नागरिकता अधिनियम, 1955 | Citizenship Act 1955 in Hindi

नागरिकता अधिनियम (1955) संविधान लागू होने के बाद अर्जन एवं समाप्ति के बारे में उपबंध करता है मूल रूप से, नागरिकता अधिनियम (1955) ने भी राष्ट्रमंडल नागरिकता प्रदान की है। लेकिन इस प्रावधान को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003 के द्वारा निरस्त कर दिया गया था।

नागरिकता का अर्जन

नागरिकता अधिनियम, 1955 नागरिकता प्राप्त करने की पांच शर्ते बताता है, जैसे-जन्म, वंशानुगत पंजीकरण, प्राकृतिक एवं क्षेत्र समावष्टि करने के आधार पर। Citizenship Act 1955 in Hindi

1. जन्म से : भारत में 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद परन्तु 1 जुलाई, 1987 से पूर्व जन्मा व्यक्ति अपने माता-पिता के जन्म को राष्ट्रीयता के बावजूद भारत का नागरिक होगा। भारत में जुलाई को या उसके बाद जन्मा व्यक्ति केवल तभी भारत का नागरिक माना जाएगा, यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो।

इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति का जन्म 3 दिसंबर, 2004 के बाद भारत में हुआ हो तो वह उसी दशा में भारत का नागरिक माना जायेगा. यदि उसके माता-पिता दोना उसके जन्म के समय भारत के नागरिक हों या माता या पिता में से एक उस समय भारत का नागरिक हो तथा दूसरा अवैध प्रवासी न हो। भारत में पदस्थ विदेशी राजनयिकों एवं शत्रु देश के बच्चों को भारत की नागरिकता अर्जन करने का अधिकार नहीं है।

2. वंश के आधार : पर कोई व्यक्ति जिसका जन्म 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद परन्तु 10 दिसम्बर, 1992 से पूर्व भारत के बाहर हुआ हो वह वंश के आधार पर भारत का नागरिक बन सकता है, यदि उसके जन्म के समय उसका पिता भारत का नागरिक हो।

यदि 10 दिसंबर 1992 को या उसके बाद यदि किसी व्यक्ति का जन्म देश से बाहर हुआ हो तो वह तभी भारत का नागरिक बन सकता है, यदि उसके जन्म के समय उसके माता पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो।

3 दिसंबर, 2004 के बाद भारत से बाहर जन्मा कोई व्यक्ति वंश के आधार पर भारत का नागरिक नहीं हो सकता, यदि उसके जन्म के एक वर्ष के भीतर भारतीय कांसुलेट में उसके जन्म का पंजीकरण न करा दिया गया हो या केंद्र सरकार की सहमति से उक्त अवधि के बाद पंजीकरण न हुआ हो। इस प्रकार के बच्चे का भारतीय कांसुलेट में पंजीकरण कराते समय आवेदन पत्र में माता-पिता को इस आशय का शपथ-पत्र देना होगा कि उनके बच्चे के पास किसी अन्य देश का पासपोर्ट नहीं है।

पुन: एक नाबालिग जो वश के आधार पर भारत का नागरिक है साथ ही वह किसी अन्य देश का भी नागरिक है तथ उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी Citizenship Act 1955 in Hindi

जब तक कि वह अन्य देश की नागरिकता या राष्ट्रीयता का परित्याग वयस्क होने के छह माह के अन्दर नहीं कर देता। 

3. पंजीकरण द्वारा : केन्द्र सरकार आवेदन प्राप्त होने पर किसी व्यक्ति (अवैध प्रवासी न हो) को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है. यदि वह निम्नांकियों में से किसी से संबंद्ध हो, नामतः Citizenship Act 1955 in Hindi

(क). भारतीय मूल का व्यक्ति जो नागरिकता प्राप्ति का आवेदन देने से ठीक पूर्व सात वर्ष भारत में रह चुका हो ।

 

(ख). भारतीय मूल का वह व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाहर या किसी अन्य देश में अन्यत्र रह रहा हो।

(ग). वह व्यक्ति जिसने भारतीय नागरिक से विवाह किया हो और वह पंजीकरण के लिए प्रार्थना पत्र देने से पूर्व सात वर्ष से भारत में रह रहा हो।

 

(घ). भारत के नागरिक के नावालिग बच्चे।

 

(ङ). कोई व्यक्ति जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो तथा उसके माता-पिता भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हो।

 

(च). कोई व्यक्ति जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो तथा वह या उसके माता-पिता स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हो या वह पंजीकरण का इस प्रकार का आवेदन देने से बारह महीने से साधारणत: निवास कर रहा हो।

 

