भारत में परमाणु ऊर्जा  Indian Atomic Energy

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ऊर्जा संसाधनों का विकास औद्योगिक विकास का सूचक है । हमारे देश में व्यापारिक स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख ऊर्जा संसाधन हैं –

इसके अतिरिक्त ऊर्जा के गैर परंपरागत स्त्रोत  प्राकृतिक गैस , परमाणु ऊर्जा , पवन चक्की , ज्वारीय ऊर्जा ,सौर ऊर्जा ,  भूगर्भिक ऊर्जा आदि भी देश की ऊर्जा आपूर्ति में कछ योगदान करते हैं ।

महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधनों का उत्पादन एवं वितरण प्रतिरूप निम्नवत है :
parmanu urja aayog ki sthapna




भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम

परमाणु विद्युत 

भारत में परमाणु ऊर्जा अनुसंधान के जनक डॉ . होमी भाभा के प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 1948 में ऊर्जा आयोग की स्थापना हुई ।
इसके बाद वर्ष 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई ।
मुम्बई के निकट ट्रॉम्बे में भारत का पहला परमाणु अनुसंधान संयत्र अप्सरा ( वर्ष 1956 ) कार्यशील हुआ ।
वर्ष 1969 में भारत का पहला परमाणु विद्युत गृह में महाराष्ट्र के तारापुर में स्थापित किया गया ।
tarapur urja station

परमाणु विद्युत उत्पादन के लिए यूरेनियम , थोरियम , भारी जल आदि की आवश्यकता होती है जिनकी , झारखण्ड , राजस्थान , मेघालय व केरल जैसे राज्यों में पर्याप्त उपलब्धता है ।

परमाणु ऊर्जा विभाग ने 2020 ई . तक 20,000 मेगावाट नाभिकीय विद्युत उत्पादन क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है ।
वर्तमान समय में भारत में कार्यशील रिएक्टरों की कुल संख्या 22 एवं आणविक ऊर्जा की स्थापित क्षमता 6,780 मेगावाट है ।

भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों में छठा स्थान रखता है , परन्तु अभी भी कुल विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान मात्र 3.0 % है । 

भारत व संयक्त राज्य अमेरिका के मध्य हुए असैन्य परमाणु समझौते के पश्चात भारत ने कनाडा , फ्रास , रूस आदि देशों के साथ भी असैन्य परमाण समझात किए हैं , जिससे भारत में परमाणु विद्युत की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की संभावना है ।

जापानी स्थापित कारण फुकुशिमा संयत्र में परमाण रिसाव के बाद , भारत में भी परमाणु संयंत्रों का विरोध बढ़ा है । तमिलनाडु के , कुडनकुलम , महाराष्ट्र के जैतापुर एवं पश्चिम बंगाल के हरिपुरा परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं का विशेष विरोध हो रहा है।

जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना 

यह परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रस्तावित 9900 मेगावॉट की परियोजना है । इसके अन्तर्गत महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले ( मदवन गाँव ) में परमाणु संयंत्र स्थापित किया जायेगा ।

पूर्ण होने पर निवल विद्युत ऊर्जा की दृष्टि से यह अपने प्रकार की विश्व की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजना होगी ।

इस परियोजना के अंतर्गत फ्रांसीसी कंपनी का ( Areva ) के सहयोग से 8 ( प्रत्येक 1 , 650 मेगावाट क्षमता ) तृतीय पीढ़ी के दाबित जल संयंत्र स्थापित किए जाएंगे ।

( PWR – Pressurized Water Reactors ) इन संयंत्रों को EPR ( Evolutionary European Pressurized Reactors ) भी कहा जाता है ।

भारत द्वारा नाभिकीय आपूर्तिकर्ता देशों के साथ समझौता के पश्चात् यह भारत में स्थापित होने वाली पहली परमाणु ऊर्जा परियोजना है

स्थानीय जनता , किसानों , पर्यावरणविदों तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा इस परियोजना का भारी विरोध किया जा रहा है जिससे यह परियोजना विवादों में घिर गयी है ।

  प्रमुख केन्द्र   अवस्थिति                                       विशेषता
तारापुर मुम्बई ( महाराष्ट्र ) ( 1 ) भारत का प्रथम परमाणु विद्युतगृह
 ( 2 ) एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युतगृह
रावतभाटा (राणाप्रताप सागर) कोटा ( राजस्थान ) ( 1 ) कनाडा के सहयोग से स्थापित
( 2 ) प्राकृतिक यूरेनियम ऑक्साइड ईधन क प्रयोग
कलपक्कम चेन्नई ( तमिलनाडु ) ( 1 ) देशी साज – सामान प्रयुक्त करनेवाली प्रथम परियोजना
( 2 ) 485 मी . लम्बी प्रस्तावित समुद्री सुरंग
नरौरा बुलन्दशहर ( उत्तर प्रदेश ) ——–
कुम्हारिया फतेहाबाद ( हरियाणा ) 2800 मेगावाट क्षमता ( प्रस्तावित )
काकरापारा सूरत ( गुजरात ) ———
जैतपुर रत्नगिरि ( महाराष्ट्र ) इवोल्यूशनरी प्रेसराइज्ड रिएक्टर ( ईपीआर ) फ्रांस के अरेवा कंपनी का सहयोग ( प्रस्तावित )
कैगा व जगतपुरा कर्नाटक प्रस्तावित
कुडनकुलम तमिलनाडु ( 1 ) रूस का सहयोग
( 2 ) साधारण जल शीतलित तकनीक ( Ordinary water cooled)

तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें , और इसे शेयर भी जरुर करें।

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