Mehtab Bagh in Agra | tourist place in Agra

मेहताब बाग का अर्थ होता है चांद की रोशनी का बाग। यमुना नदी के किनारे 25 एकड़ में फैले इस बाग का निर्माण 1631 से 1635 के बीच करवाया गया था। ताजमहल के सममितिय बना है क्योंकि इसकी चौड़ाई ताजमहल की चौड़ाई के ठीक बराबर है।  बाग के बीच में एक बड़ा सा अष्टभुजीय तालाब है, जिसमें ताजमहल का प्रतिबिंब बनता है। पर्यटक इस बाग से ताजमहल की अनुपम छठा को निहार सकते हैं। इस तालाब के लिए पानी बगल के झरने से लाया गया था।

Mehtab Bagh 
मेहताब बाग़ उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर आगरा में स्थित है। यह बाग़ यमुना नदी के किनारे विश्व प्रसिद्ध ताजमहल से विपरीत दूसरे किनारे पर है। यह बाग़ फूलों और अलग-अलग प्रकार के पेड़-पौधों से सजा-धजा सैला‍नियों को खासा लुभाता है। 25 एकड़ में फैले इस बाग़ का निर्माण 1631 से 1635 ई. के बीच करवाया गया था।मेहताब बाग़ की जानकारी – Mehtab Bagh Agra Information in Hindi


मेहताब बाग़ आगरा के पर्यटक स्थलों में एक हैं। मेहताब बाग़ मुग़ल द्वारा निर्मित उन ग्यारह बागों में से अंतिम बाग़ है जो यमुना नदी के साथ, ताज महल और आगरा किले के सामने स्थित है। महताब बाग का अर्थ होता है चांद की रोशनी का बाग।
मेहताब बाग़ के बीच में एक बड़ा सा अष्टभुजीय तालाब है, जिसमें ताजमहल का प्रतिबिंब बनता है। पर्यटक इस बाग़ से ताजमहल की अनुपम छठा को निहार सकते हैं। इस तालाब के लिए पानी बगल के झरने से लाया गया था। यह भी कहा जाता है कि आज जहाँ मेहताब बाग़ है, वहाँ पहले एक काला ताजमहल बनना तय हुआ था, जिसमें शाहजहाँ की क़ब्र बनाई जानी थी, लेकिन किंतु धन के अभाव एवं औरंगज़ेब की नीतियों के कारण वह बन नहीं पाया।
 

मेहताब बाग़ का इतिहास – Mehtab Bagh Agra History in Hindi

मेहताब बाग़ का निर्माण सम्राट बाबर ने 1530 ईस्वी में करवाया था। हालाँकि ताज महल के इतिहास के मुताबिक, सम्राट शाह जहां ताज महल का निर्माण करने के लिए एक ऐसा स्थान ढूंढ रहे थे जिसके सामने एक चंद्रकार व् घास से ढका हुआ मैदान हो और साथ ही उस स्थान पर बाढ़ आने की आशंका कम हो और जो यमुना नदी के किनारे हो। साथ ही वे चाहते थे की उस स्थान से ताज महल का मनोरम दृश्य दिखाई दे। इसके बाद इस बाग़ का निर्माण “एक चांदनी सुख बाग़ जिसे मेहताब बाग़ कहा जाता है” के रूप में करवाया।
17 वीं सदी के फ्रांसीसी यात्री जीन बाप्टिस्ट ने बताया की शाहजहां अपने लिए काले संगमरमर से बनी एक समाधि बनाना चाहते थे, जो ताज महल जैसा हूबहू हो, परन्तु ऐसा संभव नहीं हो पाया क्योकि उनके पुत्र औरंगजेब ने उन्हें बंदी बना लिया था। 
इस कल्पना को आगे बढ़ाने के लिए सन 1871 में एक ब्रिटिश पुरातत्वविद्, Carlleyle, जिन्होंने पुराने तालाब के अवशेषों की उस स्थान से खोज की थी। इस प्रकार Carlleyle, पहले शोधकर्ता बन गए जिन्होंने उस स्थल से संरचनात्मक अवशेषों को खोजा, जबकि वो स्थान काई और दलदल के कारण काला हो गया था। बाद में मेहताब बाग़ का नियंत्रण आमेर के राजा सिंह कच्छावा ने ले लिया, जिनके पास ताज महल के आस पास की भूमि का भी नियंत्रण था।
अक्सर आने वाली बाढ़ और ग्रामीणों से निकलने वाली निर्माण सामग्री ने बगीचे को लगभग बर्बाद ही कर दिया था। बगीचों के भीतर पड़ी शेष संरचनाये एक राज्य था जो खंडहर बन चुका है। 1990 के दशक तक, यमुना में आई एक बाढ़ के कारण इस बगीचे का अस्तित्व लगभग समाप्त ही हो गया था और यहाँ एक विशाल रेत का टीला बन गया था जिसके ऊपर जंगली वनस्पति व् जलोढ़ गाद जम गयी थी।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सन 1994 में इसका मरम्मत कराया गया। जिसमे 25 एकड़ भूमि की खुदाई की गयी और उसमे से एक विशाल अष्टकोणीय टैंक निकला जिसमे 25 फव्वारे थे और बाग़ के पूर्व में एक छोटा केंद्र टैंक व् बरादरी निकला। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किये गए मेहताब बाग़ की नवनीकरण ने बाग़ को एक वास्तविक मुग़ल बाग़ का रूप दे दिया।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के परिदृश्य वास्तुकारों ने कड़े परिश्रम से भारत के मुग़ल उद्यानों से मेल खाते पेड़, पौधे, और पत्तो को बाग़ में रोपण करने की योजना बनाई थी। मुगल बागवानी में पाये जाने वाले 81 से अधिक प्रकार के पौधे आज मेहताब बाग़ में पाये जाते है।
एएसआई परिदृश्य वास्तुकारों ने बड़ी सावधानी से पेड़, पौधों और जड़ी बूटियों का पुनर्रोपण जो मुग़ल बगीचों से मेल खाते हो, कश्मीर के शालीमार बाग़ के नदी के किनारे के बगीचे जिन्हे मध्य एशिया से भारत लाया गया था की प्रतिरूप बनाए गए।

