मिशन चन्द्रयान

प्रधानमंत्री का वादा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किले से इस बात का ऐलान किया था कि 2022 तक या उससे पहले यानी आज़ादी के 75वें साल में भारत के नागरिक हाथ में झंडा लेकर अंतरिक्ष में जाएगें और भारत मानव को अंतरिक्ष तक ले जाने वाला देश बन जाएगा।

प्रधानमंत्री के वादे के मुताबिक, इसरो का चंद्रयान-2 मिशन बेहद महत्वपूर्ण है।

  • इसमें एक ऑर्बिटर है।
  • विक्रम नाम का एक लैंडर है।
  •  प्रज्ञान नाम का एक रोवर है। 
  • इस मिशन के तहत भारत पहली बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, जो बहुत मुश्किल होती है। 
  • इस पूरे मिशन पर लगभग 900 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं। 
  • चंद्रयान-2 का वजन 3.8 टन है ।
  • इसे जीएसएलवी मार्क तीन अंतरिक्ष यान के जरिए चांद पर भेजा जाएगा। इसरो को इस मिशन से काफी उम्मीदें हैं।
  • भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ही चांद की सतह पर अपना यान उतार सके हैं।
  • चंद्रयान-2,  7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा। भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद की सतह पर यान उतारने वाला चौथा देश होगा।
  • अभी तक किसी देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास यान नहीं उतारा इसका मतलब ऐसा करने वाला भारत विश्व का पहला देश  बन चुका है ।

इसरो ने कहा, ”चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर उतरेगा और इस जगह की छानबीन करेगा. यान को उतरने में लगभग 15 मिनट लगेंगे और ये तकनीकि रुप से बहुत मुश्किल क्षण होगा क्योंकि भारत ने पहले कभी ऐसा नहीं किया है।”

उतरने के लिए दक्षिणी हिस्से के चुनाव को लेकर इसरो का कहना है कि अच्छी लैंडिग के लिए जितने प्रकाश और समतल सतह की आवश्यकता होती है वो उसे इस हिस्से में मिल जाएगा. इस मिशन के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा उस हिस्से में मिलेगी।

इसरो के मुताबिक लैंडिंग के बाद रोवर का दरवाज़ा खुलेगा और यह महत्वपूर्ण क्षण होगा. लैंडिंग के बाद रोवर के निकलने में चार घंटे का समय लगेगा. इसके 15 मिनट के भीतर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिल सकती हैं.

चंद्रयान-2 मिशन का उद्देश्य

  • चंद्रयान-2 उपग्रह, चांद पर पानी और खनिज आदि का पता लगाएगा। 
  • ऑर्बिटर अपने पेलोड के साथ चांद का चक्कर लगाएगा। लैंडर चंद्रमा पर उतरेगा और वह रोवर को स्थापित करेगा। 
  • ऑर्बिटर और लैंडर जुड़े रहेंगे, जबकि रोवर लैंडर के अंदर रहेगा। रोवर एक चलने वाला उपकरण रहेगा जो चांद की सतह पर प्रयोग करेगा।
  • लैंडर और ऑर्बिटर भी प्रयोगों में इस्तेमाल होंगे।
  • इसरो ने कहा, ”हम वहां की चट्टानों को देख कर उनमें मैग्निशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे खनिज को खोजने का प्रयास करेगें. इसके साथ ही वहां पानी होने के संकेतो की भी तलाश करेगें और चांद की बाहरी परत की भी जांच करेंगे।”
  • चंद्रयान-2 के हिस्से ऑर्बिटर और लैंडर पृथ्वी से सीधे संपर्क करेंगे लेकिन रोवर सीधे संवाद नहीं कर पाएगा. ये 10 साल में चांद पर जाने वाला भारत का दूसरा मिशन है.

चन्द्रयान-1

इसरो ने इससे पहले अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 उपग्रह को चांद पर भेजा था।
 इस उपग्रह को चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था।
 उस वक्त यह यान भारत के पांच, यूरोप के तीन, अमेरिका के दो और बुल्गारिया का एक पेलोड लेकर गया था,चंद्रयान-1 मिशन दो साल का था, हालांकि खराबी की वजह से यह मिशन एक साल में ही खराब हो गया था।

 इसरो का कहना है कि उसने चंद्रयान-1 की कमियों से सबक लेकर चंद्रयान-2 मिशन की तैयारी पूरी की है।
इसलिए इसरो को उम्मीद है कि उसका ये मिशन पूरी तरह से सफल रहेगा।

पानी होने के सबूत

सितंबर 2009 में नासा ने ऐलान किया था कि चंद्रयान -1 के डेटा ने चंद्रमा पर बर्फ़ होने के सबूत पाए गए हैं. अन्य अंतरिक्ष यानों की टिप्पणियों ने भी चांद पर पानी होने के संकेत दिए हैं।

नासा ने नवंबर 2009 में घोषणा की थी कि नासा केलूनर क्रेटर ऑब्जर्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट ने चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में पानी की मात्रा के संकेत दिए है।

तो दोस्तों आपको हमारा ये पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट करके बताइये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version