निजीकरण से आप क्या समझते हैं ? | What is Privatization? Main Objective of Privatization
NIJIKARAN KYA HAI? इसके मुख्य उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए | What is Privatization? Main Objective of Privatization- what is free trade निजीकरण से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसमें ऐसे उद्योगों तथा व्यवसायों जो अब तक सरकारी स्वामित्व में थे , के स्वामित्व को निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित कर दिया जाता है । निजीकरण के अन्तर्गत निजी क्षेत्र की व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि कर दी जाती है तथा उद्योग या विशेष क्षेत्र से सरकारी नियन्त्रण को आंशिक या पूर्ण रूप से हटा लिया जाता है । What is inflation in Hindi?
PRIVITIZATION – Privatisation in India
NIZIKARAN के विभिन्न रूप हो सकते हैं
- विराष्ट्रीयकरण अर्थात् राष्ट्रीयकृत प्रतिष्ठानों से राज्य के नियन्त्रण को हटा लेना ।
- सार्वजनिक क्षेत्र के विकास पर रोक लगाना ।
- सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को निजी उद्यमियों या निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित कर देना ।
- सार्वजनिक क्षेत्र या राष्ट्रीयकृत प्रतिष्ठानों की पूँजी को जनता को या निजी क्षेत्र को बेचना ।
- सार्वजनिक क्षेत्र हेतु सुरक्षित उद्योगों में निजी क्षेत्र को उद्योग स्थापित करने की अनुमति प्रदान करना ।
- सार्वजनिक कम्पनियों द्वारा अपने कार्यों के लिए निजी क्षेत्र को लाइसेन्स देना अथवा उत्पादन या विक्रय अधिकार हस्तान्तरित करना ।
निजीकरण के उद्देश्य ( Objectives of Privatisation )
what is a free trade agreement- निजीकरण का मूल उद्देश्य निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना , उसका कार्य क्षेत्र बढ़ाना तथा भागीदारी प्रदान करना होता है ।
इसके कुछ उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- सार्वजनिक क्षेत्र की निराशाजनक भूमिका के मद्देनजर देश में उत्पादन तथा विनियोग की दर को बढ़ाया जाना ।
- राजकोष पर बढ़ते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के घाटों का बोझ कम करना ।
- उत्पादकता में वृद्धि करना , उत्पादन क्षमता बढ़ाना , उत्पादन तकनीक तथा किस्म में वृद्धि करना ।
- प्रतियोगिता में वृद्धि करना जिससे जनता को कम लागत पर तथा अच्छी तकनीक से उत्पादित माल उपलब्ध कराया जा सके ।
- प्रबन्धकीय योग्यता तथा दक्षता में वृद्धि करना ।
- नये उद्योगों की स्थापना तथा आयात प्रतिस्थापन पर जोर देना ।
- देश की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र के साथ समन्वित करके आर्थिक विकास की दर में तेजी लाना ।
- राष्ट्रीय संसाधनों का अधिक विदोहन करना ।
- विदेशी पूँजी का अधिकाधिक उपयोग करना ।
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना ।
- विनियोगों पर उचित प्रत्याय दर बनाये रखना ।
- कार्य की दशाओं में सुधार करना ।
- भारत में निजीकरण ( Privatisation in India )
सन् 1991 की नई औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित क्षेत्रों में कमी करने की बात कही गयी और उल्लेख किया गया कि केवल प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ही सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका होनी चाहिए ताकि देश के उत्पादन स्तर तथा राष्ट्रीय आय में समुचित वृद्धि की जा सके ।
NIZIKARAN KI SHURUAT KAB HUI
भारत में निजीकरण की वास्तविक शुरूआत 1991 में हुई थी जब इसके बारे में नई औद्योगिक नीति 1991 में आवश्यकता महसूस की गई । निजीकरण के तहत भारत सरकार VSNL , CMC , HTL , IBP . PPL , MUL आदि सार्वजनिक उपक्रमों को पूरी तरह से निजी क्षेत्र को बेच चुकी है जबकि अन्य उपक्रमों को शेयर पूँजी का कुछ हिस्सा बेचा गया है ।
