राजीव गांधी |Rajiv Gandhi Ki Biography In Hindi
युवा सोच वाले राजीव गांधी को 21 वीं सदी के भारत का निर्माता भी कहा जाता है।40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी ने आधुनिक भारत की नींव रखने की दिशा में काम किया।जानिए, उन्होंने पांच साल में कौन से पांच बड़े काम कर देश को ही बदल दिया।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 से 1991 के बीच राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे।इन पांच वर्षों में ही इस युवा प्रधानमंत्री ने अपने कार्यों से देश की जनता के दिलोदिमाग में अमिट छाप छोड़ी।एक ही कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए। जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
rajeev gandhi |
दूररसंचार क्रांति |Telecom Revolution
यह राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने भारत में दूरसंचार क्रांति लाई.आज जिस डिजिटल इंडिया की चर्चा है, उसकी संकल्पना राजीव गांधी अपने जमाने में कर चुके थे. उन्हें डिजिटल इंडिया का आर्किटेक्ट और सूचना तकनीक और दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है. राजीव गांधी की पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार
नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर पार डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स(C-DOT)की स्थापना हुई. इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ. जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे. जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी. फिर 1986 में राजीव गांधी की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई.
वोट देने की उम्र सीमा घटाई
पहले देश में वोट देने की उम्रसीमा 21 वर्ष थी. मगर युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में यह उम्रसीमा गलत थ। उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार तथा सशक्त बनाने की पहल की. 1989 में संविधान के 61 वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्रसीमा 21 से घटाकर 18
वर्ष कर दी गई. इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते थे.
कंप्यूटर क्रांति | Computer Revolution
देश में पहले कंप्यूटर आम जन की पहुंच से दूर थे,मगर राजीव गांधी ने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाने की दिशा में काम किया. राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता.उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को
आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटना की पहल की. भारतीय रेलवे में टिकट जारी होने की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था भी इन्हीं पहलों की देन रही. हालांकि राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1970 में देश में पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजन शुरू करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की
शुरुआत हो गई थी।1978 तक आईबीएम पहली कंपनी थी, बाद में दूसरी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने कंप्यूटर निर्माण शुरू किया.
पंचायतों को किया सशक्त |Rajeev Gandhi Ki Kahani In Hindi
पंचायतीराज से जुड़ी संस्थाएं मजबूती से विकास कार्य कर सकें, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने देश में पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त किया. राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था सबल नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था
का पूरा प्रस्ताव तैयार कराय। 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ. राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64 वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा
राव सरकार ने 73 वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. जिससे सभी राज्यों को पंचायतों के चुनाव कराने को मजबूर होना पड़ा. पंचायतीराज व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण रहा.
खोले नवोदय विद्यालय | Founder Of Navodya School
मौजूदा समय देश में खुले 551 नवोदय विद्यालयों में 1.80 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. गांवों के बच्चों को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी. ये आवासीय विद्यालय होते हैं. प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है.
बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है. राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में भी क्रांतिकारी उपाय किए. उनकी सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NPE) की घोषणा की.इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ.
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