शिशुनाग वंश(SHISHUNAG DYNASTY ) THE RISE OF THE MAGADHA EMPIRE 

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 मगध साम्राज्य का उत्कर्ष | THE RISE OF THE MAGADHA EMPIRE | उत्कर्ष के कारण ( CAUSES OF THE RISE OF MAGADHA EMPIRE ) प्राचीन भारतीय इतिहास में मगध का विशेष स्थान है । प्राचीन काल में भारत अनेक छोटे बड़े राज्यों की सत्ता थी । 

मगध के प्रतापी राजाओं ने इन राज्यों पर विजय प्राप्त कर भारत के एक बड़े भाग पर विशाल एवं शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की और इस प्रकार मगध के शासकों ने सर्वप्रथम अपनी साम्राज्यवादी प्रवृत्ति को प्रदर्शित किया । 

मगध में मौर्य वंश की स्थापना से पूर्व भी अनेक शासकों ने अपने बाहुबल व वीरता से मगध साम्राज्य को शक्तिशाली बनाया था । 

जिनमें-

और आज हम बात करेंगे शिशुनाग वंश के बारे में

शिशुनाग वंश ( 414 ई . पू . से 346 ई . पू . ) ( SHISHUNAG DYNASTY ) 

414 ई . पू . में नागदशक के निष्कासन के बाद शिशुनाग राजगद्दी पर बैठा । शिशुनाग ने पाटलिपुत्र के स्थान पर गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया । शिशुनाग वैशाली के एक लिच्छवि राजा का पुत्र था , अतः वैशाली के प्रति उसे विशेष लगाव था । इसी कारण शिशुनाग ने वैशाली नगर को अपनी दूसरी राजधानी बनाया । कालान्तर में उसकी वास्तविक राजधानी वैशाली हो गयी । 

शिशुनाग एक प्रतापी तथा महत्वाकांक्षी शासक था तथा अपने शासनकाल में उसने मगध साम्राज्य के सम्मान में अपार वृद्धि की । उसके शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना अवन्ति पर विजय प्राप्त करके उसका मगध साम्राज्य में विलय करना था । इस प्रकार शिशुनाग के राज्यकाल में मगध साम्राज्य अत्यन्त विशाल हो गया । शिशुनाग ने 18 वर्षों तक शासन किया । 396 ई . पू . में शिशुनाग की मृत्यु हो गयी । 



कालाशोक ( 396 ई . पू . – 386 ई . पू . ) 

शिशुनाग के पश्चात् उसका पुत्र कालाशोक अथवा काकवर्ण ( कौवे के रंग का ) शासक बना । कालाशोक ने पुनः पाटलिपुत्र को ही मगध साम्राज्य की राजधानी बनाया । इस समय से लेकर भविष्य में काफी समय तक मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र ही रही । 

कालाशोक के उत्तराधिकारी ( 368 ई . पू . – 346 ई . पू . ) – 

बौद्ध साहित्य से ज्ञात होता है कि कालाशोक के पश्चात् उसके दस पुत्रों ने सम्मिलित रूप से शासन किया । महाबोधिवंश के अनुसार कालाशोक के इन दस पुत्रों के नाम भद्रसेन , कोरण्डवर्ण , मंगुर , सर्वजह , जालिक , उभक , संजय , कौरव्य , नन्दिवर्धन तथा पंचमक थे । इन भाइयों ने 22 वर्ष तक शासन किया तत्पश्चात् महापद्म ने शिशुनाग वंश को समाप्त कर मगध में नन्द वंश की स्थापना की । 

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