पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास

पृथ्वी का जन्म कब हुआ?- उल्का पिंडों एवं चन्द्रमा को चट्टानों के नमूनों के अध्ययन से स्पष्ट होता कि हमारा पृथ्वी की आयु 4 . 6 अरब वर्ष है। पृथ्वी पर सबसे प्राचीन पत्थर के नमूनों के रेडियोधर्मी तत्वों के परीक्षण से उसके 3.9 बिलियन वर्ष पुराना होने का पता चला। रेडियोसक्रिय पदार्थों के अध्ययन के द्वारा पृथ्वी की आयु की सबसे विश्वसनीय व्याख्या हो सकी है ।

वर्तमान समय में पृथ्वी के इतिहास को कई कल्पों ( Era ) में विभाजित किया गया है । ये कल्प पुनः क्रमिक रूप निर्माण से युगों ( Epoch ) में व्यवस्थित किए गए हैं । प्रत्येक युग पुनः छोटे उपविभागों में विभक्त किया गया है , जिन्हें शक ( Period ) कहा जाता है

पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास से सम्बंधित प्रमुख तथ्य 

Prithvi ka bhugarbhik itihas
वर्तमान समय में पृथ्वी के इतिहास को कई कल्पों ( Era ) में विभाजित किया गया है
 पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास
 

आद्य कल्प ( Pre-Palaezoic era )

इसे आर्कियन व प्री – कम्बियन दो भागों में बाँटा गया है

1 . आर्कियन काल ( Archean Era )

गतिविधियों इस काल की शैलों में जीवाश्मों का पूर्णतः अभाव है। इसलिए इसे प्राग्जैविक ( Anale ) काल भी कहते हैं इन परन्तु चट्टानों में ग्रेनाइट और नीस की प्रधानता है , जिनमे सोना और लोहा पाया जाता है । इसी काल में कनाडियन व फेनोस्केंडिया शील्ड निर्मित हुए हैं ।

2 . प्री-कैम्ब्रियन काल ( Pre – Cambrian Era )

इस काल में रीढ़विहीन जीव का प्रादुर्भाव हो गया था । इस काल में गर्म सागरों में मुख्यत : नर्म त्वचा वाले रीढ़विहीन जीव पाये गये थे। समुद्रों में रीढ़युक्त जीवों का भी प्रादर्भाव हो गया परंतु स्थलभाग जीवरहित था । भारत में प्री – कैम्ब्रियन काल में ही अरावली पर्वत व धारवाड़ क्रम कि चट्टानों का निर्माण हुआ ।

पुराजीवी महाकल्प ( Palaeozoic Era )

इसे प्राथमिक युग भी कहा जाता है । इसके निम्न उपभाग है

1 कैम्ब्रियन काल ( Cambrian Era )

इस काल में प्रथम बार स्थल भागों पर समुद्रों का अतिक्रमण हुआ । प्राचीनतम अवसादी शैलों ( Sedimentary Rocks ) का निर्माण कैम्ब्रियन काल में ही हुआ था । भारत में विंध्याचल पर्वतमाला का निर्माण इसी काल में हुआ था । इस कल्प में पृथ्वी के ऊपर छिछले सागरों का विस्तार तथा उतार होता रहा ।

 ग्रेट ब्रिटेन के वेल्स , उत्तरी – पश्चिमी स्कॉटलैण्ड , पश्चिमी इंग्लैंड , कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में कैम्ब्रियन चट्टानों का निर्माण हुआ । पृथ्वी पर इसी काल में सर्वप्रथम वनस्पति एवं जीवों की उत्पत्ति हई । ये जीव बिना रीढ़ की हड्डी वाले थे । इसी समय समुद्रों में शैवाल की उत्पत्ति हुई ।

2 . आर्डीविसियन काल ( Ordovician Era )

इस काल में समुद्र के विस्तार ने उत्तरी अमेरिका का आधा भाग डुबो दिया , जबकि पूर्वी अमेरिका टैकोनियन पर्वत निर्माणकारी गतिविधियों से प्रभावित हुआ । इस काल में वनस्पतियों
का विस्तार हुआ तथा समुद्र में रेंगने वाले जावों को भी विकास हुआ परंतु स्थल भाग अभी भी जीवविहीन था।

