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AJIT DOVAL Ki Kahani (James Bond of India)

अजित डोभाल जी का प्रारम्भिक जीवन|RASHTRIY SURAKSHA SALAHKAR Of India

अजित डोभाल जी का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए।
कड़ी मेहनत के बल पर अजीत डोभाल 1968 में केरल कैडर से आईपीएस में चुने गए थे, 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। वह सक्रिय रूप से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं।

खास बातें

  • अजित डोभाल आईबी के डायरेक्टर रह चुके हैं।
  • वह सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र पाने वाले पहले पुलिस अफसर हैं।
  • अजीत डोभाल सर्जिकल स्‍ट्राइक के मास्‍टर माइंड माने जाते हैं।
  • अजीत जी अपनी उम्दा सेवाओं के लिए पुलिस मेडल पाने वाले सबसे कम उम्र के अधिकारी थे। उन्हे उनकी सेवाओं के मात्र 6 साल बाद यह मेडल दिया गया था।
  • इसके बाद अजीत जी को प्रेसिडेंट पुलिस मेडल से भी नवाजा गया है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit doval) पर फिल्म निर्देशक नीरज पांडे एक फिल्म बनाने जा रहे हैं जिसमें अक्षय कुमार मुख्य भूमिका निभाते नजर आएंगे।
  • डोभाल की पहचान एक तेज़-तर्रार जासूस की रही है. लोग उन्हें भारत का जेम्स बॉन्ड भी कहते हैं
  • डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र का खास माना जाता है
  •  उरी में हुए आंतकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान में आतंकवादियों के लॉच पैड को ध्वस्त किया था।
  • इससे पहले मणिपुर में हुए आतंकवादी हमलों का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने म्यांमार सीमा पर करीब दो किलोमीटर घुसकर सैन्य कार्रवाई की थी।

इस के अलावा देश की सुरक्षा को लेकर अजीत डोभाल ने कई बड़े कदम उठाए और दुश्मनों को ये संदेशा दिया कि भारत अब आक्रामक रक्षा नीति अपना चुका है।
आज 73 वर्ष की उम्र में भी भारतीय सीमा सुरक्षा की ज़िम्मेदारी में अजीत जी ने अहम भूमिका निभाई हुई है।

इस पद पर पंहुचने और इस ज़िम्मेदारी को उठाने के लिए इन्हे ना जाने इम्तिहानों का सामना करना पढ़ा होगा।हमारी सुरक्षा के लिए हमारे जवानो की शहादत तो अविस्मरणीय है।

अजीत जी उन लोगों में से एक है, जो सीमा पर ना रहकर भी हमारी सुरक्षा के लिए साल में 12 महीने, सप्ताह में 7 दिन और दिन में 24 घंटे लगे हुये है. अजीत जी के प्रयासो और ज्जबे को हमारा सलाम है।
तो दोस्तों आप हमें कमेंट करके बतायें कि अजीत डोभाल जी कि सेवाओं के लिये उन्हे भारत रत्न मिलना चाहिये या नहीं अगर हाँ तो कमेंट मैं YES लिखें।

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