2018-19 में पूँजी अपनिवेश से 84,974 करोड़ रुपये तथा 2017-18 में 1,00,657 करोड़ रुपये जुटाए गए थे । 2019-20 में 1.05.000 करोड़ रुपये जुटाए जाने का अनुमान है ।
निजीकरण के प्रभाव ( Effects of Privatisation )
What is free trade policy – भारत में निजीकरण किये जाने से देश की अर्थव्यवस्था पर अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ा है । अनुकूल प्रभाव अर्थात् देश की अर्थव्यवस्था पर लाभदायक प्रभाव निम्नलिखित हैं
- निजीकरण के फलस्वरूप देश में निजी देशी तथा विदेशी उद्योगपतियों की भागीदारी में वृद्धि हुई है ।
- इसके फलस्वरूप देश की औद्योगिक विकास दर में काफी वृद्धि
- निजीकरण से देश में तकनीक का भी विकास हुआ है और आयात प्रतिस्थापन की प्रक्रिया को बल मिला है ।
- आज देश में कई वस्तुओं के आयात में कमी तथा निर्यात में वृद्धि आई है और इसी कारण भुगतान सन्तुलन में भी सुधार आया है ।
- निजीकरण से देश में विदेशी पूँजी निवेश में वृद्धि आई है ।
- 2014-15 की अवधि में देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का वास्तविक अन्तर्वाह 383 अरब डालर हुआ है जिससे देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि हुई है ।
- देश में पूँजी निर्माण की दर में भी वृद्धि आई है ।
- वर्ष 2014-15 में पूँजी निर्माण की दर सकल घरेलू उत्पाद का 43-8 % रहा है ।
- निजीकरण से उत्पादन में वृद्धि आई है और इसी के फलस्वरूप स्फीति दर में भी गिरावट आई है ।
- मुद्रास्फीति की दर जो 1991 में 17 % थी अगस्त , 2015 में 3.62 % थी ।
- बजट घाटा तथा राजकोषीय घाटे को कम करने में भी निजीकरण सहायक सिद्ध हुआ है ।
निजीकरण के कुछ विपरीत प्रभाव निम्नलिखित हैं | NEGATIVE IMPACT OF PRIVATIZATION
- निजीकरण की प्रक्रिया में आधारभूत तथा राष्ट्रीय महत्व के उद्योगों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है जिससे इन क्षेत्रों का विकास कम हो पाया है ।
- निजीकरण से लाभान्वित निजी उद्योगपति मात्र लाभोपार्जन उद्देश्य से कार्य करते हैं ।
- इससे सामाजिक कल्याण विपरीत रूप से प्रभावित हुआ है । होने तथा विरोध का भय सदैव बना रहता है ।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों के निजीकरण के भय से कर्मचारियों में रोष व्याप्त
- जिन उद्योगों में जोखिम अधिक और प्रत्याय कम है उनमें निजी क्षेत्र की कोई रुचि न होने के कारण उनका विकास असम्भव हो गया है । असमानताएँ उत्पन्न होने का भय है ।
- निजीकरण से कर्मचारी व श्रमिक वर्ग की उपेक्षा , बेरोजगारी तथा आर्थिक
- निजीकरण से प्रतिबन्धित व्यापार प्रकृतियाँ जैसे अवांछनीय कीमत वृद्धि , कृत्रिम कमी , कालाबाजारी , संग्रहण आदि प्रवृत्तियों को बल मिला है ।
- समाजवादी समाज की स्थापना करने का देश का उद्देश्य असफल होता प्रतीत होता वैश्विक अर्थव्यवस्था निजीकरण की पक्षधर है ।
इस अर्थव्यवस्था के तहत माना जाता है कि कारखाने चलाना और व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं है । आर्थिक उदारीकरण , भूमण्डलीकरण और उसके अनुरूप भारत में आर्थिक सुधार का जो मार्ग नब्बे के दशक में अपनाया गया था , निजीकरण और विनिवेश उसका आवश्यक हिस्सा है ।
निजीकरण की प्रभावी शुरुआत और गतिशील अभियान के पश्चात् यह तो तय है कि केन्द्र सरकार का निजीकरण और विनिवेश के मामले से पीछे हटना सम्भव नहीं है ।
भारत में निजीकरण को अर्थव्यवस्था की वर्तमान बुराइयों के लिए रामबाण नहीं समझा जाता परन्तु यदि इस निजीकरण के व्यापक होते अभियान के साथ प्रभावी एवं उचित नियन्त्रण की व्यवस्था की जाये तो अर्थव्यवस्था कुशलता और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल कर सकती है , इसमें सन्देह नहीं ।
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