भारत में लोक सेवा आयोग पर एक निबन्ध लिखिए । Essay On Union Public Service Commission
संसदीय प्रणाली में मन्त्रिपरिषद् ही कार्यपालिका होती है , जो विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है । मन्त्रिपरिषद् की अनिश्चितता इस प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता होती है । अतः प्रशासन में निरन्तरता बनाए रखने के लिए लोक सेवाओं का गठन किया जाता है ।
लोक सेवाओं की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका स्थायी होना है और इसी कारण लोक सेवा को स्थायी कार्यपालिका ‘ कहा जाता है जबकि मन्त्रिपरिषद् , जिसे ‘ राजनीतिक कार्यपालिका ‘ कहा जाता है , अस्थायी होती है । अतः इसे अस्थायी कार्यपालिका भी कहा जाता है ।
UPSC |
यद्यपि सरकार की नीतियों का निर्धारण मन्त्रिपरिषद् द्वारा किया जाता है लेकिन इसका क्रियान्वयन लोकसेवकों द्वारा किया जाता है । लोकसेवक नीति – निर्माण में मन्त्रिपरिषद् को सहायता प्रदान करते हैं । भारत में संगठित लोक सेवा का विकास ब्रिटिश शासन के अधीन हुआ । ब्रिटिश शासन के अधीन अनेक प्रकार की सेवाएँ हुआ करती थीं , जिनमें केन्द्रीय तथा कुछ प्रान्तीय सेवाएँ थीं ।
उल्लेखनीय है कि भारत में लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान सर्वप्रथम 1919 के अधिनियम में किया गया था । 1919 के अधिनियम के आधार पर भारत में लोक सेवा आयोग की स्थापना 1928 में की गयी ।
1935 के अधिनियम में तीन प्रकार के लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया था
- संघीय लोक सेवा आयोग
- राज्य लोक सेवा आयोग
- प्रान्तों के अनुरोध पर किये जाने पर संयुक्त लोक सेवा आयोग ।
भारत के आजाद होने पर भारतीय संविधान में भी अनुच्छेद 315 के अन्तर्गत उपर्युक्त प्रावधानों को ही स्वीकार किया गया है । 15 अगस्त , 1947 को भारत के स्वतन्त्र होने के बाद भारत का प्रशासनिक ढाँचा अस्त व्यस्त था । व्यवस्थापिका , कार्यपालिका व न्यायपालिका में समन्वयन के लिए तथा कुछ विशेष श्रेणी की सेवाओं के लिए 20 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक तकनीकी लोक सेवाओं का अभाव था । अतः भारतीय संविधान के निर्माताओं के सामने प्रशासन तन्त्र के नये ढाँचे को आविष्कृत करने की बहुत कम स्वतन्त्रता थी ।
देश के विभाजन ने इस बात को और भी अधिक आवश्यक बनाया कि प्रशासन के क्षेत्र में यथास्थिति को लेकर आगे बढ़ा जाए ।
संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष व भारत के आधुनिक मनु डॉ . भीमराव अम्बेडकर व सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय नौकरशाही के नये अभिभावक बने और देश को लोकतान्त्रिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए भारतीय गणतन्त्र के संविधान में यह निर्णय लिया कि ‘ Indian Administrative Service ‘ तथा ‘ Indian Police Service ‘ नामक अखिल भारतीय सेवाओं को जीवित रहने दिया जाए ।
परिणामस्वरूप अखिल भारतीय सेवाएँ संघ सूची की सातवीं ‘ शिड्यूल ‘ में प्रविष्टी पा सकीं और राज्यसभा को यह अधिकार दिया गया यदि वह आवश्यक समझे तो 2/3 बहुमत से पारित एक प्रस्ताव द्वारा भविष्य में एक नयी अधित भारती सेवाएँ गठित कर सकती है ।
भारतीय संविधान में संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्यों के अपने – अपने लोक सेवा आयोगों के संगठन , कार्य और कार्य प्रणाली की भी व्यवस्था की गयी है । है । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 में लोक सेवा आयोग का स्पष्ट वर्णन किया गया है । अनुच्छेद 315 ( 1 ) में लिखा है , ” इस अनुच्छेद के उपबन्धों के अधीन रहते हुए , संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग होगा ।
नवीन अनुच्छेद 315 ( 2 ) में लिखा है , दो या दो से अधिक राज्य यह करार कर सकेंगे कि राज्यों के उस समूह के लिए एक ही लोक सेवा आयोग होगा और यदि इस आशय का संकल्प उन राज्यों में से प्रत्येक राज्य के विधानमण्डल के सदन द्वारा जहाँ दो सदन हैं , वहाँ प्रत्येक सदन द्वारा पारित कर दिया जाता है तो भारतीय संसद उन राज्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए विधि द्वारा संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग की नियुक्ति कर सकेगी ।
अनुच्छेद 315 ( 5 ) में लिखा है , जब जब कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो , संघ लोक सेवा आयोग या किसी राज्य लोक सेवा आयोग के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे ऐसे आयोग के प्रति निर्देश है जो प्रश्नगत किसी विशिष्ट विषय के सम्बन्ध में यथास्थिति , संघ की या राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है ।
अनुच्छेद 316 में स्पष्ट वर्णन है कि सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति , यदि वह संघ आयोग या संयुक्त आयोग है , तो राष्ट्रपति द्वारा और राज्य आयोग है तो राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी तथा संघ लोक सेवा आयोग व राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को हटाने का प्रावधान व निलम्बन का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 317 में स्पष्ट रूप से दिया गया है ।
अनुच्छेद 350 में संघ और राज्य लोक सेवा आयोगों का यह कर्तव्य होगा कि वे क्रमश : संघ की सेवाओं और राज्य की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाओं का संचालन करें ।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय सेवाएँ गठित करने का प्रमुख उद्देश्य देशभर में प्रशासन स्तर में एकरूपता लान तथा उच्च स्तरीय पदों पर काम करने के लिए अनुभवी तथा प्रति विशेषत जान BUS LE ग लोक नीतिक भी कहा लेकिन गठित करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से अखिल भारतीय आधार पर सीधी भर्ती करना था ।
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