Layers Of Atmosphere वायुमंडल की संरचना– वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर वायु के विस्तृत भंडार को कहते हैं। यह सौर विकिरण की लघु तरंगों को पृथ्वी के धरातल तक आने देता है। परन्तु पार्थिव विकिरण की दीर्घ तरंगों के लिये अवरोधक बनता है। इस प्रकार यह ऊष्मा को रोककर विशाल ग्लास हाउस की तरह काम करता है, जिससे पृथ्वी पर औसतन 15°C तापमान बना रहता है। यही तापमान पृथ्वी पर जीवमण्डल के विकास का प्रमुख आधार हैं।
संघटन: वायुमंडल की संरचना | STRUCTURE OF ATMOSPHERE IN HINDI
VAYUMANDAL KI SANRACHNA IN HINDI – पृथ्वी का वायुमंडल लगभग 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और 1% अन्य गैसों से बना है।
ऑक्सीजन (O2): मनुष्य और जानवर सांस लेते हुए वायु से ऑक्सीजन लेते हैं। प्रकाश संश्लेषण के दौरान हरे पौधे ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। इस तरह हवा में ऑक्सीजन की मात्रा स्थिर रहती है।
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): यह एक महत्त्वपूर्ण ऊष्मा अवशोषित करने वाली गैस या ग्रीनहाउस गैस है, जो जीवाश्म ईंधन के निष्कर्षण और ज्वलन से आती है।
नाइट्रोजन (N2): यह हवा में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली गैस है। यह सभी जीवित जीवों के अस्तित्व के लिये महत्त्वपूर्ण प्राथमिक पोषक तत्त्वों में से एक है। ये गैसें तापमान और दबाव जैसी अनूठी विशेषताओं द्वारा परिभाषित वायुमंडलीय परतों में पाई जाती हैं। Layers Of Atmosphere
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Layers Of Atmosphere In Hindi | वायुमंडल की विभिन्न परतें क्या हैं?
विषम मंडल (Hetrosphere) | Atmosphere In Hindi
वायुमंडल की 80 किमी. की मोटाई में गैसों का सम्मिश्रण लगभग एक समान रहता है। इसे सममंडल भी कहा जाता है । इसके बाद नाइट्रोजन , ऑक्सीजन , हीलियम व हाइड्रोजन की अलग – अलग आण्विक परतें मिलती हैं । इसीलिए इसे विषय मंडल ( Hetrosphere ) भी कहा जाता है । यद्यपि वायुमंडल का विस्तार लगभग 10,000 किमी की ऊँचाई तक मिलता है , परंतु वायुमंडल का 99 % भाग सिर्फ 32 किमी . तक सीमित है । वायुमंडल को 5 विभिन्न संस्तरों में बाँटकर देखा जा सकता है।
क्षोभमंडल ( Troposphere ) | Layers Of Atmosphere
क्षोभमंडल ( Troposphere ) ध्रुवों पर यह 8 किमी. तथा विषुवत रेखा पर 18 किमी. की ऊँचाई तक पाया है। इसकी ऊँचाई विषुवत रेखा पर सर्वाधिक तथा ध्रुवों पर सबसे कम होती है। इस मंडल में प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° C घटता है तथा प्रत्येक 1000 किमी. की ऊँचाई पर तापमान में औसतन 6.5° C तापमान का ह्रास है । इसे ही सामान्य ताप पतन दर ( Normal temprature lapse rate) कहा जाता है । वायुमंडल में होने वाली समस्त मौसमी गतिविधियाँ क्षोभ मंडल में ही पायी जाती हैं । क्षोभसीमा के निकट चलने वाली अत्यधिक तीव्र गति के पवनों को जेट स्टीम ( Jet Streams ) कहा जाता है ।
समताप मंडल ( Stratosphere ) | Layers Of Atmosphere
समताप मंडल ( Stratosphere ) इस मंडल में प्रारम्भ में तापमान स्थिर होता है , परन्तु 20 किमी . की ऊँचाई के बाद तापमान में अचानक वृद्धि होने लगती है । ऐसा ओजोन गैसों की उपस्थिति के कारण होता है जो कि पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर तापमान बढ़ा देती है । यह मंडल मौसमी गतिविधियों से मुक्त होता है इसलिए वायुयान चालक यहाँ विमान उड़ाना पसंद करते हैं ।
मध्यमंडल | Mesosphere Meaning In Hindi
मध्यमंडल ( Mesophere ) इस मंडल की ऊँचाई 50-80 किमी. तक होती है । इसमें तापमान में अचानक गिरावट आ जाता है । मध्य सीमा पर तापमान गिरकर – 100 ° C तक पहुँच जाता है, जो वायुमंडल का न्यूनतम तापमान है ।
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आयन मंडल ( Ionosphere )
आयन मंडल ( Ionosphere ) इसकी ऊँचाई 80-640 किमी . के मध्य है । इसमें विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है एवं ऊँचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है । वायुमंडल की इसी परत से विभिन्न आवृति की रेडियो तरंगें परावर्तित होती हैं । आयनमंडल कई परतों में बँटा हुआ है । ये निम्न हैं :
D – Layer : इसमें दीर्घ तरंग दैर्ध्य अर्थात् निम्न आवृति की रेडियो तरंगें परावर्तित होती हैं ।
E – Layer : इसे केनेली – हेवीसाइड ( Kennelly – heaviside ) परत भी कहा जाता है । इससे मध्यम व लघु तरंग – वैर्ध्य अर्थात् मध्यम व उच्च आवृति की रेडियो तरंगें परावर्तित होती है । यहाँ ध्रुवीय प्रकाश ( Aurora light ) की उपस्थिति होती है । ये उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश ( Aurora Borealis ) एवं दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश ( Aurora Australis ) के रूप में मिलती है ।
F – Layer : इसे एपलेटन ( Appleton ) परत भी कहा जाता है । इससे मध्यम व लघु तरंग दैर्ध्य अर्थात् मध्यम व उच्च आवृति की रेडियो तरंगें परिवर्तित होती है ।
G – Layer : इससे लघु , मध्यम व दीर्घ सभी तरंग दैर्ध्य अर्थात् निम्न मध्यम सभी आवृति की रेडियो तरंगें परावर्तित होती है बाह्य मंडल ( Exosphere ) इसकी ऊँचाई 640-1,000 किमी . के मध्य है । इसमें भी विद्युत आवेशित कणों की प्रधानता होती है एवं यहाँ क्रमश : N2 , O2 , He , H , की अलग – अलग परतें होती हैं । इस मंडल में 1000 किमी . के बाद वायुमंडल बहुत ही विरल हो जाता है और अंततः 10,000 किमी . की ऊँचाई के बाद यह क्रमश : अंतरिक्ष में विलीन हो जाता है ।
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बाह्य मंडल | Exosphere Meaning In Hindi
इसकी ऊंचाई 640-1000 कि.मी के मध्य है। इसमें भी विद्युत आवेशित कणों की प्रधानता होती है एवं यहां क्रमश: n2,o2,he, h2 की अलग-अलग परतें होती हैं। इस मंडल में 1000 कि.मी. के बाद वायुमंडल बहुत ही विरल हो जाता है और अंतत 10,000 कि.मी. की ऊंचाई के बाद यह क्रमश अंतरिक्ष में विलीन हो जाता है।