भारत के औद्योगीकरण में निजी विदेशी विनियोग के योगदान तथा इस सम्बन्ध में भारत सरकार की नीति |Government’s Policy and contribution of Private foreign exchange in Industrialization of India
वर्ष 1991 में जारी की गई औद्योगिक नीति में बाजारी शक्तियों की सक्रियता पर ध्यान केन्द्रित किया गया है और अब सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योगों की संख्या घटाकर मात्र 3 कर दी गई । अनिवार्य लाइसेंसिंग के अन्तर्गत उद्योगों की संख्या भी मात्र 5 रह गई है ।
PRIVITIZATION |
- कम्पनी विधि विषयक मन्त्रालय
- भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI )
- औद्योगिक विकास मन्त्रालय तथा
- वित्त मन्त्रालय । भारतीय उद्योगों में निजी निवेश को अधिकांशतः इस कारण प्रयोग किया जाता है ताकि देश में नवेश को और अधिक बढ़ाया जा सके तथा अल्प निवेश की स्थिति से अर्थव्यवस्था उबर सके ।
यह भी कहा गया कि जिन उद्योगों में तकनीक की उपलब्ध घरेलू क्षमता काफी है , उनमें विदेशी तकनीक का आयात नहीं किया जाएगा ।उनमें रायल्टी की अधिकतम राशि निश्चित कर दी गई । जिन उद्योगों में तकनीक आयात की अनुमति प्रदान भी की गई |
निजी विदेशी विनियोग हेतु किये जाने वाले समझौतों में यह व्यवस्था की गई कि आयातकों को तकनीकी आयात कुछ प्रतिबन्धों के साथ करना होगा । विज्ञान व औद्योगिक अनुसंधान परिषद् को टेक्नोलॉजी आयात के पूर्व प्रार्थना – पत्रों का परीक्षण करने की अनुमति प्रदान करते समय यह व्यवस्था की गई कि यदि उसके अनुसार ऐसी तकनीक देश में ही उपलब्ध है अथवा वह स्वयं इस तकनीक की पूर्ति कर सकता है, तो तकनीक आयात की सामान्यतः अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी । विदेशी कम्पनियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम अपनाया गया ।
निजी विदेशी विनियोग के सम्बन्ध में भारत सरकार की नीति FERA , 1973
Concessions ( 1990s ) –
- लाइसेंसिंग से छूट
- एम . आर . टी . पी . तथा फेरा कम्पयिनों को रियायतें
- क्षमता उपयोग में सुधार हेतु क्षमता का पुनः अनुमोदन
- उद्योगों का व्यापक समूहीकरण
- न्यूनतम आर्थिक क्षमताओं का निर्धारण
- पिछड़े क्षेत्रों का औद्योगीकरण
- निर्यात उत्पादन के लिए प्रेरणा , एवं
- लघु उद्योगों व सहायक इकाइयों की निवेश सीमा में वृद्धि ।
इनके अतिरिक्त उत्पादन को प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण से सरकार ने उद्योगों के 28 व्यापक वर्गों तथा 82 बड़ी औषधियों को लाइसेंस से मुक्त कर दिया ।
न हो तथा औद्योगिक इकाई निर्धारित शहरी क्षेत्रों की सीमाओं के अन्दर न हों ।
- भारत में निवास कर चुका कोई भी व्यक्ति भारत के बाहर का निवासी हो जाने पर भी उन शेयरों , प्रतिभूतियों एवं सम्पत्तियों क धारण कर सकेगा जो उसने भारत प्रवास में अर्जित की थीं ।
- किसी व्यक्ति द्वारा अपने रिश्तेदार या मित्र को 1 वर्ष में 5,000 डॉलर की राशि उपहार में भेजी जा सकती है । पूर्व में यह अनुमति मात्र 1,000 डॉलर तक की थी ।
- FERA से पृथक् जो एक प्रमुख परिवर्तन FEMA में किया गया , वह यह है कि फेरा के तहत जहाँ सिद्ध करने का दायित्व आरोपी का था , वहाँ फेमा के तहत अब यह दायित्व प्रवर्तन निदेशालय का होगा ।
- नवीन ‘ फेमा ‘ में उदारीकरण के अन्तर्गत यह प्रावधान भी किया गया है कि अधिनियम के उल्लंघनकर्ताओं को अब केवल मौद्रिक दण्ड का ही भुगतान करना पड़ेगा जो कि सम्बद्ध राशि का अधिकतम तीन गुना तक ही हो सकता है ।
अतः भारत सरकार की निजी विदेशी विनियोग की वर्तमान नीति में पूर्व की तुलना में काफी सुधार हुआ है । ‘ फेमा ‘ के प्रावधान ‘ फेरा ‘ की तुलना में अधिक उदार , पारदर्शी तथा व्यावहारिक बनाये गये हैं । यद्यपि कई भारतीय एवं विदेशी अर्थशास्त्री विदेशी विनियोग में अति उदारीकरण के समर्थक नहीं हैं तथा कठोर प्रावधानों को देश के लिए हितकारी मानते हैं , परन्तु सरकार का मत है कि यह तर्क भारतीय अर्थव्यवस्था के हिसाब से उचित नहीं है ।
तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें , और इसे शेयर भी जरुर करें।
औरजानिये। Aurjaniye
For More Information please follow Aurjaniy.com and also follow us on Facebook Aurjaniye | Instagram Aurjaniye and Youtube Aurjaniye with rd
Related Posts:-