी रोकथाम करना सरकार का आवश्यक कर्तव्य होता है । स्फीति की स्थिति का आरम्भ होते ही इसे दबा देना अच्छा होता है । स्फीति के वेग को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये जा सकते हैं –
मौद्रिक उपाय ( Monetary Measures ) –
- बैंक दर ( Bank Rate )
- सांविधिक तरलता अनुपात ( Statutory Liquidity Ratio )
- नकदी प्रारम्भिक अनुपात ( Cash Reserve Ratio )
- रेपो दर ( Repo Rate )
- रिवर्स रेपो दर ( Reverse Repo Rate )
बैंक दर तथा रेपो दर में वृद्धि करने से वाणिज्यिक बैंकों की निधियों को संग्रहित करने की लागत बढ़ जाती है जिसे वे अन्ततः उधार लेने वालों पर हस्तान्तरित करते हैं । साख लेना महँगा हो जाता है और लोग बैंकों से कम उधार लेते हैं । इससे आपूर्ति कम हो जाने से कीमतें घटने लगती हैं ।
राजकोषीय उपाय ( Fiscal Measures )
- स्फीति के नियन्त्रण के लिए यथासम्भव बजट सन्तुलित रखना आवश्यक होता है । घाटे का बजट होने पर सरकार को मुद्रा – निर्गमन का सहारा लेना पड़ता है ।
- करों में वृद्धि के द्वारा सरकार अपने साधनों में वृद्धि कर सकती है तथा समाज में अतिरिक्त क्रय – शक्ति को प्रभावहीन बना सकती है ।
- सार्वजनिक ऋण में वृद्धि से एक ओर तो लोगों के पास तरल मुद्रा की मात्रा कम होती है , दूसरी ओर सरकार ऋणों से प्राप्त किये गये धन को उत्पादन की वृद्धि करने में प्रयोग करती है जिससे स्फीति का वेग नियन्त्रित होता है ।
- सरकार को अपने द्वारा किये गये उत्पादन कार्यों में पर्याप्त लाभ प्राप्त करना चाहिए तथा ऐसे उपाय अपनाने चाहिए जिससे इनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हो सके ।
- सार्वजनिक व्यय , विशेषकर अनुत्पादक व्यय को कम करना भी बहुत आवश्यक होता है ।
- वित्तीय उपायों द्वारा उपभोग को हतोत्साहित करके बचत को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ।
व्यापार सम्बन्धी उपाय ( Commercial Measures ) –
निवेश – ढाँचे में परिवर्तन ( Changes in Investment Pattern )
आय नियन्त्रण सम्बन्धी उपाय ( Income Control Measures )
प्रत्यक्ष नियन्त्रण ( Direct Controls )
उत्पादन वृद्धि ( Increase in Production )
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