भारत में सिंचाई का महत्व | Importance of Irrigation In India
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Bharat Me Sichai Ka Mahatva लघु कृषि की नियमितता व उत्पादकता बनाए रखने के लिए खेतों में कृत्रिम रूप से जल आपूर्ति सुनिश्चित करना सिंचाई कहलाता है ।
भारत की जलवायु वर्ष भर फसल उत्पादन के अनुकूल रहती है परन्तु यहाँ सभी मौसमों में आर्द्रता की पर्याप्त क्षेत्र आपूर्ति नहीं हो पाती है इसलिए फसलोत्पादन हेतु आवश्यक जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सिंचाई आवश्यक हो जाती है । भारतीय कृषि मानसून पर अत्यधिक निर्भर है ।
अच्छी मानसूनी वर्षा बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करती है जबकि खराब मानसून के कारण था तो फसलें नष्ट हो जाती हैं या उनका उत्पादन अपेक्षाकृत कम होता है ।
सिंचाई का महत्व
भारत में वर्षा का वितरण भी काफी असमान है । कम वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा की न्यूनता के कारण सिंचाई आवश्यक हो जाती है । चूंकि कृषि भूमि का क्षेत्रीय विस्तार और अधिक संभव नहीं है , इसलिए यह आवश्यक है कि , कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ायी जाए ।
इस हेतु उच्च गुणवत्ता वाले बीजों व रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के साथ सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था अनिवार्य है ।
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- भारत में सिंचाई की आवश्यकता मानसून की अनिश्चितता
- वर्षा की अनियमितता वर्षा का असमान वितरण
- मानसून विभंगता वर्षा ऋतु की सीमित अवधि
- वर्षा का मूसलाधार स्वरूप
Irrigation |
भारत में सिंचाई के प्रमुख साधनों के अंतर्गत नहरें , कुएँ , नलकूप , डीजल पंपसेट , तालाब आदि आते हैं ।
वर्तमान में ड्रिप व स्प्रिंकलर सिंचाई भी की जा रही है । स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के सिंचित क्षेत्र में अत्यधिक विस्तार हुआ है ।
जहाँ 1951 ई . में भारत में कुल सिंचित क्षेत्र 226 लाख हेक्टेयर था , वहीं मार्च , 2010 तक यह बढ़कर 10.82 करोड़ हेक्टेयर तक पहुँच गया है ।
भारत की सिंचाई परियोजनाओं को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है
लघु सिंचाई परियोजनाएँ
Bharat Me Sichai Ka Mahatva
- लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से 2,000 हेक्टेयर से कम के क्षेत्र की सिंचाई होती है । इसके अंतर्गत कुआँ , नलकूप , डीजल पर्याप्त पम्पसेट , तालाव , ड्रिप सिंचाई , स्प्रिंकलर आदि शामिल किए जाते आवश्यक हैं ।
- भारत की कुल सिंचाई आवश्यकताओं की लगभग 62 % आपूर्ति लघु सिंचाई परियोजनाओं से होती है । देश में सिंचित क्षेत्र के संवर्द्धन की दिशा में लघु सिंचाई के बढ़ते महत्व को देखते हुए जून , 2010 में राष्ट्रीय लघु ( सूक्ष्म ) सिंचाई मिशन की शुरुआत की गई है ।
- मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ | Medium Irrigation Projects
इनसे 2,000 से 10,000 हेक्टेयर तक क्षेत्र की सिंचाई होती है । इनमें छोटी नहरों की प्रमुख भूमिका होती है ।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना | Pradhanmantri Krishi Sinchai Yojna
2015 में प्रारम्भ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत अगले पाँच वर्षों ( वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-20 ) के लिए 50,000 करोड़ रूपये का प्रबन्ध किया गया है । इस योजना का मुख्य उद्देश्य सिंचाई को प्रभावी बनाते हुए प्रत्येक खेत तक किसी – न – किसी माध्यम से सिंचाई सुविधा सुनिश्चित करना है ।
इस योजना का लक्ष्य सिंचाई में निवेश की प्रक्रिया में एकरूपता लाते हुए इसकी दक्षता को प्रभावी बनाना है । इस योजना के 4 घटक हैं- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम , हर खेत को पानी , प्रति | बूंद अधिक फसल तथा जल – संभर ( वाटरशेड ) विकास । इस योजना का क्रियान्वयन जल संसाधन , नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय , ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाएगा ।
3. वृहत् सिंचाई परियोजनाएँ | Major Irrigation Projects
इनसे 10,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों की सिंचाई होती है । इसके लिए बड़े बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती हैं । बड़ी व मध्यम परियोजना से देश की 38 % सिंचाई आवश्यकताओं की पूर्ति होती है ।
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