ऊर्जा संसाधन|भारतीय ऊर्जा संसाधनों का विकास
ऊर्जा संसाधनों का विकास औद्योगिक विकास का सूचक है । हमारे देश में व्यापारिक स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख ऊर्जा संसाधन हैं –

इसके अतिरिक्त ऊर्जा के गैर परंपरागत स्त्रोत  प्राकृतिक गैस , परमाणु ऊर्जा , पवन चक्की , ज्वारीय ऊर्जा ,सौर ऊर्जा , भूगर्भिक ऊर्जा आदि भी देश की ऊर्जा आपूर्ति में कछ योगदान करते हैं ।

महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधनों का उत्पादन एवं वितरण प्रतिरूप निम्नवत है :

1 . कोयला 

koyla kya hai|What Is Coal|

यह मुख्यतः हाइड्रोकार्बन से निर्मित एक ठोस संस्तरित शिला है . जिसे उष्मा व प्रकाश या दोनों को आपूर्ति हेतु ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है । यह औद्योगिक इंधन के साथ – साथ विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चे माल का स्रोत भी है । कार्बन की घटती गुणवत्ता के अनुसार कोयले के प्रमुख प्रकार हैं – एन्थ्रसाइट ( 80 – 95 % ) , बिटुमिनस ( 55 – 65 % ) , लिग्नाइट ( 45 – 55 % ) पीट ( 95 – 459 ) एवं केनाल ।

भारतीय कोयले का भंडार

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भारतीय भू – विज्ञान सर्वेक्षण के अद्यतन आकलन ( वर्ष 2011 ) के अनसार भारत कोयले का भंडार 285 . 87 अरब टन है , भारत में कोयले के कुल उत्पादन का लगभग 77 % भाग ताप विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जाता है ।

भारत में आधुनिक विधि से कोयला निकालने का प्रथम प्रयास पश्चिम बंगाल के रानीगंज कोयला क्षेत्र में किया गया । देश में प्राचीन काल की गोंडवाना शैलों में कुल कोयले का 98 % भाग पाया जाता है , शेष 2 % कोयला तृतीयक या टर्शियरी युगीन चट्टानों में मिलता है । गोंडवाना युगीन चट्टानों का सबसे प्रमुख क्षेत्र पश्चिम बंगाल , झारखंड तथा आडिशा राज्यों में विस्तृत है , जहाँ से कुल उत्पादन का 76 % का  कोयला प्राप्त होता है ।

कोयला उत्पादक प्रमुख राज्य | coal producer states in hindikoyla utpadak rajya
koyla kitne prakar ke hote

मध्य प्रदेश तथा आन्ध्रप्रदेश गोंडवाना क्षेत्र के अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य है । गोडवाना युगीन कोयला मुख्यतः बिटुमिनस प्रकार का है , जिसका उपयोग कोकिंग कोयला बनाकर देश के लौह – इस्पात के कारखानों में किया जाता है ।
प्रायद्वीपीय भारत की नदी घाटियों कोयला के प्रमुख प्राप्ति स्थल है जिनमें दामोदर नदी घाटी , सोन – महानदी – ब्राह्मणी नदी घाटी , वर्धा – गोदावरी – इंद्रावती नदी घाटी तथा कोयल – पेंच – कान्हन नदी घाटी प्रमुख है ।

पश्चिम बंगाल का रानीगंज कोयला क्षेत्र ऊपरी दामोदर घाटी में है , जो देश का सबसे महत्वपूर्ण एवं बड़ा कोयला क्षेत्र है । इस क्षेत्र से देश का लगभग 35 % कोयला प्राप्त होता है । झारखंड राज्य में झरिया , बोकारो , गिरिडीह , करनपुरा , रामगढ़ आदि क्षेत्रों से उत्तम कोटि का बिटुमिनस कोयला प्राप्त किया जाता है ।

छत्तीसगढ़ का तातापानी – रामकोला कोयला क्षेत्र , ओडिशा का तलचर कोयला क्षेत्र ( ब्राह्मणी नदी घाटी ) व आंध्र प्रदेश का सिंगरैनी कोयला क्षेत्र ( कृष्णा – गोदावरी नदी घाटी ) भी प्रमुख कोयला उत्खनन क्षेत्र है ।
टर्शियरी युगीन कोयले के सबसे प्रमुख क्षेत्र माकूम ( असम ) , नेवेली ( तमिलनाडु , लिग्नाइट कोयले के लिए प्रसिद्ध ) तथा पलना ( राजस्थान ) हैं ।
भारत में लिग्नाइट का सर्वाधिक भंडार तमिलनाडु के मन्नारगुडी ( 19 , 500 मिलियन टन ) में होने का अनुमान लगाया जाता है ।Coal states

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Coal Production in India

एन्बासाइट कोयले के उत्पादन में 

चीन ( 47 % ),
संयुक्त राज्य अमेरिका ( 10 % ) के बाद
भारत ( 9 % ) का के तीसरा स्थान है ।
coalkoyle ka sabse bada bhandar kis rajya mein hai

देश के कुल कोयला उत्पादन का 21 . 7 % भाग का उत्पादन कर छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है ।
इसके पश्चात् 47 क्रमशः ओडिशा ( 21 . 03 % ) , झारखण्ड ( 19 . 08 % ) , मध्य प्रदेश ( 15 . 84 % ) . तेलंगाना ( 8 . 98 % ) , महाराष्ट्र ( 6 % ) , पश्चिम बंगाल ( 4 . 17 % ) एवं उत्तर प्रदेश ( 2 . 42 % ) का स्थान आता है ।

ताप शेष कोयले का उत्पादन असम , जम्मू – कश्मीर एवं मेघालय में किया जाता है ।

             शीर्ष कोयला उत्पादक राज्य ।
उत्पादक राज्य उत्पादन ( % में )
छत्तीसगढ़ 21.7
ओडिशा 21.03
झारखण्ड 19.08
मध्य प्रदेश 15.84
तेलंगाना 8.098

इसके अतिरिक्त प्राकृतिक गैस , परमाणु ऊर्जा , पवन चक्की , ज्वारीय ऊर्जा ,सौर ऊर्जा , भूगर्भिक ऊर्जा आदि भी देश की ऊर्जा आपूर्ति में कछ योगदान करते हैं ।

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