Laxmi Ji Ki Aarti – पढ़ने से हमारा मन और भावनाएं पवित्रता और उन्नति की ओर ले जाते हैं। यह हमें स्पष्टता और स्थिरता की प्राप्ति करने में मदद करता है। लक्ष्मी जी की आरती का पढ़ना हमारे द्वारा आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शुभकामनाओं को प्रकट करता है। यह हमारे और हमारे परिवार के लिए धन, संपत्ति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति की कामनाएं प्रकट करता है।
Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi | लक्ष्मी जी की आरती पढ़ने से लाभ
लक्ष्मी जी की आरती पढ़ने से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं: Laxmi mata aarti lyrics
आर्थिक उन्नति: लक्ष्मी जी की आरती का पाठ करने से आपके जीवन में आर्थिक उन्नति हो सकती है। यह आपको धन, संपत्ति, और आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति में सहायता कर सकती है।
धार्मिक आनंद: लक्ष्मी जी की आरती पढ़ने से आपको धार्मिक आनंद का अनुभव हो सकता है। आपके मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करने में मदद मिल सकती है और आपकी मानसिक शांति बढ़ा सकती है।
सुख और शांति: लक्ष्मी जी की आरती का पाठ करने से आपके जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति हो सकती है। यह आपको आनंद, समृद्धि, और आनंददायक स्थितियों का अनुभव करने में मदद कर सकती है।
अधिकारिता: लक्ष्मी जी की आरती का पठने से आपको आपकी सामर्थ्य और अधिकारिता का अनुभव हो सकता है। इसके माध्यम से आप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपनी सामर्थ्य को बढ़ा सकते हैं और अपनी संपत्ति और सुख-शांति को विकसित कर सकते हैं।
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Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics | Laxmi Ji Ki Aarti In Hindi
Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी का आह्वान भक्तजन साप्ताहिक दिन शुक्रवार, गुरुवार, वैभव लक्ष्मी व्रत तथा दीपावली में लक्ष्मी पूजन के दिन मुख्यतया अधिक करते हैं, जिसके अंतरगत भक्त माँ लक्ष्मी की आरती करते
है। Laxmi Ji Ki Aarti In Hindi
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय,
वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
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