खनिज तेल अथवा पेट्रोलियम 


ऊर्जा संसाधनों का विकास औद्योगिक विकास का सूचक है । हमारे देश में व्यापारिक स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख ऊर्जा संसाधन हैं –

इसके अतिरिक्त प्राकृतिक गैसपरमाणु ऊर्जा, पवन चक्की , ज्वारीय ऊर्जा ( Tidal Energy )
सौर ऊर्जा , भूगर्भिक ऊर्जा  आदि भी देश की ऊर्जा आपूर्ति में कछ योगदान करते हैं ।

महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधनों का उत्पादन एवं वितरण प्रतिरूप निम्नवत है :

What are Petroleum Products and Places of Production in India


Indian-oil-resources-aurjaniy.blogspot.com
Indian Oil And Petrolium


खनिज तेल अथवा पेट्रोलियम तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ( ONGC )

खनिज तेल अथवा पेट्रोलियम तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ( ONGC ) द्वारा 26 स्थलीय एवं सागरीय तेल संभावी बेसिनों का पता लगाया गया है ।
इसके अनुसार ,

देश का कुल खनिज तेल भंडार 1 , 750 लाख टन है। अन्तर्राष्ट्रीय भूगर्भिक सर्वेक्षण के अनुसार , भारत में खनिज तेल का भंडार 620 करोड़ टन है । वर्तमान देश के निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों से खनिज तेल प्राप्त किया जा रहा है

  • असम तेल क्षेत्र : यह देश का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन तेल क्षेत्र है । यहाँ के तेल क्षेत्रों में डिगबोई , नहरकटिया , हगरीजान – मोरान व सुरमा नदी घाटी प्रमुख हैं । हगरीजान – मोरान क्षेत्र में प्राकृतिक गैस भी पायी जाती है । 

  • गुजरात तेल क्षेत्र : गुजरात राज्य में खम्भात तथा अंकलेश्वर महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र हैं । इनके अतिरिक्त नवगाँव , कोसाम्बा , ओल्पाद , ढोलका , मेहसाना , कलोल आदि स्थानों पर भी तेल क्षेत्र का विस्तार है । सौराष्ट्र में भावनगर से 45 किमी . दूर अलियाबेट द्वीप में भी तेल की खोजा जा चुका है ।

  • मुम्बई हाई क्षेत्र : मुम्बई तट से 176 किमी . दूर मुम्बई हाई क्षेत्र भी एक महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र हैं , जहाँ से 1976 ई . से ही तेल की प्राप्ति हो रही है । इस क्षेत्र के गहरे सागरीय क्षेत्र से तेल निकालने के लिए जापान से सागर सम्राट नामक जहाज मँगाया गया था । देश के कुल खनिज तेल उत्पादन का 60 % भाग इसी क्षेत्र से प्राप्त किया जाता है । 

अपतटीय क्षेत्र खनन विकास एवं नियमन अधिनियम – 1957 के अनुसार , भारत के समुद्री क्षेत्र एवं महाद्वीपीय ढाल , अनन्य आर्थिक क्षेत्र ( EEZ ) तथा अन्य समुद्री क्षेत्रों में खनिज उत्खनन का सम्पूर्ण अधिकार केन्द्र सरकार के पास है । अपतटीय क्षेत्र में उत्पादित खनिज को राज्य के हिस्से में न जोड़कर अलग से अपतटीय क्षेत्र में दिखाया जाता है । इसलिए मुम्बई हाई क्षेत्र के उत्पादन को महाराष्ट्र के उत्पादन में शामिल नहीं किया जाता है ।

भारत में कच्चे तेल व प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गुजरात का प्रथम स्थान है ।

  1. वर्तमान में कृष्णा – गोदावरी नदी घाटी में रावा अपतटीय क्षेत्र से भी खनिज तेल का उत्पादन किया जा रहा है । 
  2. राजस्थान के बाड़मेर में केयर्न इनर्जी एवं ओएनजीसी के द्वारा संयुक्त रूप से मंगला तेल क्षेत्र से वाणिज्यिक स्तर पर तेल उत्पादन प्रारंभ हो गया है ।

 शीर्ष कच्चा तेल ( पेट्रोलियम ) उत्पादक क्षेत्र

  • अपतटीय क्षेत्र 51 . 15 % 
  • राजस्थान 22 . 67 % 
  • गुजरात 12.79 % 
  • असम11 . 67 % 
  • आन्ध्र प्रदेश , तमिलनाडू एवं अरुणाचल प्रदेश 1 . 72 % 

मंगला तेल क्षेत्र पिछले दो दशकों में देश में तेल की सबसे बड़ी अपतटीय (On Shore)

खोज है । इसके अतिरिक्त , राजस्थान में भाग्यम व ऐश्वर्य क्षेत्रों में भी तेल के प्रचुर भण्डार है ।

    इन तीनों ही क्षेत्रों में संयुक्त रूप से निकासी योग्य तेल के भण्डार एक अरब बैरल आकलित किए गए हैं ।

    मंगला क्षेत्र से अगले दो वर्षों तक स्वदेशी उत्पादन का 20 % प्राप्त होगा । खनिज तेल के अन्य संभावित क्षेत्रों का पता लगाने तथा उसके भंडारों के सर्वेक्षण के लिए 1956 ई . में तेल एवं प्राकृतिक गैस  निगम (ONGC ) की स्थापना की गई थी तथा 1959 ई . में असम एवं अरुणाचल प्रदेश के तेल क्षेत्रों एवं भंडारों का पता लगाने तथा उनके विकास हेतु ऑयल इण्डिया लिमिटेड ( OIL ) का गठन किया गया । ओएनजीसी ने पाँचवीं पीढ़ी के अत्याधुनिक ड्रिल  शिप बेल्फोर्ड डॉल्फिन के द्वारा गहरे समुद्र में तेल की खोज के लिए सागर समृद्धि परियोजना प्रारंभ की है । यह शिप समुद्र में 3 , 000 मी . की गहराई तक खुदाई करने में सक्षम है । ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ( OVL ) ने पूर्वी रूस के सखालीन द्वीप के तेल क्षेत्र में तेल एवं प्राकृतिक गैस के उत्पादन हेतु निवेश किया है जहाँ , उसकी हिस्सेदारी 20 % है ।
    किसी भी भारतीय कंपनी का यह विदेश में सबसे बड़ा निवेश है ।

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