(छ). कोई व्यक्ति जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो तथा वह समुद्र पार किसी देश के नागरिक के रूप में पांच वर्ष से पंजीकृत हो पा/तथा वह पंजीकरण का इस प्रकार का आवेदन देने से बारह महीने से साधारणत: निवास कर रहा हो।

एक व्यक्ति जन्म से भारतीय मूल का माना जायेगा. यदि वह या उसके माता-पिता में से कोई अविभाजित भारत में पैदा हुये हो या 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का अंग बनने वाले किसी भू-क्षेत्र के निवासी हो। उपरोक्त सभी श्रेणियों के लोगों को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत होने के बाद निष्ठा की शपथ लेनी होगी।

4. प्राकृतिक रूप से: केंद्र सरकार आवेदन प्राप्त होने पर किसी व्यक्ति (अवैध प्रवासी न हो) को प्राकृतिक रूप से नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान कर सकती है। यदि वह व्यक्ति निम्नलिखित योग्यताए रखता है:

(क). ऐसे देश से संबंधित नहीं हो, जहां भारतीय नागरिक प्राकृतिक रूप से नागरिक नहीं बन सकते। 

 

(ख). कि यदि वह किसी अन्य देश का नागरिक हो तो वह भारतीय नागरिकता के लिए अपने आवेदन की स्वीकृति पर उस देश की नागरिकता को त्याग देगा।

 

(ग). यदि वह भारत में रह रहा हो या भारत सरकार की सेवा में हो या इनमें से थोड़ा कोई एक और थोड़ा कोई अन्य हो तो उसे नागरिकता सबंधी आवेदन देने के कम-से-कम 12 माह पूर्व से भारत में रह रहा होना चाहिए।

 

(घ). यदि 12 माह की इस अवधि से 14 वर्ष पूर्व से वह भारत में रह रहा हो या भारत सरकार की सेवा में हो या इनमें से थोड़ा एक में और थोड़ा अन्य में हो, इनको कुल अवधि ग्यारह वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।

 

(इ). उसका चरित्र अच्छा होना चाहिए।

 

(च). कि वह संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं का अच्छा ज्ञाता हो।

 

(छ). कि उसे प्राकृतिक रूप से नागरिकता का प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने की स्थिति में वह भारत में रहने का इच्छुक हो या भारत सरकार सेवा या किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन में जिसका भारत सदस्य हो या भारत में स्थापित किसी सोसायटी कंपनी या व्यक्तियों का निकाय हो में प्रवेश या उसे जारी रखे।

हालांकि भारत सरकार उपरोक्त प्राकृतिक शर्तों के मामलों पर एक या सभी पर दावा हटा सकती है यदि व्यक्ति की विशेष सेवा विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य, विश्व शांति या मानव उन्नति से संबद्ध हो। इस प्रकार से नागरिक बने हर व्यक्ति को भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होगी।

5. क्षेत्र समाविष्टि द्वारा : किसी विदेशी क्षेत्र द्वारा भारत का हिस्सा बनने पर भारत सरकार उस क्षेत्र से संबंधित विशेष व्यक्तियों को भारत का नागरिक घोषित करती है। ऐसे व्यक्ति उल्लिखित तारीख से भारत के नागरिक होते हैं। उदाहरण के लिए, जब पांडिचेरी, भारत का हिस्सा बना, तो भारत सरकार ने नागरिकता (पांडिचेरी) आदेश, 1962 जारी किया। यह आदेश नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत जारी किया गया।

6. असम समझौते से आच्छादित व्यक्तियों के लिए नागरिकता का विशेष प्रावधान : नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 1985 असम समझौते (विदेशी मुद्दे पर) आच्छादित व्यक्तियों की नागरिकता के लिए निम्नलिखित विशेष प्रावधान करता है:

a) भारतीय मूल के सभी व्यक्ति जो 1 जनवरी, 1966 के पहले बांग्लादेश से असम आए और जो अपने प्रवेश के बाद से ही साधारणत: असम के निवासी हैं, को 1 जनवरी, 1966 से भारत का नागरिक मान लिया जाएगा।

(b) भारतीय मूल का प्रत्येक व्यक्ति जो 1 जनवरी 1966 को या उसके बाद लेकिन 25 मार्च, 1971 के पहले बांग्लादेश से असम आया और अपने प्रवेश के समय से ही साधारणतया असम का निवासी हैं और जिसे विदेशी के रूप में पहचाना गया है. को स्वयं को निबंधित करना होगा। ऐसा निबंधित व्यक्ति भारत का नागरिक मान लिया जाएगा, सभी उद्देश्यों के लिए विदेशी के रूप में पहचाने जाने के बाद से दस वर्षों की अवधि की समाप्ति की तारीख के बीच लेकिन इन दस वर्षों के बीच की अवधि में उसे भारत के नागरिक के समान ही अधिकार होंगे लेकिन मत देने का अधिकार नहीं होगा।

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