मेहताब बाग़ का नवीकरण 

बगीचे के परिसर के चारो ओर की दीवार को ईंट, चूना प्लास्टर, और लाल बलुआ पत्थर द्वारा बनाया गया है। इस दीवार की लम्बाई 289 मी. है और नदी की दीवार आज भी पूर्ण है। बाग़ में चबूतरे पर लाल बलुआ पत्थर से बनी गुम्बंदार मीनारे है जो अष्टकोणीय आकार की है और इन्हे बाग़ के कोनो में खड़ा किया गया है। 2–2.5 मी. चौड़े पत्थर से बने मार्ग है जो मैदान की पश्चिमी सीमा पर बने हुए है और शेष बची चारदीवारी ने पश्चिम से बाग़ को ढका हुआ है।

एक खूबसूरत मुग़ल बाग़ – Mehtab Bagh

प्रवेश द्वार के निकट एक छोटा दलित मंदिर है जो नदी के किनारे है। बलुआ पत्थर से बनी चार मीनारों में जो बाग़ के कोनो को दर्शाती है से केवल दक्षिणी पूर्व ही शेष रह गयी है। दक्षिणी परिधि पर स्थित एक विशाल अष्टकोणीय तालाब में समाधि का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। बाग़ के पूर्वी हिस्से में एक छोटा केंद्रीय टैंक है।
बाग़ में स्थित पानी के स्तोत्र इसे और भी समृद्ध बनाते है और इसके पूर्व व् पश्चिम में बरादरिया है। बाग़ की उत्तरी दीवार में एक द्वार है। बाग़ के विशाल तालाब के उत्तर व् दक्षिण में दो संरचनाओं की नीवों के अवशेष बचें है जो शायद बाग़ के मंडप थे। उत्तरी संरचना में एक झरना स्थित है जो अब एक तालाब बन चुका है।
मुग़ल बागवानी में लगाए जाने वाले 81 पौधों में से कुछ अमरूद, मौलश्री, कनेर, गुड़हल, खट्टे फल पौधों, नीम, कचनार, अशोक और जामुन है। बाग़ में घासों को इस प्राकर से लगाया गया है जैसे बड़े पेड़ छोटो के पीछे चल रहे हो, फिर झाड़िया और अंत में फूलों वाले पौधों को लगाया गया है। इनमे से कुछ पौधों में चमकीले फूल खिलते है जो चाँद की रौशनी में चमकते है। 
इस बाग़ का नवनीकरण इसके मूल भव्यता के अनुसार ही किया गया है और वर्तमान में ये ताज महल को देखने के लिए एक बेहद अच्छा स्थान बन चुका है। पर्यटक इस बाग से ताजमहल की अनुपम छठा को निहार सकते हैं।
हालांकि दुर्भाग्यवश यह बाग मुगलकाल से लेकर अब तक यमुना नदी में आने वाली बाढ़ की चपेट में रहा है। इसके कारण बाग की खूबसूरती नष्ट हो गई है और यह उजड़ सा गया है।
बाढ़ के कारण बाग के चार बलुआ पत्थर के स्तंभ में से सिर्फ एक ही सुरक्षित है। इनमें से तालाब के उत्तर और दक्षिण में स्थित दो स्तंभ की नींव आज भी देखी जा सकती है। ऐसा समझा जाता है कि यह संभवत: यह इस बाग का पैविलियन हुआ करता होगा।
Related Posts:-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version