भारत नवाचार सूचकांक -2020 India Innovation Index -2020
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हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी किये गए भारत नवाचार सूचकांक -2020 में कर्नाटक को प्रमुख राज्यों की श्रेणी में शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है ।
भारत नवाचार सूचकांक
यह सूचकांक नीति आयोग द्वारा ‘ द इंस्टीट्यूट फॉर कम्पटेटिवनेस ‘ ( The Institute for Competitiveness ) के सहयोग से जारी किया जाता है ।
वैश्विक नवाचार सूचकांक पर आधारित
इस सूचकांक को भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नामोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने और इन क्षेत्रों में नवाचार से संबंधित नीतियाँ तैयार करने के लिये वैश्विक नवाचार सूचकांक ( GII ) की तर्ज पर विकसित किया गया है INDIA IN THE LIST OF AMERICA’S CURRENCY WATCH LIST
दृष्टिकोण
इस सूचकांक को पारंपरिक दृष्टिकोण के इतर ‘ प्रति मिलियन आबादी पर पेटेंट ‘ , ‘ वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशन ‘ , ‘ अनुसंधान पर जीडीपी खर्च का प्रतिशत ‘ जैसे नवोन्मेष सर्वोत्तम मापदंडों पर विचार करके जारी किया जाता है – यह भारतीय अर्थव्यवस्था की समग्र रूप से कवरेज करने के लिये विशिष्ट संकेतकों ( जैसे- जनसांख्यिकी लाभांश ) का उपयोग करता है ।
प्रयुक्त संकेतक
इस सर्वेक्षण में उपयोग किये जाने वाले संकेतकों में विभिन्न मापदंडों पर शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता शामिल हैं .
- पीएचडी छात्रों की संख्या और ज्ञान के आधार पर रोजगार – इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में नामांकन तथा अत्यधिक कुशल पेशेवरों की संख्या ।
- अनुसंधान एवं विकास में निवेश , पेटेंट और ट्रेडमार्क के लिये किये गए आवेदनों की संख्या .
- इंटरनेट सब्सक्राइबर –
- FDI अंतर्वाह , कारोबारी माहौल , सुरक्षा और कानूनी वातावरण ।
प्रमुख बिंदु श्रेणियाँ : INDIA IN THE LIST OF AMERICA’S CURRENCY WATCH LIST
नवाचार सूचकांक को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है-
- प्रमुख राज्य ,
- केंद्रशासित प्रदेश और
- पहाड़ी एवं उत्तर – पूर्व के राज्य ।
प्रमुख राज्य .
शीर्ष राज्यः इस श्रेणी में कर्नाटक 425 के स्कोर के साथ शीर्ष पर मौजूद है । कर्नाटक की सफलता का श्रेय उच्च उद्यम पूजी सौदों , पंजीकृत भौगोलिक संकेतक , सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी निर्यात और उच्च FDI प्रवाह को दिया गया है ।
- चार दक्षिणी राज्य ( कर्नाटक , तमिलनाडु , तेलंगाना एवं केरल ) इस सूचकांक में शीर्ष पाँच में शामिल हैं जबकि महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है ।
- निम्न राज्य :झारखंड , उत्तोमागद और बिहार का स्कोर सूचकांक में सबसे कम है, जिससे इन्हे प्रमुख राज्यों की श्रेणी में सबसे नीचे रखा गया है । विहार 14.5 अंकों के साथ अतिम स्थान पर मौजूद है ।
पहाड़ी एवं पूर्वोत्तर राज्य
पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों की रैकिंग में हिमाचल प्रदेश सबसे ऊपर इसके बाद उत्तराखंड , मणिपुर और सिक्किम हैं ।
केंद्रशासित प्रदेश / छोटे राज्य
दिल्ली ने 46.6 के स्कोर के साथ देश में सबसे अधिक अंक प्राप्त किये है जबकि लक्षद्वीप का स्कोर सबसे कम ( 11.7 ) है । उल्लेखनीय है कि दिल्ली ने पिछले वित्तीय वर्ष में नए स्टार्ट – अप और कंपनियों की स्थापना के साथ सबसे अधिक ट्रेडमार्क एवं पेटेंट आवेदन दर्ज किये हैं ।
चुनौतियाँ
अनुसंधान में निजी निवेश को आकर्षित करना :
भारत में निजी क्षेत्र का निवेश इसराइल की तुलना में बहुत कम है , जहाँ अनुसंधान एवं विकास में निजी कंपनियों द्वारा किये गए निवेश का हिस्सा 70 % है ।
उत्तर – दक्षिण विभाजन को संतुलित करनाः
रिपोर्ट के निष्कर्ष में दक्षिणी राज्यों ने उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है । अत : नवाचार में क्षेत्रीय असमानता को कम करने के लिये राज्यों की अभिनय क्षमताओं ( प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के अंतर के साथ ) को स्थापित करने की आवश्यकता है ।
राज्यस्तरीय नीतियों के सूक्ष्म विश्लेषण की आवश्यकताः
सूचकांक के आधार पर प्रत्येक राज्य को अपने विशिष्ट संसाधनों और शक्तियों के साथ सामंजस्य बनाते हुए अपनी स्वयं को भौति तैयार करने की आवश्यकता है , जो उसको विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हो ।
सुझाव
अनुसंधान में अधिक निवेश करना :
- भारत को अनुसंधान एवं विकास पर निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता है जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.6-0.7 % है ।
- यह इजराइल ( 4.3 % ) ,
- दक्षिण कोरिया ( 4.294 ) .
- अमेरिका ( 2.4 % ) और
- चीन ( 2.1 ) जैसे देशों के स्तर से काफी कम है ।
- उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच अधिक सहयोग से तथा अनुसंधान और विकास पर निवेश में वृद्धि से नवाचार क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती है । –
- यह देश में शीर्ष अनुसंधान संस्थानों की क्षमता को व्यापक एवं उत्तम बना सकता है जिससे अधिक – से – अधिक नवाचार समताओं का सृजन –
- एक सहयोगी प्लेटफार्म की स्थापनाः नवाचार के सभी हितधारकों को उद्योग से जोड़ने के लिये नवप्रवर्तकों , शोधकर्ताओं और निवेशकों हेतु एक सामान्य मंच विकसित किया जाना चाहिये । .
- यह उद्योग – अकादमिक सहभागिता को मजबूती प्रदान करने में सहायता करेगा और अपने आविष्कारों को प्रदर्शित करने के लिये नवप्रवर्तको को एक मंच प्रदान कर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।
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