मुद्रास्फीति को नियन्त्रित करने की नीति ( Policy to Control Inflation ) 

कीमत – स्तरों में परिवर्तन का आर्थिक विकास पर अनेक प्रकार से प्रभाव पड़ता है । कीमतें न केवल उत्पादन की मात्रा को प्रभावित करती हैं बल्कि आय को भी और आय में परिवर्तन के द्वारा उपभोग – स्तर भी प्रभावित होता है । कीमतें ही बचत तथा निवेश की मात्रा को निर्धारित करती हैं । प्रत्येक अर्थव्यवस्था- नियोजित अथवा अनियोजित , विकसित अथवा विकासशील में कीमतों का काफी विस्तृत प्रभाव होता है ।

स्वागत है दोस्तों आपका हमारी और आपकी अपनी वेबसाइट www.aurjaniy.com पर यहाँ हम आपको देते हैं सबसे अच्छा सिविल सर्विस सामान्य अध्ययन मटेरियल हिंदी में सबसे अच्छी किताबों और स्त्रोतों से और आजके इस ब्लॉग में हम जानेंगे

how to control inflation in economy – mudrasfiti kya hai- मुद्रास्फीति उत्पादकों एवं उद्यमियों के लिए एक उत्प्रेरक का कार्य करती है , क्योंकि कीमतों में वृद्धि होने पर उनके मौद्रिक लाभों में वृद्धि होती है । लेकिन व्यावहारिक धरातल पर वेतनभोगी कर्मियों , निश्चित आय प्राप्त करने वाले छोटे – छोटे निवेशकों तथा आम नागरिकों के लिए कीमतों में वृद्धि हमेशा ही कष्टकारक सिद्ध होती है क्योंकि इससे उनकी वास्तविक आय कम हो जाती है । वे उतनी ही मौद्रिक इकाई से पहले की अपेक्षा कम वस्तुएँ क्रय कर पाते हैं ।

मुद्रास्फीति को रोकने की नीति ( Policy to Prevent Inflation )

मुद्रास्फीति के दोषों को देखते हुए इसकी रोकथाम करना सरकार का आवश्यक कर्तव्य होता है । स्फीति की स्थिति का आरम्भ होते ही इसे दबा देना अच्छा होता है । स्फीति के वेग को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये जा सकते हैं –

मौद्रिक उपाय ( Monetary Measures ) – 

मुद्रास्फीति को नियन्त्रित करने के लिए केन्द्रीय बैंक सामान्य तथा निम्नलिखित उपकरणों को प्रयुक्त करता है
  1. बैंक दर ( Bank Rate ) 
  2. सांविधिक तरलता अनुपात ( Statutory Liquidity Ratio ) 
  3. नकदी प्रारम्भिक अनुपात ( Cash Reserve Ratio ) 
  4. रेपो दर ( Repo Rate ) 
  5. रिवर्स रेपो दर ( Reverse Repo Rate ) 

बैंक दर तथा रेपो दर में वृद्धि करने से वाणिज्यिक बैंकों की निधियों को संग्रहित करने की लागत बढ़ जाती है जिसे वे अन्ततः उधार लेने वालों पर हस्तान्तरित करते हैं । साख लेना महँगा हो जाता है और लोग बैंकों से कम उधार लेते हैं । इससे आपूर्ति कम हो जाने से कीमतें घटने लगती हैं ।

बाजार में मुद्रा की दूसरी ओर सांविधिक तरलता अनुपात और नकदी प्रारक्षित अनुपात में वृद्धि करने से वाणिज्यिक बैंकों के पास उधार देने योग्य निधियाँ कम हो जाती हैं जिससे वे पहले की कीमतों में कमी लाती है । तुलना में कम उधार दे पाते हैं । इससे भी खुले बाजार में मुद्रा की आपूर्ति कम होती है जो के साथ – साथ अग्रलिखित वित्तीय उपायों को भी अपनाना पड़ता है –policies to control inflation in India

 राजकोषीय उपाय ( Fiscal Measures )

मुद्रास्फीति के उपचार हेतु मौद्रिक उपायों 
  1.  स्फीति के नियन्त्रण के लिए यथासम्भव बजट सन्तुलित रखना आवश्यक होता है । घाटे का बजट होने पर सरकार को मुद्रा – निर्गमन का सहारा लेना पड़ता है ।
  2. करों में वृद्धि के द्वारा सरकार अपने साधनों में वृद्धि कर सकती है तथा समाज में अतिरिक्त क्रय – शक्ति को प्रभावहीन बना सकती है ।
  3. सार्वजनिक ऋण में वृद्धि से एक ओर तो लोगों के पास तरल मुद्रा की मात्रा कम होती है , दूसरी ओर सरकार ऋणों से प्राप्त किये गये धन को उत्पादन की वृद्धि करने में प्रयोग करती है जिससे स्फीति का वेग नियन्त्रित होता है ।
  4. सरकार को अपने द्वारा किये गये उत्पादन कार्यों में पर्याप्त लाभ प्राप्त करना चाहिए तथा ऐसे उपाय अपनाने चाहिए जिससे इनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हो सके ।
  5. सार्वजनिक व्यय , विशेषकर अनुत्पादक व्यय को कम करना भी बहुत आवश्यक होता है ।
  6. वित्तीय उपायों द्वारा उपभोग को हतोत्साहित करके बचत को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ।