3.सिल्यूरियन काल(Silurian Era)

इस काल में कैलीडोनियन हलचल के कारण उत्तर अमेरिका के अप्लेशियन, स्कॉटलैण्ड एवं स्कैंडिनेविया के पर्वतों का निर्माण हुआ। इस काल मैं मछली की उत्पत्ती हुई, इसलिये इसे रीढ़ वाले जीवों का काल ( Age of Vertebrates ) कहते हैं । इस काल में प्रवाल जीवों का विकास मिलता है । स्थल पर पहली बार पौधों का उद्भव इसी समय हुआ । ये पौधे पत्ती विहीन थे तथा आस्ट्रेलिया में उत्पन्न हुए थे । यह काल व्यापक कैलिडोनियन पर्वतीय हलचलों का काल भी है । आप पढ़ रहे हैं- Prithvi Ka Bhoogarbhik Itihas

4 . डिवोनियन काल ( Devonian Era ) 

इस काल में कैलीडोनियन हलचल के परिणामस्वरूप सभी महाद्वीपों पर ऊँची पर्वत श्रृंखलाएँ विकसित हुई , जिसके प्रमाण स्कैंडिनेविया , दक्षिण – पश्चिम स्कॉटलैण्ड , उत्तरी आयरलैण्ड एवं पूर्वी अमेरिका में देखे जा सकते हैं । इस का विस्तार हुआ तथा समुद्र में रेंगने वाले जीव भी उत्पन्न हुए । परन्तु स्थल भाग अभी भी जीवविहीन था । काल में पृथ्वी की जलवायु समुद्री जीवों विशेषकर मछलियों के बार सर्वाधिक अनुकूल थी । इसी समय शार्क मछली का भी तथा आविर्भाव हुआ । अत : इसे मत्स्य युग ( Fish Age ) के रूप में जाना जाता है । इसी समय उभयचर जीवों ( Amphibians ) तथा फर्न वनस्पतियों की भी उत्पत्ति हुई । पौधों की ऊँचाई 40 फीट तक पहुँच गई थी ।

5 . कार्बोनीफेरस काल ( Carboniferous Era )

इस काल में कैलीडोनियन हलचलों का स्थान आर्मीनियन हलचलों ने ले लिया , जिससे ब्रिटेन एवं फ्रांस सर्वाधिक प्रभावित हुए तथा इस युग में उभयचरों का विकास व विस्तार हआ इस काल में 100 फीट ऊंचे पेड़ भी उत्पन्न बड़े वृक्षों का काल कहलाया । भ्रंशा में पेड़ों के दब जाने से गोंडवाना क्रम की चट्टानों का निर्माण हुआ , जिसमें कोयले के व्यापक निक्षेप मिलते हैं । इसलिए इसे काबोनिफेरस कल्प या कोयला यूग भी कहते हैं।

6 . पर्मियन काल ( Permian Era )

इस इस काल में बैरीसन हलचल हुई , जिसने मुख्य रूप से यूरोप को प्रभावित किया । जलवायु धीरे – धीरे शुष्क होने लगी । वैरीसन गया हलचल के फलस्वरूप अंशों के निर्माण के कारण ब्लैक  फॉरेस्ट व वास्जेज जैसे भंशोत्थ पर्वतों का निर्माण हुआ । ब्रिटेन स्पेनिश मेसेटा, अल्ताई, तिएनशान, अप्लेशियन जैसे पर्वत इसी काल मैं निर्मित हए । उस समय था व वनस्पतियों की अनेक प्रजातियों का विकास देखा गया । भ्रंशन के कारण उत्पन्न आंतरिक झीलों के वाष्पीकरण से पृथ्वी पर पोटाश भंडारों का निर्माण हुआ ।

मध्यजीवी महाकल्प ( Mesozoic Era ) | Prithvi Ka Bhugarbhik Itihas

इसे दितीयक युग भी कहा जाता है । इसे ट्रियासिक . जुरैसिक – व क्रिटेशियस कालों में बाँटा गया है ।

1 . ट्रियासिक काल ( Triassic Era )

