उत्तर भारत का पहला वैक्स म्यूजियम आपके अपने आगरा मैं IMPERIAL WAX MUSEUME
म्यूजियम एक ऐसी जगह होती है जहा पुरानी , नयी एवं अनोखी चीजो का संजोकर रखा जाता है।
लेकिन मैडम तुसाद म्यूजियम Madame Tussauds Wax Museum (यह लंदन मैं स्थित है) की बात ही कुछ ओर है यहा दुनिया के उन व्यक्तियों के मोम से बने पुतले लगे है जो अपने अपने क्षेत्र में महान है । इस म्यूजियम का ऐसा क्रेज है कि यहा किसी व्यक्ति का पुतला लगना उसके ग्लोबल होने की निशानी बन चूका है ।
Madame Tussauds Wax Museum मैडम तुसाद म्यूजियम में दुनिया के महान हस्तियों में पुतले लगे है जो हुबहू इन्सान की तरह दिखते है | ऐसा प्रतीत होता है कि वे कभी भी बोल पड़ेंगे | पुतले के साथ अगर वो हस्ती खुद खडी हो तो एक बार के लिए आपकी आँखे धोखा खा जायेगी ।
लन्दन में स्थित Madame Tussauds Wax Museum मैडम तुसाद म्यूजियम में 400 से ज्यादा माँंम की मुर्तिया लगी हैं। यहा आने वाली पीढ़ी के लिए एतेहासिक यादे संजोकर रखी जाती है जो उन्हें कई तरह के संदेश देती है | कैसे बनती हैं यह मूर्तियाँ
इन मूर्तियों को ढालने की प्रक्रिया में 150 किलोग्राम मिटटी का इस्तेमाल सांचे के लिए होता है | मैडम तुसाद के जाने माने कारगर उस हस्ती से सैंकड़ो माप लेते है जिनकी मूर्ति बननी होती है या फिर वे हस्ती के लाइब्रेरी शॉट का अध्ययन करते है | मूर्ति की आँखे बनाने में कारीगरों को लगभग 10 घंटे लगते है इस दौरान आँखों की पुतलियो तक के रंग को मैच किया जाता है | उस व्यक्ति के हेयर स्टाइल की नकल करने और सिर पर एक एक बाल लगाने में कारीगरों को छ हफ्ते तक लग जाते है |
एक पुतले को गढने ,ढालने और पुरी तरह तैयार करने में लगभग चार महीने लग जाते है | इन पुतलो को बनाने में करीब 20 रंगो का इस्तेमाल किया जाता है ताकि पुतले की त्वचा का रंग असल हस्ती से मिलता जुलता हो | चेहरे की हर सिलवट ,हर टिल ,हर पिम्पल ,झुर्री को ज्यो का त्यों उतारा जाता है तब जाकर मोम की जीवंत मुर्तिया बन पाती हैं । आगरा(पूरे उत्तर भारत का) का पहला wax museum imperial wax museum