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इंडिया जस्टिस रिपोर्ट । INDIA JUSTICE REPORT 2020-21

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट -2020-21 । INDIA JUSTICE REPORT 2020-21

स्वागत है दोस्तों आपका हमारी और आपकी अपनी वेबसाइट www.aurjaniy.com पर यहाँ हम आपको देते हैं सबसे अच्छा सिविल सर्विस सामान्य अध्ययन मटेरियल हिंदी में सबसे अच्छी किताबों और स्त्रोतों से और आजके इस ब्लॉग में हम जानेंगे

औरजानिये। Aurjaniye

हाल ही में टाटा ट्रस्ट ने सेंटर फॉर सोशल जस्टिस , कॉमन कॉज , दक्ष ( DAKSH ) , विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और टीआईएसएस – प्रयास Iss – Prayas ) तथा राष्ट्रमंडल मानव अधिकार पहल के सहयोग से इंडिया जस्टिस रिपोर्ट -2020 ( Indian Justice Report – 2020 ) जारी की है । 

प्रमुख बिंदु MAIN POINTS OF INDIA JUSTICE REPORT 2020-21

यह रिपोर्ट विभिन्न राज्यों को न्याय करने की क्षमता का आकलन करती है । 

इस रिपोर्ट में 1 करोड़ से अधिक आबादी वाले 18 बड़े एवं मध्यम आकार के राज्यों तथा 7 छोटे राज्यों में व्यय , रिक्तियों , महिलाओं का प्रतिनिधित्व , मानव संसाधन , बुनियादी ढाँचा , कार्यभार और विविधता का विश्लेषण किया गया है । 

INDIA JUSTICE REPORT 2020-21 OTHER POINTS

समग्र रैकिंग : 

समग्न रेकिंग न्याय वितरण प्रणाली के चार स्तंभों न्यायपालिका , पुलिस , जेल और विधिक सहायता में राज्य की रैकिंग को दर्शाती है । 

18 राज्यों में महाराष्ट्र लगातार दूसरी बार शीर्ष स्थान पर मौजूद उसके बाद तमिलनाडु एवं तेलंगाना है 

तथा सबसे अंतिम स्थान . छोटे राज्यों में गोवा शीर्ष स्थान पर कायम है 

जबकि सबसे निचले स्थान पर अरुणाचल प्रदेश मौजूद है । – 

पुलिस बल में महिला अनुपात : 

बिहार राज्य पुलिस बल में 25.3 % महिलाओं को रोजगार देने के साथ 25 राज्यों की सूची में शीर्ष पर है । 

पुलिस बल में 20 % से अधिक महिलाओं की भागीदारी वाला यह एकमात्र राज्य है । हालाँकि अधिकारी श्रेणी में केवल 6.1 % महिलाएँ हैं । 

तमिलनाडु में महिला पुलिस अधिकारियों का उच्चतम प्रतिशत ( 24.8 % ) है इसके बाद मिजोरम ( 20,1 % ) का स्थान है । पर उत्तर प्रदेश है । 

न्यायपालिका में महिला अनुपात : 

देश भर के उच्च न्यायालयों में केवल 29% न्यायाधीश महिलाएं हैं, किन्तु सिक्किम (33.3 % ) को छोड़कर किसी भी राज्य में 20ज्ञ से अधिक महिला न्यायाधीश नहीं है । 

चार राज्यों- बिहार , उत्तराखंड त्रिपुरा और मेघालय उच्च न्यायालयों में कोई महिला नयायाधीश नहीं है । –

सामाजिक न्यायः 

कर्नाटक एकमात्र राज्य है जो अधिकारी कैडर और पुलिस बल दोनों के लिये SC , ST एवं OBC हेतु अपना कोटा पूरा करता है । 

छत्तीसगढ़ एकमात्र अन्य राज्य है जो पुलिस बल की विविध आवश्यकताओं को पूरा करता है . 

वित्त का अभावः 

पिछले 25 वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा केवल वर्ष 2019-20 में 1.5 करोड़ लोगों को प्रति व्यक्ति 1.05 को कानूनी सहायता प्रदान की गई है ।

अंडरट्रायल मामलों की अधिकताः 

सभी कैदियों में से लगभग दो – तिहाई कैदी दोषसिद्धि के लिये विचाराधीन हैं . न्याय में देरी का कारण कानूनी सेवा संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं की कमी . असमान मानव संसाधन वितरण , कंद्रीय निधियों के अनियमित उपयोग और न्यायपालिका पर बोझ आदि के कारण लोक अदालतों को प्रभावित करते हैं ।

तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके जरुर बतायें , और इसे शेयर भी जरुर करें।

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