विश्व बैंक के कार्य एवं सेवाऐं| Works of World Bank in Hindi

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 इस विषय के अन्तर्गत हम इन चीजों को पढ़ेंगे-

विश्व बैंक अथवा अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक की स्थापना दिसम्बर , 1945 में की गयी थी । विश्व बैंक ने जून , 1946 से कार्य प्रारम्भ किया था । इस बैंक का मुख्य उद्देश्य दीर्घकालीन विनियोग को प्रोत्साहन देना है जिससे सदस्य देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं का सभी प्रकार का पुनर्निर्माण और विकास कर सके । 

विश्व बैंक विशेष रूप से विकासशील देशों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रयत्नशील रहता है । इसके लिए बैंक विकसित देशों से विकासशील देशों को वित्तीय साधन दिलाता है । वर्तमान में इसके 189 सदस्य हैं । 

विश्व बैंक के उद्देश्य | Objectives of World Bank in Hindi

  1. पूँजी की व्यवस्था – 

विश्व बैंक का उद्देश्य सदस्य देशों को उत्पादन कार्यों में विनियोजन हेतु पूँजी उपलब्ध कराकर उसके पुनर्निर्माण एवं विकास में सहायता देना है । यह पूँजी निम्न कार्यों हेतु प्रदान की जाती है

  • युद्ध में ध्वस्त अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण, 
  • सामान्य काल में आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पादन शक्तियों की पुनर्स्थापना
  • पिछड़े हुए देशों में साधनों एवं उत्पादन की सुविधाओं के विकास में सहयोग । 
  1. पूँजी विनियोग को प्रोत्साहित करना- 

विदेशों में निजी पूँजी के विनियोग को विश्व बैंक निम्न विधियों से प्रोत्साहित करती है

  • निजी पूँजी के विनियोग अथवा ऋणों के लिए गारण्टी प्रदान करना । 
  • यदि उपर्युक्त शर्तों पर पर्याप्त निजी पूँजी उपलब्ध न हो तो अपने कोष में से अथवा इस प्रयोजन हेतु जुटाए गए साधनों में से उपर्युक्त शर्तों पर उत्पादक कार्यों के लिए ऋण प्रदान करना ।
  1. विश्व व्यापार का सन्तुलित विकास- 

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दीर्घकाली भागतान सन्तुलन को बनाये रखने हेतु दीर्घकालीन अन्तर्राष्ट्री सन्तुलित विका जीवन स्तर एवं श्रम की स्थिति में सुधार भी उत्पन्न करता है ।

    1.  ऋण प्रदान करना 

    पूँजी विनियोग द्वारा सदस्य देशों में विश्व बैंक उत्पादकता को बढ़ाता है तथा इसके माध्यम से -अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक ( विश्व बैंक ) उत्पादक इकाइयों ( छोटी या बड़ी ) के लिए अधिक उपयोगी एवं आवश्यक परियोजनाओं हेतु ऋण देता है । 

    इसके अतिरिक्त विश्व बैंक ऐसे ऋणों के लिए गारण्टी प्रदान करता है जिनसे सम्पूर्ण मानव जाति का हित हो । 

    सामान्यकालीन अर्थव्यवस्था की स्थापना- 

    विश्व बैंक ऐसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देता है जिससे युद्धग्रस्त अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था सामान्यकालीन अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो सके । 

    संगठन- Formation of WORLD BANK

    विश्व बैंक की सदस्यता उन्हीं देशों को मिलती है जो अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य होते हैं । किसी भी नये सदस्य के लिए यह आवश्यक है कि उसे तीन – चौथाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो तभी उसे सदस्यता मिल सकती है । विश्व बैंक के सदस्यों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है । 

    विश्व बैंक के प्रबन्ध हेतु एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स तथा कार्यकारी प्रबन्धकों का एक प्रबन्ध मण्डल है । प्रत्येक सदस्य देश इस बोर्ड में एक गवर्नर तथा एक वैकल्पिक गवर्नर मनोनीत करता है । यह नियुक्ति पाँच वर्ष के लिए होती है । बोर्ड की बैठक वर्ष में एक बार होती है । प्रत्येक गवर्नर की वोट देने की शक्ति उसके देश द्वारा विश्व बैंक में जमा पूँजी पर निर्भर करती है । 