कालों इस काल में स्थल पर बड़े – बड़े रेंगने वाले जीवों का विकास हआ । इसलिए इसे रेंगने वाले जीवों का काल ( Age of Raptiless )कहा जाता है । यह काल आर्कियोप्टेरिस की उत्पत्ति का काल था । ये स्थल एवं आकाश दाना में चल सकते थे । उस समय तीव्र गति से तैरने वाले लॉबस्टर ( केंकड़ा समह का प्राणी ) का उद्भव भी हुआ ।इसी काल में मेंढक व कछुआ की उत्पत्ति हुई थी ।

2 जुरैसिक काल ( Jurassic Era )

इस काल में मगरमच्छ के समान सुख और मछली के समान धड़ वाले जीव डायनासोर रेप्टाइल्स का विस्तार हुआ। काल में जलचर भूगोल स्थलचर व नभचर तीनों का आविर्भाव हो गया था । जूरा पर्वत का सम्बंध भी इसी काल से माना जाता है । पुष्पयुक्त वनस्पतियाँ इसी काल में आई थीं । प्रथम उड्ने वाले पक्षी ( आर्कियोप्टेरिक्स ) का उद्भव इसी कल्प में हुआ । चूना पत्थर का जमाव इस युग की मुख्य विशेषता थी , जो मुखात : फ्रांस , दक्षिणी जर्मनी एवं स्विट्जरलैण्ड में पायी जाती थी ।

3 क्रिटेशियस काल ( Cretaceous Era )

इस काल में बड़े – बड़े कछुओं का उद्भव भी इस काल में देखा गया । मैग्नेलिया व पोषनार जैसे – शीतोष्ण पतझड़ वन के वृक्ष विकसित हुए । उत्तरी – पश्चिमी अलास्का , कनाडा , मैक्सिको , ब्रिटेन के डोबर क्षेत्र व आस्ट्रेलिया आदि में खड़िया मिट्टी का जमाव हुआ । इस समय पर्वतीकरण अत्यधिक सक्रिय था । रॉकी व एंडीज पर्वतों की उत्पत्ति आरंभ हो गई । भारत के पठारी भाग में क्रिटेशियस काल में ही ज्वालामुखी लावा का दारी उभेदन हुआ , जिससे वक्कन ट्रैप व काली मिट्टी का निर्माण हुआ है ।

नवजीवी महाकल्प ( Cenozoic Era )

इस कल्प को तृतीयक या टर्शिरी युग भी कहा जाता है । इसी कल्प के विभिन्न कालों में अल्पाइन पर्वतीकरण हुए तथा विश्व के सभी नवीन मोड़दार पर्वतों आल्प्स , हिमालय , रॉकी , एंडीज आदि की उत्पत्ति हुई ।

1 . पैल्योसीन काल ( Paleocene  )

इस यग के दौरान हई लैरामाइड हलचल के फलस्वरूप उत्तरा अमेरिका में रॉकी पर्वतमाला का निर्माण हुआ तथा स्थल पर स्तनपाइयों का विस्तार हुआ । इसी कल्प में सर्वप्रथम स्तनपाई ( Mammaliaams ) जीवों व पुच्छहीन बंदरा ( Ape ) | का आविर्भाव हुआ ।

2 . इओसीन काल ( Eocene  )

इस युग में भूतल पर विभिन्न दरारों के माध्यम से ज्वालामुखी का उद्गार हुआ तथा स्थल पर रेंगने वाले जीव प्रायः विलुप्त हो गए । प्राचीन बंदर व गिब्बन म्यांमार में उत्पन्न हुए । हाथी , घोड़ा , रेनोसेरस ( गैंडा ) , सूअर आदि के पूर्वजों का आविर्भाव हुआ ।
3 . ओलीगोसीन काल ( Oligocene )

इस काल में अल्पाइन पर्वतीकरण प्रारंभ हुआ एवं बिल्ली , कुत्ता , भालू आदि की उत्पत्ति हुई । इसी काल में  पूंच्छहीन बंदर का आविर्भाव हुआ , जिसे मानव का पूर्वज कहा जा सकता है । ओलिगोसीन काल में ही वृहत् हिमालय की उत्पत्ति हुई ।

4 . मायोसीन काल ( Miccene  )