व्यापार सम्बन्धी उपाय ( Commercial Measures ) –

स्फीति की दशा में सरकार द्वारा निरन्तर ऐसे उपाय करने की आवश्यकता होती है जिनसे नियन्त्रित रूप से आयात तथा निर्यात बढ़ सकें । स्फीति के निरन्तर बने रहने पर सरकार मुद्रा की विदेश विनिमय दर को गिराने अथवा अवमूल्यन ( devaluation ) करने के लिए विवश हो जाती है परन्तु जहाँ तक सम्भव हो विनिमय दरों में स्थिरता बनाये रखने के प्रयास करने चाहिए ।

निवेश – ढाँचे में परिवर्तन ( Changes in Investment Pattern )

स्फीति काल में प्राय : निवेश की मात्रा बढ़ती है जिसके कारण न केवल मौद्रिक आय में वृद्धि होती है , अपितु उत्पादन में आनुपातिक वृद्धि न होने के कारण स्फीति को प्रोत्साहन मिलता है । यह तो नहीं कहा जा सकता कि निवेश में वृद्धि को रोक दिया जाए , परन्तु सरकार को यह अवश्य देखना पड़ता है कि बढ़ते हुए निवेश के परिणामस्वरूप उत्पादन में तत्काल तथा यथेष्ट मात्रा में वृद्धि हो । ऐसे कार्य जिनमें बहुत अधिक पूँजी का निवेश होता है तथा उत्पादन की प्राप्ति दीर्घकाल में होती है , स्फीति – काल में उपयुक्त नहीं होते ।

आय नियन्त्रण सम्बन्धी उपाय ( Income Control Measures )

बढ़ती हुई कीमतों की स्थिति में व्यावहारिक रूप से आय अथवा मजदूरी को स्थिर रखना बहुत कठिन होता है , परन्तु फिर भी सरकार द्वारा ऐसे उपाय तो किये ही जा सकते हैं कि विभिन्न वर्गों द्वारा आय में अनुचित वृद्धि के लिए दवाव प्रभावपूर्ण न होने पाये ।
मुद्रास्फीति को नियन्त्रित करने की नीति
 
मुद्रास्फीति को रोकने के उपाय
 
मुद्रास्फीति को कम करने के उपाय
 
मुद्रास्फीति पर निबंध

प्रत्यक्ष नियन्त्रण ( Direct Controls )

मुद्रास्फीति की स्थिति में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियन्त्रित कर देना चाहिए । जिन वस्तुओं की माँग उनकी पूर्ति की अपेक्षा बहुत अधिक है उनका राशनिंग करना चाहिए । विदेशी व्यापार पर प्रत्यक्ष नियन्त्रण तथा देश की औद्योगिक नीति पर नियन्त्रण भी मुद्रास्फीति के विरुद्ध प्रयोग में लाये जाते हैं ।

उत्पादन वृद्धि ( Increase in Production )

स्फीति का प्रभाव कम करने के लिए उत्पादन की मात्रा में वृद्धि करना भी आवश्यक होता है । ऐसे उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जिनमें पूँजी का निवेश तो कम हो परन्तु शीघ्र उत्पादन द्वारा उपभोक्ताओं की आवश्यकताएँ अधिक से अधिक पूरी की जा सकें ।
कृषि उत्पादन में वृद्धि स्फीति के नियन्त्रण में विशेष रूप से सहायक होती है । यह स्मरण रहे कि स्फीति के नियन्त्रण के लिए अप्रत्यक्ष उपायों के साथ – साथ कुछ विशेष वस्तुओं की कीमतों को प्रत्यक्ष रूप से नियन्त्रित करना भी आवश्यक होता है तथा उत्पादन वृद्धि के प्रयास करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है । इस प्रकार सन्तोषजनक ढंग से स्फीति के नियन्त्रण के लिए उपर्युक्त सभी उपायों को एक साथ अपनाना अधिक उपयुक्त होता है ।policy to control inflation in hindi –policy to control inflation

औरजानिये। Aurjaniye

तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें और इसे शेयर भी जरुर करें।

औरजानिये। Aurjaniye

For More Information please follow Aurjaniy.com and also follow us on Facebook Aurjaniye | Instagram Aurjaniye and Youtube  Aurjaniye with rd

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version