    विश्व बैंक के सामान्य प्रशासन हेतु कार्यकारी संचालक मण्डल की नियुक्ति की जाती है । इस संचालक मण्डल का अध्यक्ष भी बैंक का ही अध्यक्ष होता है । इसकी बैठक प्रत्येक माह होती है । विश्व बैंक में अनेक समितियाँ हैं जो सदस्य देशों के ऋण देने के प्रस्तावों पर विचार करती हैं । 

    विश्व बैंक के कार्य 

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    विश्व बैंक के मुख्य कार्य निम्न प्रकार हैं 

    ऋण प्रदान करना- 

    विश्व बैंक द्वारा सदस्य देशों की आर्थिक प्रगति की ठोस नींव के निर्माण हेतु ऋण प्रदान किये जाते हैं । ऐसा समझा जाता है कि अब तक बैंक द्वारा दिये गये ऋणों का 

    • 1/3 भाग विद्युत शक्ति उत्पादन हेतु दिया गया है । 
    • 1/3 भाग परिवहन के साधनों के विकास हेतु दिया गया । 
    • शेष 1/3 भाग कृषि उद्योगों एवं सामान्य विकास कार्यों के लिए प्रदान किये गये ।

    विश्व बैंक निम्न तरीकों से सदस्य देशों को सहायता करता है 

    • अपने कोष से प्रत्यक्ष सहायता देकर ।
    • किसी सदस्य देश के बाजार में या अन्य स्रोतों से प्राप्त ऋणों का उपयोग करके ।
    • विनियोक्ता संस्थाओं द्वारा दिए जाने वाले ऋणों के लिए पूर्ण या ,आंशिक प्रतिभूति प्रदान करके , यह प्रबल महत्वपूर्ण कार्य है 
    • विश्व बैंक ऋण देने के बाद ऋणी देश द्वारा ऋण के उपयोग की विधियों एवं परियोजना की प्रगति पर पूरी दृष्टि रखता है ।

    वर्तमान समय में निम्न आर्थिक स्थिति प्राप्त देशों के विकास हेतु विश्व बैंक द्वारा अधिक प्राथमिकता दी जाने लगी है ।

     

    विश्व बैंक के ऋणों से सम्बन्धित नीतियाँ

     
    विश्व बैंक सामान्यतः विशिष्ट परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान करता है । विश्व बैंक ऋण की स्वीकृति के पूर्व इस बात की जाँच करता है कि वह परियोजना तकनीकी एवं अार्थिक दृष्टि से उपयुक्त है । 
    •  ब्याज दर – विश्व बैंक द्वारा सदस्य देशों को दिए गए ऋण की ब्याज दर इसके द्वारा जुटाए गए ऋणों की लागत पर निर्भर करती है । 2017 
    •  वित्तीय साधनों की प्राप्ति- विश्व बैंक अपने वित्तीय साधनों का विकास करता । विगत वर्षों में विश्व बैंक ने यह महसूस किया कि पूँजी की कमी के कारण वह अल्पविकसित देशों की अधिक सहायता नहीं कर पाता है अतः उसने ऋण प्राप्त करने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया है । 
    • कोष निधि का निर्माण- विश्व बैंक अपनी आय में से कुछ भाग संरक्षित कोष में स्थानान्तरित करता है । 
    • गारण्टी देना- अपने सदस्य देशों को अन्य वित्तीय सदस्यों से ऋण लेने की विश्व बैंक गारण्टर की भूमिका अदा करता है । ऋण की गारण्टी के जोखिम की पूर्ति हेतु बैंक ऋणी सदस्य देश से कमीशन लेता है । 
    • तकनीकी सहायता – विश्व बैंक का द्वितीय महत्वपूर्ण कार्य देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करना है । विश्व बैंक सदस्य देशों की विकास परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में आने वाली तकनीकी , प्रशासकीय तथा वित्तीय कठिनाइयों की खोज करने में उनकी सहायता करता है तथा इन कठिनाइयों को दूर करने हेतु उन्हें सुझाव भी प्रस्तुत करता है । 

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