इस काल में अल्पाइन पर्वत निर्माणकारी गतिविधियों द्वारा सम्पूर्ण यूरोप एवं एशिया में वलनों का विकास हुआ , जिनके विस्तार की दिशा पूर्व – पश्चिम थी । इस काल में बड़े आकार के ( 60 फीट ) शार्क मछली , प्रोकानसल ( पुच्छहीन बंदर ) , जल पक्षी ( हस , बत्तख ) पेंग्विन आदि उत्पन्न हुए । हाथी का भी विकास इसी काल में हुआ । मध्य या लघु हिमालय की उत्पत्ति का मुख्य काल यही है ।

5 . प्लायोसीन काल ( Pliocene )

इस काल में समुद्रों के निरन्तर अवसादीकरण से यूरोप , मेसोपोटामिया , उत्तरी भारत , सिन्ध एवं उत्तरी अमेरिका में विस्तृत मैवानों का विकास हुआ तथा बड़े स्तनपाई प्राणियों को संख्या में कमी आई । शार्क का विनाश हो गया , मानव के पूर्वज का विकास हुआ तथा आधुनिक स्तनपाइयों का आविर्भाव हुआ । शिवालिक की उत्पत्ति इसी काल में हुई । हिमालय पर्वतमाला एवं दक्षिण के प्रायद्वीपीय भाग के बीच स्थित जलपूर्ण द्रोणी टेथिस भू – सन्नति में अवसादों के जमाव से उत्तरी विशाल मैदान का आविर्भाव इसी काल में होने लगा था ।

नूतन महाकल्प ( Neozoic Era )

इसे चतुर्थक युग भी कहा जाता है । प्लीस्टोसीन व होलोसीन में इसके दो उपभाग है पूषण

1. प्लीस्टोसीन काल ( Pleistocene Era )

इस युग में तापमान का स्तर नीचे आ गया , जिसके कारण यूरोप में क्रमशः चार हिमयुग देखे गये
जो इस प्रकार हैं
Ice age according to europe-

गुंज ( Guns ) , मिन्डेल ( Mindel ) , रिस ( Riss ) एवं वुर्म ( Wurm ) | विभिन्न हिमकालों के बीच में अंतर्हिम काल ( Inter Glacial Age ) देखे गए जो तुलनात्मक रूप से उष्णकाल था । मिन्डेल व रिस के बीच का अंतर्हिम काल सर्वाधिक लम्बी अवधि का था ।


Ice age according to america1-

इस समय नेब्रास्कन , कन्सान , इलीनोइन का या आयोवा व विस्कासिन हिमकाल देखे गए । नेब्रास्कन व की कन्सान के बीच अफ्टोनियन , कन्सान व इलीनोइन के बीच यारमाउथ , इलीनोइन व विस्कासिन के बीच संगमन अंतहिम काल था । इस युग के अंत में हिम चादर पिघलते चले गए एवं यूरोप , स्कैंडिनेवियन क्षेत्र की ऊँचाई में निरंतर वृद्धि हुई । पृथ्वी पर उड़ने वाले पक्षियों का आविर्भाव प्लीस्टोसीन काल में ही माना जाता है । मानव तथा अन्य स्तनपाई जीव वर्तमान स्वरूप में इसी काल में विकसित हुए ।

2 . होलोसीन या अभिनव काल ( Holocene Era )

इस काल में तापमान वृद्धि के कारण प्लीस्टोसीन काल कि हिम की समाप्ति हो गई तथा विश्व की वर्तमान दशा प्राप्त हुइ जो अभी भी जारी है । इसी समय सागरीय जीव वर्तमान अवस्था को प्राप्त हुए । स्थल पर मनुष्य ने कृषि कार्य तथा पशुपालन प्रारंभ कर दिया ।

    अन्य महत्वपूर्ण तथ्य Facts Related To Earth

1.पृथ्वी की आयु निर्धारित करने में यूरेनियम डेटिंग विधि का प्रयोग किया जाता है ।

2.धरती पर मौजूद प्रत्येक जीव में कार्बन उपस्थित है ।

3.जीवों / कार्बनिक पदार्थों को आयु निर्धारित करने में कार्बनिक डेटिंग विधि का प्रयोग किया जाता है ।

4. वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया मानते हैं ।

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