अमेरिका की करेंसी वॉच लिस्ट में भारत |INDIA IN THE LIST OF AMERICA’S CURRENCY WATCH LIST 

हाल ही में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को पुनः अपनी ‘ करेंसी मैनिपुलेटर वॉच लिस्ट ‘ में शामिल कर लिया है 

प्रमुख बिंदु –

  1. ज्ञात हो कि वर्ष 2019 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को इस ‘ करेंसी मैनिपुलेटर ‘ वॉच लिस्ट से हटा दिया था । 

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  1. ट्रेजरी विभाग ने वियतनाम और स्विट्जरलैंड को करेंसी मैनिपुलेटर ‘ – के रूप में चिह्नित किया है । . 
  2. भारत के साथ ही ताइवान और थाईलैंड को भी करेंसी मैनिपुलेटर ‘ वॉच लिस्ट में शामिल किया गया है ,
  3. जबकि सात देश पहले से ही इस सूची में शामिल हैं । . 
  4. इस सूची में शामिल अन्य देश चीन , जापान , कोरिया , जर्मनी , इटली , सिंगापुर और मलेशिया हैं । 

करेंसी मैनिपुलेटर यह अमेरिकी सरकार द्वारा उन देशों को दिया जाने वाला एक लेबल है जो जानबूझकर ‘ अनुचित मुद्रा प्रथाओं का उपयोग कर डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करते हैं ताकि विनिमय दर के माध्यम से ‘ अनुचित लाभ ‘ प्राप्त किया जा सके । 

ऐसा माना जाता है कि विचाराधीन देश अन्य देशों से ‘ अनुचित लाभ ‘ प्राप्त करने के लिये कृत्रिम रूप से अपनी मुद्रा का अवमूल्यन कर रहा अवमूल्यन के कारण उस देश से निर्यात की लागत काफी कम हो जाएगी , जिसके परिणामस्वरूप निर्यात में बढ़ोतरी होगी और व्यापार घाटा कम हो जाएगा ।  is india a currency manipulator|

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‘ करेंसी मैनिपुलेटर बाँच लिस्ट ‘ – 

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा अबार्थिक रूप से रिपोर्ट जारी की जाती है , जिसमें वह अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में विकास की गति को ट्रैक करता है तथा विदेशी विनिमय दरों का निरीक्षण करता है । – 

मानवडः जो भी देश अमेरिका के ‘ ट्रेड फैसिलिटेशन एंड ट्रेड एनफोर्समेंट एक्ट ‘ ( वर्ष 2015 ) के तहत निर्धारित तीन मानदंडों में से दो को पूरा करता है , उसे ‘ करेंसी मैनिपुलेटर बाँच लिस्ट ‘ में शामिल किया जाता । 

इन मापदंडों में शामिल हैं :

  • अमेरिका के साथ ‘ महत्त्वपूर्ण ‘ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष – बीते 12 माह की अवधि में कम – से – कम 20 बिलियन डॉलर । 
  • 12 माह की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) के कम – से – कम 2 प्रतिशत के बराबर चालू खाता अधिशेष । 

  • विदेशी मुद्रा बाजार में एकपक्षीय हस्तक्षेप , जब 12 महीने की अवधि में कुल विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद देश की GDP का कम – से – कम विदेशी 2 प्रतिशत हो और 12 माह में कम – से – कम छह माह तक लगातार विदेशी मुद्रा की खरीद की जाए । 
  • परिणामः यद्यपि इस सूची में शामिल होना किसी भी तरह के बंद अथवा प्रतिबंधों के अधीन नहीं है , किंतु इसके कारण विदेशी मुद्रा नीतियों के संदर्भ में वैश्विक वित्तीय बाजार में देश की छवि को काफी नुकसान पहुंचता है । 

भारत की स्थिति – 

  1. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत और सिंगापुर ने विदेशी मुद्रा बाजार में निरंतर और असममित तरीके से हस्तक्षेप किया
  2. किंतु वे ‘ करेंसी मैनिपुलेटर ‘ के रूप में चिह्नित / लेबल किये जाने हेतु अन्य आवश्यक मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं । 
  3. रिपोर्ट की माने तो भारत , जिसने बीते कई वर्षों से अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष को बनाए रखा है , ने हाल ही में 20 बिलियन डॉलर की सीमा को पार कर लिया है । 
  4. जून 2020 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय माल व्यापार अधिशेष कुल 22 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है 
  5. इसके अलावा वर्ष 2019 की दूसरी छमाही में भारत की विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद में तेजी दर्ज की गई थी । India currency manipulator list us adds India to currency manipulator
  6. इसके पश्चात् महामारी के शुरुआती दौर में वर्ष 2020 की पहली छमाही में भी भारत ने विदेशी मुद्रा की खरीद जारी रखी , 
  7. जिसके परिणामस्वरूप जून 2020 तक भारत की विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद 64 बिलियन डॉलर या कुल GDP के 2.4 प्रतिशत तक पहुंच गई थी । 
  8. विशेषज्ञों की माने तो ‘ करेंसी मैनिफुलेटर वॉच लिस्ट ‘ में शामिल होने के बाद रूपए के मूल्य में अभिमूल्यन ( Appreciation ) हो सकता है , क्योंकि अब रिज़र्व बैंक हस्तक्षेप करेगा और वह अपनी कुछ विदेशी मुद्रा बेच देगा । 
  9. मुद्रा अभिमूल्यन का आशय किसी अन्य मुद्रा के संबंध में एक मुद्रा के मूल्य में वृद्धि से है । यदि किसी देश की मुद्रा किसी अन्य देश की मुद्रा के सापेक्ष अधिक मूल्यवान हो रही है , तो वह मुद्रा अधिक मजबूत मानी जाती है । 

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